प्रतापगढ़ में दो दोस्तों की हत्या कर दी गयी, दोनों दोस्त दलित बताए जा रहे हैं, पुलिस ने इस मामले के जल्द खुलासे के लिए गठित की हैं,चार टीमें...!!!
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव- 2022 की तैयारियां शुरू हो गई हैं, लेकिन जिले में अपराधों की बाढ़ सी आई गयी है। इस पर शासन-प्रशासन सहित जिले के जनप्रतिनधियों की चुप्पी जिले के लोगों के मन में एक गम्भीर प्रश्न खड़ा कर रही है...!!!
दो दलित दोस्तों की हत्या, बदमाशों ने धान के खेत में फेंके शव...!!!
प्रतापगढ़ के पट्टी क्षेत्र में डबल मर्डर से जिले में फिर उठा कानून ब्यवस्था पर सवाल... |
प्रतापगढ़। कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के पट्टी विधानसभा क्षेत्र थाना-पट्टी क्षेत्र अंतर्गत सपहा छाप गांव के रहने वाले दो दलित युवकों की हत्या कर दी गयी। इनके नाम शिव भोले गौतम और रविंद्र गौतम बताए गए। दोनों दोस्त शौच के लिए घर से निकले थे। दोनों के शव धान के खेत में मिलने के कारण गांव में हड़कंप मच गया। परिजन हत्या की आशंका जता रहे हैं। पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी। जिले के पट्टी कोतवाली अंतर्गत सपहा छाप गांव में दो दोस्त शिव भोले गौतम और रविंद्र गौतम शौच करने के लिए घर से धान के खेत की तरफ गए थे।खेत में दोनों दोस्तों का शव मिले। इसके बाद ये खबर गांव में आग की तरह फैल गयी। प्रतापगढ़ में यह डबल मर्डर चर्चा का विषय बना हुआ है। दोनों युवक दलित बताए जा रहे हैं। अज्ञात बदमाशों ने हत्या कर शवों को धान की खेत में फेंक दिया था।
पुलिस अधीक्षक ने जल्द खुलासे के लिए गठित की हैं,चार टीमें |
पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल ने बताया कि शिवभोले और रवींद्र एक ही गांव के रहने वाले थे। दोनों एक साथ ही घर से निकले थे। जब काफी देर बाद भी घर नहीं पहुंचे तो परिजन परेशान हो गए। परिवार के लोगों ने दोनों को ढूंढना शुरू किया तो दोनों की लाशें धान के खेत में मिली। दोनों के शव एक साथ एक स्थान पर मिलने के बाद गांव में हड़कंप मच गया। दोनों के शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं। उनके मुंह से खून भी निकल रहा था। सूचना मिलने पर पुलिस बल घटना स्थल पर पहुंचा और तफ्तीश शुरू की गयी। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसपी सतपाल अंतिल का कहना कि दोनों युवक अच्छे दोस्त थे। मामले के जल्द खुलासे के लिए चार टीम गठित की गयी। पुलिस बरीकी से हर पहलू की जांच कर रही है। पुलिस का दावा है कि इस डबल मर्डर का जल्द खुलासा किया जाएगा।
सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। सूबे के मुखिया अपराधियों और दबंगों पर लगातार सख्त रूख अपनाएं हुए है। दावों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था तथा पुलिस प्रशासन देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा अव्वल नंबर पर है, लेकिन सूबे का एक जिला ऐसा है जिसको प्रदेश में बड़के जिले के नाम से भी प्रसिद्धि मिली हुई है। प्रतापगढ़ पुलिस सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के आदेशों के ठीक उल्टा कार्य कर रही है। सूबे के मुखिया का प्रतापगढ़ पुलिस में जरा सा भी डर नही है। पिछले कुछ सालों में जिले में कोई भी पुलिस कप्तान एक साल का भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएं हैं। अब इसका मूल कारण क्या है, यह जगजाहिर है।
जिले में अपराधियों, शराब माफियाओं, हरे पेड़ काटने वाले लकड़ी माफियाओं और दबंगों का इस कदर बोल बाला है कि पुलिस इनके आगे बौनी साबित हो रही है। अपराध पर लगाम लगाने के बजाय पुलिस पीड़ित के ऊपर अपना शिकंजा कसकर पुलिसिंग का दम भरने का दावा करती है। हाल ही में ऐसी कई घटनाओं का उदाहरण हैं, जिसमें पुलिस ने पीड़ित की एफआईआर ही नहीं लिखी। पीड़ित को ही थाने से डरा धमकाकर भगा दिया जाता है। पीड़ित भी यदि कहीं से अपना पक्ष रखने के लिए किसी का सहयोग लेने का प्रयास करता है तो पुलिस उस पर दबाव बनाकर मामले को रफा-दफा करने की दिशा में कार्य करने लगती है। सूत्रों की बात मानी जाए तो जिले की दो कोतवाली को छोड़कर पुलिस की सांठ-गांठ से कहीं शराब माफिया फल फूल रहें हैं तो कहीं वन माफिया !
लालगंज सर्किल के एक कोतवाली का होमगार्ड अंधाधुंध हरे पेड़ो की अवैध कटान करवा रहा है। थाना प्रभारी मौज मार रहे हैं। बता दें कि छिनैती, लूट, मारपीट, हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार की कोशिश, रंगदारी जैसे संगीन अपराध को अंजाम देने वाले अपराधी मौज में जीवन जी रहे हैं। कुछ तात्कालिक मामलों पर ध्यान अगर दिया जाए तो थाना जेठवारा में एक छिनैती की घटना हुई। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर लिखने में आना-कानी कर रही है। पीड़ित का बाइक छिनी और मोबाइल के साथ जेब की नकदी भी छिन गया, परन्तु जेठवारा पुलिस पीड़ित का मुकदमा नहीं लिखा। दूसरा मामला मान्धाता थाना क्षेत्र का है, जहां पर दबंगों ने एक परिवार को लाठियों से पीटा और पुलिस ने पीड़ित परिवार के लोगों को ही बीते कई दिनों से थाने में बैठा रखा है।
कुछ ही समय पहले एक पीआरडी जवान को गोली मारी गई थी। जिसमें अभी तक सिर्फ पुलिस लकीर पीट रही है। जिले के एक दो कोतवाली को छोड़ कर लगभग सभी थानों व कोतवाली में कुछ ऐसी ही कहानी सुनने और देखने को मिल जायेगी। अब ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि हाल ही में नवनियुक्त हुए जिले के तेज तर्रार पुलिस कप्तान सतपाल अंतिल क्या इन सब मामलों से अनभिज्ञ हैं या फिर किंकर्तव्यविमूढ़ वाली हालत में पहुंच गए हैं ? क्या प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को प्रतापगढ़ जिले में फैली हुई इस अराजकता और जंगलराज की भनक तक नहीं लग रही है ? क्या यह सब जिले के शासन-प्रशासन के शह पर हो रहा है ? क्या इस जिले के लोग अपराधियों और माफियाओं के आगे सिर झुकाकर जीने को मजबूर हो जाये ? सबसे बड़ा सवाल जिले के सांसद, विधायक और मंत्रियों से है कि उनके जिले में इतना अपराध बढ़ा हुआ और वह मौज में अपना जीवन बिता रहे हैं। कल चुनाव में वह किस मुँह से जनता के बीच में जाकर वोट की भीख मांगेगें...???
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