निर्माण कार्य में गुणवत्ता और मानक को ताक पर रखकर योगी सरकार में भी किये जा रहे हैं,कार्य...!!!
दो वर्ष पहले बने रेलवे ओवरब्रिज पुल पर दो फिट चौड़ा और दो फिट लंबा हुआ गड्ढा जो कभी भी बन चुका है, मौत का कुआं...!!!
मनौरी बाजार में रेलवे के ऊपर बने ओवरब्रिज का दो साल में ही हो गया खस्ताहाल... |
सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद और मंडल मुख्यालय प्रयागराज में निर्माण कार्य में लगी कार्यदायी संस्थाओं और ठेकेदारों ने लूट मचा रखी है। किसी तरह का इन पर किसी का कोई अंकुश नहीं दिखता।ये इतने निरंकुश हो चुके हैं कि पूछिए मत ! इनके घटिया निर्माण से बड़ा हादसा हो जाये और हजार पाँच सौ लोग मर जाएं तो मर जाएं ! उन्हें इनकी चिंता नहीं है और न ही योगी सरकार की मान मर्यादा की ही चिंता इनके दिलोदिमाग में रहती है। इनके मन में सिर्फ अधिक से अधिक धन कमाने की योजना चलती रहती है। इनके मुताविक शासन सत्ता चाहे जिसकी हो सबके शासन में कमीशन तय रहता है। अखिलेश सरकार में जो कार्य शिवपाल यादव करते थे, आज वही कार्य योगी आदित्यनाथ की सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा किया जा रहा है। बस अंतर इतना ही है कि अखिलेश सरकार में शिवपाल यादव सिर्फ पीडब्लूडी मिनिस्टर रहे और योगी सरकार में केशव प्रसाद मौर्य पीडब्लूडी मिनिस्टर के साथ-साथ डिप्टी सीएम भी हैं।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य... |
मनौरी कौशांबी चायल तहसील क्षेत्र के मनौरी बाजार में रेलवे के ऊपर ओवरब्रिज बनाया गया था। इस पुल के निर्माण में कई करोड़ रुपए सरकार ने खर्च कर दिया। रेलवे और सेतु निगम के सहयोग से पुल बनकर तैयार हुआ था। लेकिन कार्यदायी संस्था और ठेकेदारों के मोटे कमीशनखोरी के चलते घटिया क्वालिटी के पुल का निर्माण कर जिम्मेदारों ने औपचारिकता पूरी कर ली। पुल पर जनता का आवागमन तो 2 वर्ष पूर्व शुरू हो गया था। लेकिन गुणवत्ता में कमी के चलते पुल को हैंडओवर करने में अधिकारियों के बीच दो वर्षों तक खींचतान चलती रही। बड़े दबाव के बाद जुलाई, 2021 में मनौरी रेलवे पुल को हैंड ओवर किया गया है। ओवरब्रिज हैंडओवर होने के एक महीने बाद ही करोड़ों की लागत के बने इस पुल में बड़े-बड़े छेद हो गए हैं। दो फिट लंबा, दो फीट चौड़ा पुल में गड्ढा हो गया है। आरसीसी टूट कर गिर गई है। यह पुल मौत का कुआं बन चुका है। अभी भी टूटे पुल से ओवरलोड वाहनों का निकलना जारी है। यदि किसी वाहन का पहिया गड्ढे में पड़ गया तो वाहनों का पलटना और मौत होना निश्चित है।
पुल पर आने-जाने वाली बड़ी गाड़ियों के अतिरिक्त बाइक सवार, साइकिल और पैदल निकलने वाले राहगीरों के लिए भी यह पुल मौत का कुआं बन चुका है। पुल में बड़ा गड्ढा हो जाने के बाद अभी तक आला अधिकारियों ने मामले को संज्ञान लेकर पुल पर आवागमन नहीं रोका है, जिससे जनपदवासियों के सामने मौत मंडरा रही है। करोड़ों रुपए के इस पुल में धांधली कर निर्माण किए जाने के मामले में अभी तक आला अधिकारियों ने शासन को अवगत नहीं कराया है, जो व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल है। पुल निर्माण में धांधली करने वाले अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते पुल टूट गया है, जो योगी सरकार की ब्यवस्था पर बड़ा सवाल है। इन अधिकारियों के कारनामों पर जांच कर अधिकारियों की गिरफ्तारी कराए जाने की मांग विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं ने की है। लोगों का कहना है कि यदि पुल निर्माण में लगे इंजीनियरों ने मानक के अनुसार पुल का निर्माण किया होता तो पुल टूटने का सवाल नहीं उठता। पुल निर्माण में धांधली करने वाले इंजीनियरों का विभाग में रहने का कोई औचित्य नहीं है। इन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।
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