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रविवार, 4 जुलाई 2021

प्रतापगढ़ के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार का जिम्मेदार कौन ?

जिला पंचायत अध्यक्ष पद की भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह अपनी हार से उतनी दु:खी नहीं हैं जितना भाजपा में छिपे गद्दारों की गद्दारी और भीतरघातियों से दुखी हैं...!!!


कैबिनेट मंत्री मोती सिंह और भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र की भूमिका जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में संदिग्ध रही !परिणाम आते ही सोशल मीडिया पर पार्टी से जुड़े लोगों ने जाहिर कर रहे थे,अपनी प्रतिक्रिया...!!!


 भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र का रावण जैसा घमंड हो गया चकनाचूर...

प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र को लेनी चाहिये। चूँकि उन्हीं के प्रस्ताव पर जिला पंचायत सदस्य का टिकट वितरित किया गया था। जब 57 जिला पंचायत में कथित रूप से 7 जिला पंचायत सदस्य ही एनकेन प्रकारेण जीत सके। परन्तु रावण जैसा अहंकारी भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र ने यह कहकर उस वक्त अपना बचाव किया था कि उनके पास जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए सदस्यों का पर्याप्त बहुमत बल है। इस बार बोर्ड भाजपा का बनेगा। 


मीडिया ने सवाल किया कि भाजपा की बात मान ली जाए और भाजपा जिसे अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाकर सूची जारी की उसके हिसाब से तो बहुमत के 22 सदस्यों की ब्यवस्था करनी होगी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वेशर्मी की सारी सीमा पार करते हुए भाजपा दो उम्मीदवार को नामांकन कराई और दोनों का नामांकन वैध होने पर पूनम इंसान का नाम वापस कराया गया। क्षमा सिंह को भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया। मतदान के कुछ दिन पहले से ही यह निश्चित हो चुका था कि इस बार भी जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर राजा भईया समर्थित उम्मीदवार का कब्जा रहेगा।  


भाजपा के पास 22 सदस्य कहाँ से आयेंगे ? इस सवाल के जवाब में घमंडी भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र ने कहा कि बहुत से जिला पंचायत सदस्य भाजपा के प्राथमिक सदस्य हैं। उन्हें टिकट नहीं मिल सका तो वह निर्दलीय नामांकन करके जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं। वो सारे जीते हुए सदस्य भाजपा में आज भी हैं। उन्हें निष्कासित नहीं किया गया है। वो सब भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को ही वोट देंगे। भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र यह भूल गए कि जो जिला पंचायत सदस्य अपने दम पर चुनाव जीते हैं, वह जहाँ मान सम्मान पायेंगे अपना मत वहाँ देंगे। मान-सम्मान के साथ इस आर्थिक युग में आर्थिक पैकेज जब खुलेआम घर तक चलकर पहुँच रहा हो तो इस महामारी काल में उससे कौन परहेज करेगा ?


अब भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र को कौन समझाये कि जब किसी ब्यक्ति को आप पार्टी का टिकट नहीं दिए और वह बगावत करके अपने दम पर चुनाव जीत गया तो वह अब भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र के कहने पर उस पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपना अमूल्य मत क्यों और किस साख पर देगा ? वह तो चाहेगा कि जिस तरह उसको बेइज्जत किया गया और पार्टी का टिकट लाख प्रयास के बाद नहीं मिला तो उसके मत से उस पार्टी का जिला पंचायत अध्यक्ष क्यों जीते ? वह तो अंतिम दम तक यही चाहेगा कि भाजपा का उम्मीदवार बुरी तरह चुनाव में हार जाएं। तभी वह उसकी बेइज्जत का बदला पूर्ण होगा। कुछ जिला पंचायत सदस्य जो भाजपा से टिकट न पाने के बाद बागी होकर चुनाव लड़े और चुनाव जीत गए, उनकी बातों पर यकीन करें तो भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र स्वयं नहीं चाहते थे कि प्रतापगढ़ से पप्पन सिंह की पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीते। 


जब जिला पंचायत सदस्य की हार की जिम्मेदारी भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र को लेनी चाहिये थी, उस समय भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र जिला पंचायत सदस्यों को संगठित करके उनके बीच प्रीति भोज करने में मशगूल थे। जबकि जिला पंचायत सदस्य की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र को लेनी चाहिये थी। न कि आधे अधूरे मन से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावी समर में कूदना चाहिये था।यदि चुनावी समर में कूदना था तो उसके लिए समुचित ब्यवस्था करना था। जिला पंचायत प्रतापगढ़ में 57 सदस्यीय बोर्ड में बहुमत के लिए 29 मतों की आवश्यकता थी। जो किसी दल के पास नहीं थी। यानि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए तीनों उम्मीदवारों को जिला पंचायत सदस्यों की आवश्यकता थी। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की उम्मीदवार माधुरी पटेल ने ब्यवस्था किया और 40 मत पाकर जिला पंचायत का चुनाव जीत लिया।  


भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र द्वारा भाजपा की बची खुची इज्जत का जनाजा बिना निकाले नहीं मानेंगे। भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र जिला पंचायत सदस्य पद के चयन हेतु उचित निर्णय लिया होता तो शायद भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए शर्मशार न होना पड़ता। मतदान के दिन जिला प्रशासन पर बेईमानी करने का आरोप लगाकर भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह और उनके पति पप्पन सिंह एवं उनके समर्थकों ने धरने पर बैठकर मतदान का ही बहिष्कार कर डाला। इससे भाजपा की सारी इज्जत मिटटी में मिल गई। भाजपा संगठन में फेरबदल की आवश्यकता है। सबसे गन्दी मानसिकता का तो उसका जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र ही है। भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र दोयम दर्जे के ब्यक्ति हैं। समाज में उनकी अपनी न तो कोई साख है और न ही कोई वजूद। फिर भी घमंड रावण जैसा पाल रखे हैं। सीधे मुँह किसी से बात तक नहीं करते। 


2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बड़े नेता है sir ये हमेसा हवा में रहते है इनके जिला पंचायत सदस्य जीते क्यों नहीं जिनको जितना था उसे टिकट ही नहीं दिए पैसा लेकर दूसरे को टिकट दे दिए इन्होने पंचायत चुनाव में खूब धन उगाही की जिससे भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा

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