प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हो रहे मतदान में सिर्फ 2घंटा शेष...!!!
![]() |
कैबिनेट मंत्री मोती सिंह और कुंडा के बाहुबली राजा भईया... |
प्रतापगढ़ में जिला पंचायत चुनाव के लिए जिला प्रशासन ने विकास भवन के सामने आफीम कोठी को नामांकन केंद्र भी बनाया था और आज मतदान भी वहीं सम्पन्न हो रहा है। प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी डॉ नितिन बंसल स्वयं और चुनाव कराने हेतु राज्य निर्वाचन आयोग से नियुक्त प्रेक्षक मतदान केंद्र पर शांतिपूर्ण मतदान सम्पन्न कराने के लिए सुबह 10बजे डटे हुए हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के मतदान के लिए सुबह 11बजे से मतदान शुरू होकर शाम 3बजकर, 30मिनट तक मतदान होना है। मतदान शुरू होने से पहले ही भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह और उनके समर्थकों की गाड़ी जेठवारा थाना क्षेत्र के बढ़नी मोड़ के पास वाहन चेकिंग के नाम पर उन्हें रोक लिया गया और उनकी तलाशी हो ही रही थी कि कुंडा की तरफ से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह "राजा भईया" अपने काफिले के साथ सैकड़ों गाड़ियों संग विना चेकिंग किये ही निकल गए। फिर क्या था ? यह नजारा देख भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह एवं पति भाजपा नेता अभय प्रताप सिंह "पप्पन" का पारा गर्म हो गया और वह जेठवारा एस ओ से दोहरा मापदंड अपनाने को लेकर भिड़ गए। बात बिगड़ी तो समर्थकों संग भाजपा उम्मीदवार वहीं धरने पर बैठ गई।
सत्ताधारी दल भाजपा की उम्मीदवार क्षमा सिंह के धरने पर बैठने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हो रहे मतदान सम्पन्न होने पहले तस्वीर साफ हो गई है। प्रतापगढ़ जिला पंचायत में इस बार भी बोर्ड राजा भईया का बनता नजर आ रहा है। वर्ष-1995 से प्रतापगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर वर्ष-2010 तक राजा भईया का कब्जा रहा। बहुत प्रयास के बाद भी सारे दलों के नेताओं ने मिलकर राजा भईया को जिला पंचायत से अपदस्थ करना चाहा,परन्तु कामयाबी न मिल सकी। सूबे में जब बसपा सरकार बनी तो माया कैबिनेट के दमदार कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में उनके भतीजे प्रमोद मौर्य को बसपा ने अपना उम्मीदवार बनाया और उस समय भाजपा और कांग्रेस सहित निर्दलीय उम्मीदवार मिलकर बसपा उम्मीदवार प्रमोद मौर्य को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान करके जिताया और राजा भईया समर्थित उम्मीदवार को करारी शिकस्त मिली थी।
सूबे में अखिलेश की सरकार बनी और अखिलेश के न चाहते हुए भी मुलायम सिंह के दबाव में राजा भईया को कैबिनेट मंत्री बनाना पड़ा। वर्ष-2015 में जब जिला पंचायत का चुनाव आया तो सदर विधायक नागेन्द्र सिंह "मुन्ना यादव" अपनी पत्नी मनोरमा यादव को सदर प्रथम से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जितवाकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होना चाहते थे, क्योंकि मुन्ना यादव वर्ष-2000 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनते-बनते रह गए थे। सिर्फ एक मत से मुन्ना यादव चुनाव हार गए थे। वह टीस मुन्ना यादव को आज भी चुभती है। मुन्ना यादव चाहते थे कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते वह अपनी पत्नी मनोरमा यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज करा लें तो उनकी वो तमन्ना पूरी हो जाये जो वर्ष-2000 में अधूरी रह गई थी। मुन्ना यादव की किस्मत यहाँ भी दगा दे गई और राजा भईया के आगे उनकी एक न चली। मामला अखिलेश के दरबार में पहुँचा कि प्रतापगढ़ में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार समाजवादी पार्टी से बनाया जाए और उम्मीदवार यादव जाति का हो !
समाजवादी पार्टी के नेताओं को पता था कि प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष वही बनेगा जिसके सिर के ऊपर राजा भईया का हाथ होगा। राजा भईया यह प्रस्ताव मान लिए कि इस बार जिला पंचायत का उम्मीदवार यादव जाति से होगा और वह अपना उम्मीदवार उमा शंकर यादव को तय कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बता दिए। मुन्ना यादव मन मसोस कर गए। अब सूबे में योगी सरकार है और राजा भईया अब निर्दल से दल वाले नेता हो चुके हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव से उम्मीदवार उतारकर राजनीतिक दलों के आकाओं को परेशान करना शुरू कर दिए हैं। लोकसभा में तो राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक कुछ खास न कर सकी, परन्तु जिला पंचायत में प्रतापगढ़ की सीट पर बाजी मारती नजर आ रही है। राजा भईया के उम्मीदवार माधुरी पटेल के आगे सत्ताधारी दल भाजपा कहीं टिक नहीं पा रहा है।
भाजपा के कई दिग्गज नेताओं की भूमिका पूरे चुनाव में संदिग्ध नजर आ रही है। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री मोती सिंह, भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता, भाजपा विधायक धीरज ओझा, अपना दल एस से विधायक राजकुमार "करेजा पाल" सहित भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र जो बड़ी-बड़ी बातें करते थे, आज उनकी बोलती बंद है। भाजपा के कथित कद्दावर सभी नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। जब 57 सदस्यीय जिला पंचायत में सिर्फ 7 जिला पंचायत सदस्य किसी तरह से जीत पाए थे तो भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी ही नहीं करनी चाहिए थी। मतदान से पहले भाजपा उम्मीदवार का धरने पर बैठना, फिर वहाँ से उठकर मतदान केंद्र पर आकर सांसद संगम लाल गुप्ता, भाजपा विधायक धीरज ओझा, अपना दल एस से विधायक राजकुमार "करेजा पाल" सहित भाजपा जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र अपनी ही सरकार में विधवा विलाप करते नजर आ रहे हैं। भाजपा के कथित कद्दावर नेताओं के चाल, चेहरे, चरित्र से अब जनता ऊब चुकी है। अपनी ही सरकार में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन मुर्दावाद के नारे लगाना ये साबित करता है कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की उम्मीदवार माधुरी पटेल चुनाव जीत चुकी हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें