सतपाल अंतिल, पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़... |
प्रतापगढ़। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए हर पुलिस अधीक्षक अपने-अपने तरीके अख्तियार करता है। कोई थानेदार और कोतवाल बदलता है तो कोई उप निरीक्षकों के तवादले करके अपराध को नियंत्रण में करने का प्रयास करता है। ऐसे भी पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ आये जो सिपाहियों का ही तवादला कर डाले, परन्तु कामयाबी उन्हें भी नहीं मिली। प्रतापगढ़ में ऐसे भी कप्तान आये जिन्होंने पूरा थाना ही लाइन हाजिर कर डाला था, फिर भी उस थाने में अपराध घटा नहीं।
इसी तरह बसपा कार्यकाल में मुख्यमंत्री मायावती को ADG कानून-ब्यवस्था बृजलाल और गृह विभाग (गोपन) के कुछ अधिकारियों का तर्क था कि पड़ोसी गृह जनपद में तैनात सिपाही ड्यूटी के दौरान बिना सूचना अपने घर चले जाते हैं और क्षेत्र में जब अपराध होता है तो भागकर पहुँचते हैं, जिससे अपराध पर नियंत्रण करना मुश्किल होता है। इसी लिहाज से पड़ोसी जनपदों के सिपाहियों का लगभग 50 हजार तवादला हुआ था, फिर भी अपराध नियंत्रण में नहीं आ सका था। इससे साबित होता है कि पुलिस विभाग में भी वह कहावत चरितार्थ होती है कि बांधें बनिया बाजार नहीं लगती।
पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल (Satpal Antil) ने प्रतापगढ़ में लंबे समय से जमे उपनिरीक्षकों का तबादला किया है। उन्होंने 29 जुलाई, 2021 की देर रात 22 उप निरीक्षकों के तबादलों की सूची जारी की। इसकी भनक तक पुलिस विभाग में अधीनस्थों को नहीं हो सकी। इस संचार युग में पुलिस में सिपाही, दरोगा और कोतवाल कहीं भी रहे, परन्तु जिनके जिससे सम्बन्ध बन जाते हैं, वह उसकी मदद वहीं रहकर करता है। चाहे वह मोस्ट वांटेड अपराधी ही क्यों न हो ? अपराधियों से पुलिस के सम्बन्ध और अति नजदीकियां ही अपराध पर नियंत्रण न कर पाने की बड़ी वजह होती है।
जिन उप निरीक्षकों के तवादले हुए उनकी स्थानान्तरण सूची...
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