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शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

विधानसभा चुनाव-2022 के मद्देनजर पार्टी में फेरबदल कर चुनावी मूड में कार्यकर्ताओं को हो जाने के दे दिए बसपा ने संकेत

बसपा सुप्रीमों मायावती सूबे में अकेले दम पर विधानसभा चुनाव-2022 का चुनाव लड़ने का बनाया मन, किसी भी दल से नहीं करेंगी इस बार बसपा गठबंधन...!!!


सूबे में सरकार बनाने के लिए भाजपा से गठबंधन और उप चुनाव में सपा से गठबंधन के मिले फायदे से गदगद बसपा सुप्रीमों मायावती का वर्ष-2019 लोकसभा में सपा से गठबंधन करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा रहा...!!!


चुनावी मूड में बसपा सुप्रीमों मायावती...

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों के संगठन में फेबदल का काम जोरों पर है। चुनाव में सफलता मिलने के लिए राजनीतिक दल दिन रात गुणा गणित लगा रहे हैं। उसी के परिपेक्ष्य में संगठन में पद का सृजन और उस पर नए चेहरे की तैनाती भी का रही है। जिसे जो पद दिया जा रहा है,उसके बदले में उसे कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाता है। यह बातें उसे भी पता है जो उस पद पर आसीन होता है। उसे भी पता है कि महज पद मिल जाने से उसका सारा कार्य सुचारू रूप से चलने लगेगा। पद मिलते ही उसका पहला उदेश्य पूर्ण हो जाता है कि उसे जनमानस नेता मानने लगती है और उसके यहाँ दरबार सजने लगते हैं। चौराहे और बाजार में लोग उसे नेताजी अथवा पदनाम से बुलाने लगते हैं। यही उसके लिए पर्याप्त है। 


कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव-2022के लिए अभी से तैयार हो जाने का मायावती का निर्देश...

चुनावी वर्ष में हर दल में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की बाढ़ सी आ जाती है। अब एक दल से एक ही ब्यक्ति को टिकट मिलना होता है और बाकी लोग कट जाते हैं। अपनी उम्मीदवारी के प्रति आश्वस्त होने के लिए संभावित उम्मीदवार इन पार्टी पदाधिकारियों की सेवा अपने माता-पिता से बढ़कर करता है। पैसा भी जमकर खर्च करता है और बाद में टिकट काटने पर उसे जमकर गाली भी देता है जो पदाधिकारी उसके साथ धोखेबाजी और दगाबाजी किया रहता है। पार्टी के संगठन में फेरबदल की बात करें तो सत्ताधारी भाजपा में सबसे पहले फेरबदल शुरू हुआ। कांग्रेस, सपा  और बसपा भी अपने-अपने संगठन में फेरबदल करने में लगी हुई हैं। सभी का महज एक उदेश्य है कि आगामी उत्तर प्रदेश के चुनाव में अधिम से अधिक सीटें उसके दल को मिले ताकि वह सरकार बनाये अथवा गठबंधन दल में शामिल होकर सरकार का हिस्सा बन सके।  


पहले भाजपा फिर सपा से गठबंधन के बाद बसपा में नेताओं का हो चुका है,अकाल...

राजनैतिक दलों में सबसे महत्वपूर्ण पद जिलाध्यक्ष का होता है। प्रत्येक जिलों में संगठन का सर्वेसर्वा जिलाध्यक्ष ही होता है और वह अपने मर्जी के अनुसार अपनी टीम बनाता है। अलग-अलग राजनैतिक संगठनों में अलग-अलग पद का सृजन होता है और उस पर पार्टी सुप्रीमों ही तय करता है कि कौन ब्यक्ति किस पद के कर्तब्य निर्वहन की जिम्मेवारी का निर्वहन करेगा ? अभी तक सबसे अधिक भगदड़ बसपा में हुई है। उसमें तो नेताओं का मानों अकाल पड़ गया हो ! बसपा में सबसे अधिक पदाधिकारियों का चयन करना होगा, तभी विधानसभा चुनाव में अन्य पार्टियों को बसपा टक्कर दे सकेगी। क्योंकि राजनीतिक पार्टियों में पदाधिकारियों और उम्मीदवारों के बिना पार्टी का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।   


लोकसभा चुनाव-2019 के बाद से बसपा दिन प्रतिदिन होती गई कमजोर...

बसपा ने इसकी शुरुआत कर दी है। इसी कड़ी में प्रतापगढ़ के पूर्व बसपा जिलाध्यक्ष सुशील कुमार गौतम को प्रयागराज मंडल का मुख्य सेक्टर प्रभारी बनाया गया है। सुशील कुमार गौतम बिहार ब्लॉक क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य भी हैं। साथ ही सेक्टर और मुख्य सेक्टर प्रभारी समेत जिलाध्यक्ष का चयन बसपा सुप्रीमों मायावती ने शुरू करके अन्य दलों को चुनावी मूड में आने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया है। प्रतापगढ़ के पूर्व जिलाध्यक्ष अश्वनी राणा को भी सेक्टर प्रभारी बनाया गया है। लालचंद गौतम बसपा जिलाध्यक्ष के पद पर बनें रहेंगे। साल- 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा में फेरबदल शुरू हुआ है। संगठन की मजबूती में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुशील कुमार गौतम को प्रयागराज मंडल का मुख्य सेक्टर प्रभारी मनोनीत होने से जिले के बसपाई खुश। इन्हीं के माध्यम से बसपा सुप्रीमों मायावती उम्मीदवारों से मिलती हैं और टिकट के भाव तय करती हैं। इस बार बसपा में उम्मीदवारी को लेकर भीड़ कम होने की संभावना है और टिकट का रेट भी पहले से कम रहेगा। ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है।  


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