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रविवार, 4 जुलाई 2021

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के परिणाम के बाद भाजपाईयों में मची है, आरोप-प्रत्यारोप की जंग

भाजपा नेता पप्पन सिंह का कैबिनेट मंत्री मोती सिंह से दागे चार सवाल...!!!


1-जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में मतगणना के दिन जब भाजपा के जिला पंचायत सदस्य संजीव पाल, गिरीश जायसवाल पूनम इंसान और प्रीती सिंह ने मतदान किया और छः सदस्य क्षमा सिंह के साथ धरने पर रहे तो भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह को सिर्फ तीन मत कैसे मिले...???


2-कैबिनेट मंत्री मोती सिंह जब जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु चुनाव प्रभारी बनाये गए तो जिन जिला पंचायत सदस्यों को पार्टी उम्मीदवार क्षमा सिंह के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित किया उनके नाम मंत्री जी सार्वजनिक करें -पप्पन सिंह, भाजपा नेता !


3-जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव हेतु जारी अधिसूचना के बाद से मंत्री मोती सिंह की काल डिटेल सार्वजानिक होनी चाहिए कि उन्होंने किससे बात किया और उनसे किन लोंगो ने बात की - भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह के पति पप्पन सिंह !


4-सार्वजानिक रूप से मंत्री मोती सिंह भाजपा नेता पप्पन सिंह से कहा कि हम तुम्हारे नौकर नहीं और न ही चौकीदार हूँ ! जिस पर पप्पन सिंह ने मंत्री मोती सिंह से सवाल किया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव प्रभारी बनाये गए थे, प्रतापगढ़ की जनता जानना चाहती है कि आखिर मंत्री जी किसके नौकर और चौकीदार हैं ?


मंत्री मोती सिंह और भाजपा नेता पप्पन सिंह में सार्वजानिक रूप से हुई नोकझोक...


सत्ताधारी दल भाजपा में जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव परिणाम आते ही सिर फुटौव्वल शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह के पति अभय प्रताप सिंह "पप्पन" और कैबिनेट मंत्री मोती सिंह के बीच उस समय हुई जब मंत्री जी जिला प्रशासन के खिलाफ अफीम कोठी मतगणना स्थल पर धरने पर बैठे भाजपाईयों को उठाने पहुँचे। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव हेतु पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने कैबिनेट मंत्री मोती सिंह को प्रतापगढ़ जिले का चुनाव प्रभारी बनाया था। पहले इसकी जिम्मेवारी प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता के कंधों पर डाली गई थी। परन्तु जिला पंचायत सदस्य सांसद संगम लाल गुप्ता को नॉन सीरियस मान रहे थे। प्रीति भोज तक भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता अपनी फिजा बना रहे थे, परन्तु नामांकन से पहले उनसे पार्टी ने वह दायित्व छीनकर मंत्री मोती सिंह को दे दिया


धरना स्थल पर भाजपा नेता पप्पन सिंह और मंत्री मोती सिंह में हुई तीखी नोकझोक...


मंत्री मोती सिंह की इच्छा नहीं थी कि उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की जिम्मेवारी दी जाए। क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी से पट्टी विधानसभा के चार क्षेत्र पंचायत प्रमुख के चुनाव में खलल उत्पन्न होती। इसलिये मंत्री मोती सिंह ऐसी किसी भी जिम्मेदारी से बचना चाहते थे। परन्तु अंत में घंटी उन्हीं के गले में पहनाई गई। साथ ही मंत्री मोती सिंह को पता था कि भाजपा ने जिसे अपना उम्मीदवार बनाया है उसका पति पप्पन सिंह किसी को तवज्जों नहीं देता। सामूहिक रूप से मौका पाते ही बेइज्जत अलग से कर देगा। हर ब्यक्ति लक्ष्मी नारायण पांडेय "गुरुजी" नहीं हो सकता। वर्ष-2009 के लोकसभा चुनाव में गुरुजी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया और प्रतापगढ़ के भाजपाई नेताओं ने गुरूजी को भैंस वाला इंजेक्शन लगाकर उन्हें दुह लिया। सबकुछ जानते हुए भी गुरुजी पानी के घूँट के साथ दवा की तरह निगल गए थे


अपनी ही सरकार में भाजपाईयों की ये दशा कि जिला प्रशासन के विरुद्ध धरना पर बैठना पड़े...


भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को जो आशंका थी, हुआ भी वही। भाजपा उम्मीदवार क्षमा सिंह के पति व भाजपा नेता अभय प्रताप "पप्पन सिंह" की नजर में मंत्री मोती सिंह की भूमिका संदिग्ध रही। आज जब वह जिला प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठे थे तो मंत्री मोती सिंह अपने सदर आवास पर जनता दरबार लगाए हुए थे। मंत्री मोती सिंह उसकी अपडेट अपने फेसबुक पर अपलोड किया था। पप्पन सिंह यह अच्छी तरह से समझ गए थे कि जिले के कुछ नेतागण उन्हें बलि का बकरा बनाकर उनकी राजनीति का अंत करना चाहते थे। मौका पाते ही पार्टी के भीतर पार्टी के नेताओं द्वारा जमकर भितरघात किया गया। भाजपा की दशा दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है भाजपाईयों की दशा देखकर वो कहावत याद आती है कि खाय कोहराने और भूकई लोहराने। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की उम्मीदवार की जीत के बाद मंत्री मोती सिंह और पप्पन सिंह में नोकझोंक इसकी शुरुआत है देखना है कि भाजपाई नेता कितने स्तर तक स्वयं को गिराते हैं ?

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