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बुधवार, 21 जुलाई 2021

दिल्ली के कानून मंत्री जीतेन्द्र तोमर के बाद यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की शैक्षणिक डिग्री पर उठे सवाल, आम चुनाव से पहले केशव की कारस्तानी से भाजपा के लिए खड़ी हो सकती है,मुसीबत

हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज जिसकी किसी बोर्ड से मान्यता नहीं, उसकी डिग्री लगाकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य हासिल कर लिए पेट्रोल पंप और निर्वाचन आयोग में झूठा दाखिल किये हैं,हलफनामा...!!!


अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने दाखिल किया है, परिवाद ! प्रकरण में 27जुलाई,2021को होगी कोर्ट में सुनवाई...!!!


सूबे के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी का आरोप कि फर्जी डिग्री लगाकर चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप...!!!


मिश्किल में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य...

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की शैक्षणिक डिग्री पर सवाल खड़ा हो गया है। आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने फर्जी डिग्री लगाकर चुनाव लड़ने के साथ-साथ पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप लगाया है। आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी इस मामले में स्थानीय अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत परिवाद दाखिल कर मामले की जांच कराने की मांग की है। अदालत में इस मामले की सुनवाई 27 जुलाई, 2021 को होगी। देश में यह कोई पहला मामला नहीं है कि किसी मंत्री अथवा उप मुख्यमंत्री की शैक्षिक योग्यता पर सवाल खड़ा हुआ हो ! इसके पहले वर्ष-2015 में दिल्ली के कानून मंत्री जीतेन्द्र तोमर की शैक्षिक योग्यता सहित उनकी डिग्री पर ही सवाल खड़े हुए थे और उन्हें मंत्री पद भी छोड़ने पड़े थे। उत्तर प्रदेश के फैजाबाद भी पुलिस लेकर आई थी और उनकी डिग्री ही फेंक निकली तो उन्हें जेल तक जाना पड़ा था   


केशव प्रसाद मौर्य द्वारा निर्वाचन आयोग में दाखिल हलफनामा... 

सूबे के उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी डिग्री को आधार बनाकर चुनाव में अपनी शैक्षणिक योग्यता बताई और पेट्रोल पंप भी हासिल किया। केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ कोर्ट में इस आशय की अर्जी दाखिल कर प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की गई है। प्रार्थना पत्र स्थानीय मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रस्तुत किया गया है, जिस पर कोर्ट ने संबंधित थाने से रिपोर्ट तलब की है। आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी का कहना है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ सीधे थाने में मुकदमा लिखवा पाना मुश्किल कार्य था इसलिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, प्रयागराज को उक्त के सम्बन्ध में तहरीर देकर मुकदमा लिखे जाने का पार्थना पत्र की रजिस्ट्री करके इंतजार किया, परन्तु आशा के अनुकूल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर मुकदमा लिखने की हिम्मत प्रयागराज पुलिस को न हुई। सो मजबूर होकर आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी को अदालत की शरण में जाने के लिए बाध्य होना पड़ा  


उक्त प्रकरण की सुनवाई कर रहीं एडिशनल सीजेएम नम्रता सिंह ने कैंट के थाना प्रभारी को आदेश दिया है कि इन आरोपों की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। यह भी पूछा है कि क्या इस संबंध में उनके थाने में केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ कोई मामला दर्ज है या नहीं। कोर्ट ने ऑफिस को भी निर्देशित किया है कि यह प्रार्थना पत्र 27 जुलाई, 2021 को सुनवाई के लिए नियत समय पर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। प्रयागराज के करबला में रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने यह प्रार्थना पत्र दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत कोर्ट में दिया है। अदालत से मांग की है कि इस प्रकरण में कैंट थाना के प्रभारी को आदेशित किया जाए कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर विधि अनुसार विवेचना करें।


डिप्टी सीएम एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का क्या है, पूरा मामला...???


मूलतः कौशाम्बी के रहते वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य वर्ष-2007 में प्रयागराज शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। इसके बाद भी केशव प्रसाद मौर्य कई बार चुनाव लड़े। केशव प्रसाद मौर्य सामान्य परिवार से मिलान करते हैं। संघ सहित विहिप से जुड़े रहे और किसी तरह विहिप के सर्वेसर्वा रहे अशोक सिंघल जी से केशव प्रसाद मौर्य की नजदीकियां बढ़ी और वर्ष-2014 में अशोक सिंघल ने भाजपा को मजबूर करते हुए केशव प्रसाद मौर्य को प्रयागराज के फूलपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद का उम्मीदवार बना दिया। मोदी लहर में केशव प्रसाद मौर्य सांसद बन गए और कट्टर हिन्दू छवि होने के साथ-साथ पिछड़ी जाति के नेता होने की वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश में भाजपा की बागडोर सौंप दी गई। केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ा और उसे जबरदस्त सफलता मिली।  


सूबे में भाजपा को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ। केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, परन्तु योगी आदित्यनाथ की छवि के आगे फेल हो गए। फिर भी भाजपा शीर्ष नेतृत्व उन्हें उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम सहित पीडब्लूडी जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के ऊपर आरोप है कि उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जारी प्रथम, द्वितीया आदि की डिग्री लगाई है। यह प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। इन्हीं डिग्रियों के आधार पर केशव प्रसाद मौर्य ने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप भी प्राप्त किया है। अर्जी में यह भी आरोप लगाया गया है कि शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अलग-अलग वर्ष अंकित है। इनकी मान्यता नहीं है। दिवाकर ने बताया कि उन्होंने स्थानीय थाना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर उत्तर प्रदेश,सरकार और भारत सरकार के विभिन्न अधिकारियों एवं मंत्रालयों को प्रार्थना पत्र दिया, परन्तु डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मजबूर होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।


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