मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दिल्ली पहुंच गए हैं,योगी आदित्यनाथ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से कर सकते हैं,मुलाकात...!!!
उत्तर प्रदेश में कोविड प्रबंधन को लेकर भाजपा दो धड़े में बंटी हुई नज़र आ रही है। एक धड़ा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ है तो दूसरा उनके साथ खड़ा है। इसी बीच गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को उत्तर प्रदेश भेजकर प्रधानमंत्री ने अपनी दखल दे दी है..!!!
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी... |
उत्तर प्रदेश की राजनीति में संगठन से लेकर सरकार के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए अभी कुछ दिनों पूर्व संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले लखनऊ के दौरे पर आए थे। बहुत सारे मंत्रियों और संघ के प्रमुख व्यक्तियों से मिले लेकिन योगी आदित्यनाथ लखनऊ में नहीं रहे। वह पहले ही बनारस चले गए। दत्तात्रेय ने इंतजार भी किया कि हो सके वो आए तो हम उनसे मुलाकात करें। योगी बनारस के बाद तुरंत मिर्जापुर के दौरे पर निकल गए और फिर वह गोरखपुर चले गए। अंततः दत्तात्रेय योगी से नहीं मिल पाए और वह वापस अपने अन्य प्रवास पर चले गए। अब शाह, मोदी एंड टीम के पास संघ को यह संदेश देने के लिए पर्याप्त कारण है कि देखिए आपने हमारी बात न मानकर (मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री न बनाकर) आपने जिस व्यक्ति को भगवे के नाम पर मुख्यमंत्री बनाया, आज वही आपका लोड नहीं ले रहा है।
पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह गहरी सोच में लीन... |
योगी सरकार की असफलताओं को स्पेशली जिस तरह से मीडिया ने कवर किया, उनकी जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा चली, भाजपा आईटी सेल जिस तरह से एक्टिव हुआ और तमाम राजनीतिक उठापठक हुई, ये सारे संकेत सन्देश दे रहे हैं कि भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति के विमर्श में योगी का होना बहुत कठिन है। शाह एंड टीम आगे भी हावी रहेगी। वर्ष-2022 विधानसभा चुनाव के बाद यदि भाजपा चुनाव जीतती है और सत्ता में उसकी वापसी होती है तो अबकी संघ का चहेता नहीं बल्कि शाह एंड टीम का चहेता ही मुख्यमंत्री बनेगा। संघ भी अब बैकफुट पर ही रहेगा। क्योंकि वह एक बार मोदी एंड टीम के खिलाफ फैसला लेकर टीम के सामने अपने निर्णय पर असफल हो चुका है।
हां, ये बहुत मुश्किल है कि चुनाव के पहले योगी को सत्ताहीन किया जाय ! क्योंकि यूपी का अगला चुनाव भी बहुत मुश्किल होने वाला है। एक बार फिर चुनाव योगी के सीएम रहते ही मोदी के फेस पर लड़ा जाएगा। यदि जीत मिली तो श्रेय मोदी और कोरोना नियंत्रण पर उनकी राष्ट्रीय नीति को मिलेगा और यदि हार हुई तो ठीकरा फोड़ने के लिए कोई तो बलि का बकरा चाहिए ? कारण पहले ही तैयार है। गंगा में तैरती लाशें और रेत में दफन शव। दूसरी तरफ राष्ट्रीय विमर्श में योगी आदित्यनाथ के कद घटने का सीधा फायदा शाह एंड टीम को होगा। कुल मिलाकर नुकसान योगी आदित्यनाथ का ही है। वो संघ को नाराज कर चुके हैं और शाह एंड टीम में तो वो कभी थे ही नहीं। मोदी के बाद भाजपा का पीएम चेहरा कौन ? तीन धावक अब तक मोटा-मोटी माने गए हैं। अमित शाह, नितिन गडकरी और योगी आदित्यनाथ।
भूतल परिवहन राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के कार्य से सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता भी मुक्त कंठ से नितिन गडकरी की तारीफ कर चुके हैं। वैसे संघ की बात करें तो नितिन गडकरी उसके भी सबसे अधिक प्रिय हैं और वर्ष-2019 में यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलता तो गठबंधन के लिए संघ अन्य दलों को राजी करने के लिए नितिन गडकरी के नाम को आगे करता। क्योंकि नितिन गडकरी के काम की तारीफ तो विपक्ष भी करता है। परन्तु उसकी जररूरत ही नहीं पड़ी। संभवतः नितिन गडकरी का मोदी के दूसरे कार्यकाल में पहले जैसा भाव और स्थान नहीं रहा। अमित शाह अभी भी भाजपा के सर्वश्रेष्ठ चाणक्य हैं। योगी न तो अब संघ और शाह के चहेते हैं और न ही कोई गडकरी की तरह विकास के मॉडल। ऊपर से वो किसी को कुछ समझते तो हैं नहीं। विश्लेषण यही कहता है कि लाभ किसी का हो, नुकसान तो योगी का होना तय है। खैर वो आज भी बाबा हैं और कल भी बाबा बने रहेंगे, क्योंकि वो नेता बाद में मठाधीश पहले हैं।
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