उन्यासी सदस्यीय बीडीसी में दस बीडीसी मंत्री मोती सिंह के प्रभाव में हुए हैं,निर्विरोध...!!!
 |
ब्लॉक प्रमुख पद के लिए मंत्री से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं,मंगरौरा के अखिलेश सिंह... |
जनपद प्रतापगढ़ में पंचायत चुनाव के सम्पन्न होने के बाद से जिला पंचायत अध्यक्ष पद और 17 ब्लॉक प्रमुख पदों पर चुनाव होना है, जिसके लिए लगातार उम्मीदवारों सहित राजनीतिक दलों के नेताओं सहित सांसद, विधायक और मंत्री तक माथापच्ची करते नजर आ रहे हैं। 57 सदस्य वाली जिला पंचायत में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। जोड़तोड़ का प्रयास दिन रात जारी है। फिलहाल 17 ब्लॉक में मंगरौरा, आसपुर देवसरा और शिवगढ़ ब्लॉक की प्रमुख पद पर जमकर महाभारत मचा हुआ है। सबसे अधिक दिलचस्प मंगरौरा की सीट पर है, जहाँ कैबिनेट मंत्री मोती सिंह की इज्जत दाँव पर लग गई है।
 |
लक्ष्य विहीन युवा नेता को नहीं सूझ रहा अपना राजनीतिक सफर... |
कैबिनेट मंत्री मोती सिंह अपनी राजनीति की शुरुआत मंगरौरा की प्रमुख पद से शुरू किये फिर कांग्रेस से एमएलसी निर्वाचित हुए और बाद में मौका पाकर भाजपा में शामिल होकर विधायक बने और मंत्री हुए। मंत्री मोती सिंह को मंगरौरा की प्रमुख पद अत्यधिक प्रिय है। तीन दशक से अधिक समय तक मंगरौरा प्रमुख पद पर कुंडली मारकर बैठे मंत्री मोती सिंह और उनके परिवार को वर्ष- 2015 में अखिलेश सरकार में पहला जोर का झटका धीरे से लगा। मंत्री मोती सिंह की एक न चली और मंगरौरा के प्रमुख पद को सपाइयों ने मोती सिंह से छीन लिया, जिसका मलाल मोती सिंह को आजतक है। सदर विधायक नागेन्द्र सिंह उर्फ मुन्ना यादव के नेतृत्व में मंत्री प्रो. शिवाकांत ओझा, मोती सिंह के प्रबल विरोधी इन्द्रदेव तिवारी और काशी पाण्डेय ने ऐसी ब्यूह रचना बनाई कि मोती सिंह का तिलिस्म चकनाचूर हो गया।
 |
पिता मंत्री फिर सांसद बनने का मंसूबा पालने वाले युवा नेता अब ब्लॉक प्रमुख के चक्कर में उलझे... |
पूरे घटनाक्रम में सबसे मजेदार भूमिका अजित प्रताप सिंह उर्फ मदन सिंह की रही। मदन सिंह कांग्रेस के टिकट से पट्टी विधानसभा का चुनाव वर्ष-2012 में लड़कर पहले मोती सिंह को विधायक पद से पैदल किया और बाद में अपने स्कूल के कर्मचारी कुलदीप पटेल की पत्नी कंचन पटेल को चुनाव में उतार कर मंगरौरा का प्रमुख पद भी छीन लिया। मदन सिंह भी सर्वजीतपुर के रहने वाले हैं और मंत्री मोती सिंह के परिवार से ही मिलान करते हैं। मदन सिंह की वजह से मोती सिंह को वर्ष-2012 में सपा उम्मीदवार राम सिंह पटेल शिकस्त देने में कामयाब रहे। इसी को कहते हैं कि न खायेंगे और न खाने देंगे। सबसे शर्मनाक स्थिति तब हुई जब अपने ही गाँव में मोती सिंह को मदन सिंह द्वारा हरा दिया गया।
 |
अपने फेसबुक ग्रुप पर आज भी नंदन सिंह सांसद बनने का कर रहे हैं,प्रचार... |
सूबे में विधानसभा चुनाव वर्ष-2017 में सम्पन्न हुआ तो मोती सिंह पुनः पट्टी विधानसभा से चुनाव लड़कर बहुत कंटेस्ट के साथ जीत दर्ज करा सके। जब सूबे में योगी सरकार बनी तो योगी कैबिनेट में मोती सिंह कैबिनेट मंत्री बनाये गए।सरकार बनते ही सबसे पहले ब्लॉक प्रमुख पद पर अविश्वास प्रस्ताव आना शुरू हुआ तो गौरा में मंत्री प्रो शिवाकांत ओझा के पुत्र को ब्लॉक प्रमुख के पद से हटाने के लिए रानीगंज विधायक धीरज ओझा के नेतृत्व में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और प्रमुख पद से पूर्णांशु ओझा को हाथ धोना पड़ा। कथित कद्दावर कांग्रेसी नेता प्रमोद कुमार और उनकी बेटी आराधना मिश्रा "मोना" द्वारा लालगंज प्रमुख पद पर अविश्वास प्रस्ताव लाकर रमेश प्रताप सिंह को हटा दिया गया।
अब मंत्री मोती सिंह से भी रहा नहीं जा रहा था। सबसे पहले बाबा बेलखरनाथ धाम के प्रमुख को मंत्री मोती सिंह का कोप भाजन का शिकार होना पड़ा। अब बारी आयी मंगरौरा ब्लॉक की तो मंगरौरा प्रमुख पद पर कंचन पटेल और उसके पति कुलदीप पटेल ने बड़ी चालाकी दिखाते हुए सपा सरकार जाने के बाद अपना प्रमुख पद बचाने के लिए दोनों पति-पत्नी अपना दल एस में शामिल हो गए। अपना दल एस के दो विधायक डॉ आर के वर्मा और संगम लाल गुप्ता सहित अपना दल के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह भी मंगरौरा के प्रमुख पद पर आसीन कंचन पटेल को बचाने के लिए मैदान में उतर आये। उनके सहयोग में भाजपा विधायक धीरज ओझा भी खड़े हो गए और बात इतनी बिगड़ गई कि मंगरौरा के प्रमुख पद की पंचायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के दरबार तक पहुँच गई। मन मसोस कर मंत्री मोती सिंह रह गए। पहली बार मंत्री मोती सिंह को इतनी जबर्दस्त शिकस्त विरोधियों के हाथों उनको पूरे राजनैतिक जीवन में मिली थी।
जिला पंचायत चुनाव में मंत्री मोती सिंह की पत्नी उर्मिला सिंह का टिकट भाजपा से फाइनल किया गया और महज दो घंटे में ही टिकट काट दिया गया। बड़ी जग हंसाई हुई तो मंत्री जी ने डैमेज कंट्रोल को संभालते हुए बयान दिया कि पार्टी ने टिकट बिना पूँछे दे दिया था, जबकि पत्नी अस्वस्थ हैं और ऐसी दशा में चुनाव लड़ने से उन्होंने मना कर दिया। इसलिए पार्टी ने टिकट बदल दिया। राजनीति के जानकार इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। क्योंकि टिकट उसी को दिया गया था, जिसने आवेदन किया था। इसलिए मंत्री मोती सिंह के बयान की हवा निकल गई। मंत्री मोती सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र में आने वाले सभी ब्लॉक पर अपना आदमियों को प्रमुख पद पर बैठाकर अपना दबदबा और धनार्जन करने की ब्यवस्था में ही ब्यस्त हैं।
इमानदारी से बात करें तो पट्टी विधानसभा में मंगरौरा, बाबा बेलखरनाथ धाम, पट्टी और आसपुर देवसरा में प्रमुख पद के लिए मंत्री मोती सिंह साम, दाम, दंड, भेद अपनाते हुए प्रमुख पद पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए अपनी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगा चुके हैं। चारों ब्लॉक में सिर्फ पट्टी ब्लॉक ही सुरक्षित दिख रही है। बाकी सब पर कड़ी टक्कर होने की संभावना दिख रही है। सबसे पहले मोती सिंह के हृदय के अति निकट मंगरौरा ब्लॉक पर अपने इकलौते पुत्र राजीव प्रताप सिंह उर्फ नंदन सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुवात करवाकर राजनीति में अपनी तरह प्रवेश कराना चाहते हैं। फिलाहल प्रमुख पद की राह आसान नहीं है। बहुत संजीदगी के साथ मंत्री मोती सिंह मंगरौरा के 79 बीडीसी सदस्यों में से 10 बीडीसी सदस्यों को निर्विरोध कराने में सफल अर्जित कर ली है। उसी के बल पर मंत्री मोती सिंह और उनके समर्थक नंदन सिंह को प्रमुख पद पर आसीन कराना चाहते हैं।
जबकि नंदन सिंह और उनके समर्थक सोशल मीडिया पर लोकसभा चुनाव वर्ष-2019 से ही राजनीतिक जीवन की शुरुवात के लिए प्रयासरत हैं। परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। अब देखना है कि मंगरौरा प्रमुख पद पर नंदन सिंह को सफलता मिलती है या नहीं ! फिलहाल यह कह पाना बड़ा मुश्किल है। मंगरौरा में प्रमुख पद के लिए मंगरौरा के अखिलेश सिंह भी ताल ठोंक चुके हैं। अखिलेश सिंह के आने के बाद से मंगरौरा प्रमुख पद का चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो गया है।दोनों में शह मात का खेल अभी से शुरू हो चुका है। यह शह मात का यह खेल कितना दिलचस्प होगा ये कह पाना भी अभी कठिन है। सबकी निगाहें मंगरौरा ब्लॉक प्रमुख पद के निर्वाचन पर टिकी है।
मंगरौरा विकास खंड में दस क्षेत्र पंचायत सदस्य जो हुए हो गए,निर्विरोध...
➤बरहा क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट अनारक्षित रही, जिस पर बरसाती पुत्र कोलाहल अनुसूचित जाति के निर्विरोध हुए हैं।
➤चन्दुआडीह क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट अनारक्षित रही जिस पर चन्दन सिंह पुत्र प्रमोद सिंह उर्फ मुन्ना निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
➤मदाफरपुर क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट महिला रही, जिस पर प्रिया सिंह पत्नी राजीव प्रताप सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
➤दरछुट क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट अनुसूचित जाति रही जिस पर राम शिरोमाडी पुत्र राम फेर निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
➤गंगेहटी क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट महिला रही, जिस पर आदिती सिंह पत्नी चन्दन सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
➤भदौना क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट महिला रही, जिस पर किरन सिंह पत्नी वीरन्द्र कुमार सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
➤बाहूपुर क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट अनारक्षित रही, जिस पर राजीव प्रताप सिंह उर्फ नन्दन सिंह पुत्र राजेन्द्र प्रताप सिंह "मोती सिंह" निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
➤कंधई मधुपुर द्वितीय क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट महिला रही, जिस पर रेखा देवी पत्नी सुबोध कुमार निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
➤पूरबपट्टी क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट महिला रही, जिस पर हौशिला सिंह पत्नी प्रदीप सिंह उर्फ बाले सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
➤मलाक प्रथम क्षेत्र पंचायत वार्ड के सदस्य पद की सीट अनारक्षित रही, जिस पर अरुण प्रताप सिंह पुत्र शमशेर सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें