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शुक्रवार, 11 जून 2021

यूपी के प्रतापगढ़ समेत आधा दर्जन जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने आलाधिकारियों को पत्र लिखकर अपने जिलो में राजनैतिक दबाव की वजह से "कानून का राज" कायम रख पाने में जताई असमर्थता

UPमें पुलिस अधीक्षकों पर BJP का जिला पंचायत अध्यक्ष जिताने का दबाव, आधा दर्जन जिलों में पुलिस अधीक्षकों ने पद छोडऩे के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा पत्र...
बहुमत से बहुत पीछे रहने के बाद भी सत्ताधारी दल भाजपा द्वारा जिला पंचायत सदस्य की संख्या को किसी भी दशा में मैनेज करके उत्तर प्रदेश के 60जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर जीत हासिल करने का बनाया लक्ष्य...

संकट में है खाकी का अस्तित्व...

सूबे में सूत्रों की मानें तो प्रतापगढ़ पुलिस अधीक्षक के अलावा जौनपुर, वाराणसी ग्रामीण और अमरोहा समेत आधा दर्जन जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर पुलिस विभाग के अन्य शाखा में अपनी तैनाती की मांग की है। लिखे गए पत्र में ऐसे जनपदों में कार्य करने में असमर्थता जताई गई है अब देखना यह होगा कि इतने गंभीर मामलों में सरकार क्या कदम उठाती है ? 


कानून ब्यवस्था को चुस्त व दुरुस्त रखने की जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की होती है। जिले में कानून ब्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने जिले के मुताविक पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की तैनाती करके कानून ब्यवस्था को सख्ती के साथ लागू किया जाता है और कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाती है। स्वस्थ लोकतंत्र में यदि किसी जिले का पुलिस अधीक्षक अपने उच्चाधिकारियों को पत्र लिख कर यह कहे कि उसके ऊपर राजनैतिक रूप से दबाव डाला जा रहा है और उसे स्वतंत्र होकर कार्य नहीं करने दिया जा रहा है। ऐसे में उसका तवादला वहाँ से कर दिया जाये। यह स्वस्थ लोकतंत्र में सामान्य बात नहीं है। सरकार के ऊपर यह ऐसा दाग है जो स्वस्थ लोकतंत्र को ही कलंकित करता है 


उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ समेत कई ऐसे जनपद हैं, जहां कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने वाले अधिकारियों पर नेताओं की दखलअंदाजी और दबाव इस कदर हावी हो गया है कि अब वह अपने जिले में काम नहीं करना चाहते हैं सूत्रों की बातों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में ऐसे भी जनपद हैं, जहाँ के पुलिस अधीक्षक अपने जिले में काम करने में असमर्थता जताते हुए आला अधिकारियों को पत्र लिखकर पुलिस विभाग के अन्य शाखा में तैनाती करने की मांग कर रहे हैं। प्रतापगढ़ के एसपी आकाश तोमर तो बीमारी का हवाला देकर 12 जून तक छुट्टी पर चले गए, जबकि 12 जून को रिक्त पंचायत पर है,उपचुनाव। जिसे देखते हुये प्रतापगढ़ में प्रभारी पुलिस अधीक्षक के रूप में धवल जायसवाल को चार्ज दिया गया है


जनपद प्रयागराज में धवल जायसवाल गंगापार एसपी के पद पर तैनात हैं। वह गुरुवार रात को ही प्रतापगढ़ पहुँच कर पुलिस अधीक्षक पद का कार्यभार संभाल लिया। देखना है कि तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक अब प्रतापगढ़ लौटते हैं या नहीं ? प्रतापगढ़ के तेजतर्रार एसपी अकाश तोमर भी पूर्व एसपी अनुराग आर्य की तरह छुट्टी पर चले गए। अब देखना है कि अवकाश के बाद जिले का कार्यभार संभालते हैं या फिर अनुराग आर्य की तरह अपना कहीं और ट्रांसफर करवा लेते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव का दबाव होने से जानबूझकर छुट्टी लेने की चर्चा है। राजनैतिक दबाव के चलते वह आगे की कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं बता दें कि उत्तर प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां बढ़ते अपराध को देखते हुए सरकार ने ऐसे अफसरों की तैनाती किया है, जो अपराध पर अंकुश लगाने में कामयाब भी रहे 


ऐसे ही आईपीएस अधिकारी आकाश तोमर हैं, जिन्हें प्रतापगढ़ जैसे जिले की कमान यह कहते हुए दी गई कि प्रतापगढ़ में किसी भी दशा में कानून का राज कायम होना चाहिए। जिस उम्मीद से आकाश तोमर को प्रतापगढ़ का चार्ज दिया गया उस उम्मीद को आकाश तोमर ने पूरा भी किया प्रतापगढ़ का चार्ज संभालते ही आकाश तोमर जिले भर में ताबड़तोड़ शराब माफियाओं पर कार्रवाई करके उनकी कमर तोड़ दी परन्तु बाद में राजनैतिक दबाव के चलते वह आगे की कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी वजह से अपराधियों की न तो गिरफ्तारी हो पा रही है और न ही अन्य विधिक कोई कार्रवाई ही हो पा रही है। यह घटना सामान्य नहीं है। यदि इस पर समय रहते योगी सरकार अंकुश न लगाया तो विधानसभा चुनाव-2022 में इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे   


वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखने की शायद यही वजह है कि अब एसपी प्रतापगढ़ जिले की कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित जरूर है, लेकिन पखवाड़े भर से उनकी सक्रियता काफी कम हुई है जिसका नतीजा रहा कि गुड्डू सिंह नाम का शराब माफिया पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया और आगे भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। सूत्रों की माने तो खाकी और खादी के गठजोड़ से अपराधियों पर अंकुश लगाना पुलिस अधीक्षक के लिए एक बड़ी चुनौती है शायद यही वजह है कि ईमानदार पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ अपनी अलग छवि को लेकर चिंतित हैं और प्रतापगढ़ जिले को छोड़ने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। उन्होंने भी पत्र लिखकर जिले से ट्रांसफर करने की मांग की है।


उच्चाधिरियों को चिट्‌ठी लिखने वालों में बुंदेलखंड जिले की एक महिला कप्तान भी शामिल हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष की पार्टियां जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर अधिक दबाव बना रही हैं। जिससे आगामी चुनाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। योगी राज में कानून का डंका बजाने वाले स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का सारा दावा फेल नजर आ रहा है क्योंकि पुलिस के अफसर इटावा जिले में भी कप्तानी करने से कतरा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन का कहना है कि जिले में तैनात अफसरों को किसी भी तरीके का दबाव नहीं लेना चाहिए। अगर वह दबाव में रहकर इस तरीके की इच्छा जता रहे हैं और जिले में तैनात रहना नहीं चाहते हैं तो यह सरासर नाकामी है। 


भाजपा को सबसे कड़ी टक्कर समाजवादी पार्टी से मिल रही है, जिससे अधिकारियों में दबाव की स्थिति बनी हुई है। अधिकारियों के मन में इस बात की दहशत रहती है कि यदि सूबे में सत्ता बदलती है तो कहीं उसे न नुकसान उठाना पड़े। पूर्व डीजीपी ए के जैन का मानना है कि अमूमन सत्तारूढ़ पार्टी और अन्य विपक्षी दल के नेता दबाव बनाते ही हैं। ऐसे दबाव में न आकर जिले में तैनात अफसरों को कानूनी कार्रवाई करते हुए कानून व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। चुनाव में कौन जीता, कौन हारा है, यह फैसला उनके हाथ में नहीं होता है, न ही उनको ऐसे दबाव में रहकर किसी भी तरीके का कार्य करना चाहिए। जिले से मिल रही अफसरों की शिकायत पर गृह विभाग में मंथन किया जा रहा है। माना जा रहा है जल्द ही कुछ जिलों के एसपी और डीएम के तबादले किए जाएंगे। इनमें वह जिले भी शामिल हैं, जिन्होंने जिले में ना रहते हुए साइड पोस्टिंग या अन्य जिले में तैनाती की इच्छा जताई है।    


सूबे में सत्तारूढ़ दल भाजपा पंचायत चुनाव में भले ही उसे जिला पंचायत सदस्य की सीट कम मिली है, फिर भी सत्ताधारी दल होने की वजह से भाजपा 60 जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए ताकत झोंकी है। भाजपा सरकार और संगठन की बैठक में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में से 60 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। जिसको लेकर भाजपा संगठन और सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं विपक्षी दल सपा-बसपा ने भी पूरी ताकत लगा दी है। इसके अलावा कांग्रेस भी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए सक्रिय हो गई है। पंचायत चुनाव में भाजपा की रणनीति है कि वह सबसे पहले निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों को अपने संगठन और विधायक एवं सांसदों के द्वारा उन्हें अपने पाले में करने की है और जो न माने उसे पुलिस के डंडे से अपने पाले में करके जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन होना है। चूँकि निर्णायक भूमिका में निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य ही हैं

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