देश में डेल्टा प्लस दस्तक दे चुका है, मौते भी लगातार हो रही हैं, सरकार और वैज्ञानिकों ने कोरोना के तीसरे फेस के आने की बात जानते हुए भी उसके लिए अभी से कोई तैयारी नहीं कर रहे हैं,बल्कि उल्टे संक्रमण को बढ़ावा देने के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं...!!!
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणाम के बाद लॉक डाउन का समय थोड़ा-थोड़ा कर बढ़ाया गया । योगी की टीम-11 से टीम -9में तब्दील हो गई । फिर भी कोरोना संक्रमण से लेकर पंचायत चुनाव तक योगी की भ्रष्ट और अकर्मण्य नौकरशाही सुधरने की बजाय पूरी तरह से विफल रही...!!!
सबसे अधिक लॉकडाउन की गाइडलाइन का उल्लंघन सत्तापक्ष के नेताओं ने किया... |
जब लोग मर रहे थे तो जिम्मेदारों ने जिम्मेदारी लेने की बजे आपस में जुबानी जुमला चला रहे थे। कोर्ट ने तो सरकार को यहाँ तक बोल दिया था कि बहुत हो गया। अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका है। पानी सर से ऊपर जा चुका। पता नहीं और क्या, क्या देखना और सहना होगा ? अब कोर्ट धृतराष्ट्र बनकर महाभारत का युद्ध देख रही है जो जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए खुलेआम जिला पंचायत सदस्यों की खरीद फरोख्त के लिए बकायदा दरबार सज रहे हैं और मध्य रात्रि तक पार्टियां आयोजित हो रही हैं...!!!
लॉकडाउन की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेतागण... |
जिला पंचायत अध्यक्ष पद और क्षेत्र पंचायत प्रमुख पद के लिए जिस तरह से पूरे सूबे में सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा सहित अन्य राजनीतिक दलों कोरोना संक्रमण काल के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है, वह समाज और देश हित के लिए कदापि उचित नहीं है। अपना जिला पंचायतों में बोर्ड बनाने की चाहत में जिस तरह सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनधियों ने कोरोना संक्रमण काल के लिए बनाई गई गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रहे उससे यह नहीं लगता कि ये नेतागण अपने स्वार्थ के अतिरिक्त समाज और देश हित के विषय में कुछ सोचते और करते भी हैं।
देश में पांच विधानसभाओं के चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही कोरोना संक्रमण काल की सारी गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए देश की सभी राजनीतिक पार्टियां रैली और जनसभाओं के लिए निकल पड़े और जमकर भीड़ बटोरी भीड़ में न तो निर्धारित दो गज सामाजिक दूरी का ख्याल रखा गया और न ही संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगाने का ध्यान दिया गया। सबसे खराब दशा पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव में हुई। स्वयं देश के प्रधानमंत्री और देश के गृहमंत्री तक कोरोना संक्रमण काल को नजरंदाज करके बड़ी से बड़ी रैलियों को संबोधित किया था।
इसीबीच उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया। हालाँकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के पक्ष में नहीं थी,परन्तु इलाहाबाद उच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश की आदेश के क्रम में सूबे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिए बाध्य होना पड़ा। शेर की दहाड़ सरीखे गर्जना करने वाले सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ जी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणाम आते ही उन्हें सांप सूंघ गया। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए शुरू में कर्फ्यू/लॉक डाउन का विरोध करने वाले योगी जी अब लॉक डाउन मामले में शांत पड़ गए। योगी महराज की पुलिस तो सिर्फ गरीब लोगों को अपना शिकार बनाती है और उसका चालान करके सरकार की तिजोरी भरती है। नेताओं के गिरेबान पर हाथ डालने की पुलिस हिम्मत ही नहीं जुटा पाती। यही हकीकत है।
सूबे के मुखिया योगी जी लॉक डाउन के मामले में शांत ही नहीं पड़े, बल्कि साप्ताहिक 3 दिन के लॉक डाउन के साथ 2 दिन और लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा करके गुलाटी मार गए हैं। उसके बाद से फिर तो एक-एक सप्ताह का लॉक डाउन बढ़ाया जाने लगा। पहले 17 मई किया गया, फिर 24 मई किया गया फिर 31 मई किया गया। पूरा मई लॉक डाउन की भेंट चढ़ गया। 1 जून से 5 दिनों के लिए लॉक डाउन में ढील दी गई और 2 दिनों की साप्ताहिक बंदी जारी है। जिसका कोई मतलब नहीं रह गया है। फिलहाल 2 दिनों की साप्ताहिक बंदी की हकीकत देख लेने से योगी सरकार के निर्णय पर तरस आता है। चूँकि 50 फीसदी दुकानें खुलने लगी हैं और 70 फीसदी ट्रैफिक सड़क पर रहता है। फिर ये कैसी साप्ताहिक बंदी ?
सही मायने में देखा जाए तो सबसे अधिक नियम कानून की कोई धज्जियाँ उड़ाता है तो उसमें पहले स्थान पर जनप्रतिनधि आते हैं। अभी देश में कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुई कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव का विगुल बज गया। जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख पद के चुनाव में जीते हुए सदस्यों की प्रीति भोज पार्टी खुलेआम होने लगी। उसमें निर्धारित दो गज की सामजिक दूरी और मास्क की अनिवार्यता को दर किनार करते हुए मध्य रात्रि तक पार्टियां हो रही हैं। जिला प्रशासन उनकी चाकरी में लगा रहता है। जिला प्रशासन की औकात नहीं कि ऐसे आयोजनों में जाकर दो शब्द बोल सके। ऐसे आयोजने को जिला प्रशासन रोकेगा, ऐसी धारणा मन में लाना ब्यर्थ है।
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में जो इजाफा हुआ और लोग बेहिसाब मौत के गाल में समाते गए, उसके लिए हाईकोर्ट कम जिम्मेदार नहीं है। तब तो हाईकोर्ट अवमानना की चाबुक दिखा रही थी। यही नहीं जब पंचायत चुनाव रोकने की रिट दाखिल हुए तो यही हाईकोर्ट उसे खारिज कर दिया। कहा कि चुनाव को नहीं रोका जा सकता है। फिर जब सब सत्यनाश हो गया तो हाईकोर्ट ने योगी सरकार को आदेश जारी कर लॉक डाउन वो भी 5 शहरों में 6 दिनों के लिए लगाने को कहा। योगी सरकार भी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई और स्थगनादेश ले आई। हाईकोर्ट तो अपना वजूद खुद खत्म किया। सरकार और न्यायपालिका में वर्चस्व को लेकर जंग छिड़ जाए तो जान लीजिये कि उस देश और संविधान का सत्यानाश ही है।
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