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गुरुवार, 24 जून 2021

लोजपा संस्थापक राम विलास पासवान को समय रहते लोजपा का उत्तराधिकारी घोषित न करना उसके फूट का कारण बना

लोजपा के उत्तराधिकार प्रकरण की लड़ाई में अन्ततः होगी चिराग पासवान की जीत...!!!

चिराग पासवान ने अपनी माँ को प्रेस कांफ्रेंस में उतार कर राजनीतिक दिग्गजों को छुड़वाया पसीना...!!!

 अपनी माँ रेखा पासवान के साथ प्रेस कांफ्रेंस में चिराग पासवान...

काफी दिनों से लोक जनशक्ति पार्टी में हो रही उठापटक को देख रहा हूँ राजनीति का मुझे जितना अनुभव हैउसके आधार पर मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ चिराग के चाचा और उनके सहयोगी सांसद बचे हुए वर्षो की मलाई भले ही काट लें, लेकिन उसके बाद उनका हश्र क्या होगा ? उनका क्या राजनीतिक भविष्य है, वो मुझे साफ-साफ दिख रहा है ? निश्चित तौर पर चिराग के लिए आने वाला समय और बुरा हो सकता है और राह इससे भी खराब हो सकती है। फिलहाल चिराग पासवान ये संघर्ष बिना घबराये और बिना चिंता किये कर लिये तो बिहार के राजनीति में उनका भविष्य उज्ज्वल है।   

लोजपा नेता चिराग पासवान...

राजनीति में भी परिवारवाद हमेशा हावी रहा, चाहे वह मुलायम सिंह यादव का रहा हो अथवा लालू प्रसाद यादव का रहा हो ! दोनों क्षत्रपों ने समय रहते अपना उत्तराधिकार घोषित कर भविष्य के झगड़े को खत्म कर दिया,परन्तु बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान अपने जीवन काल में लोजपा का उत्तराधिकारी न बना सके। हालाँकि राम विलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को राजनीतिक उठापटक के बीच हर निर्णय लेने में अपने साथ रखते थे और जनमानस में चिराग ही सर्वमान्य नेता हैं। आज भले ही उनके सामने राजनीतिक उठापटक का खौफनाक दृश्य खड़ा है,परन्तु कल जनमानस में चिराग ही लोजपा के नायक बनेगे। फ़िलहाल इसके लिए चिराग पासवान को संघर्ष करना होगा और अपने बुरे समय के खत्म होने का इन्तजार करना होगा

 

लोजपा संस्थापक स्व.राम विलास पासवान...

चिराग पासवान बहुत ही पढ़े लिखे और दूर की सोचने वाला नेता है यकीन मानिये बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने की हिम्मत दिखाना कोई सामान्य बात नहीं थी और यदि राम विलास पासवान की असामयिक निधन न हुआ होता तो तश्वीर कुछ और ही होती । रामविलास पासवान की विरासत को आगे ले जाने का काम सिर्फ चिराग ही कर सकता है बाकी जो उनके भाई और चाचा है, ये सब सिर्फ मलाई ही खाये हैं सच यह है कि ये सब बिना उस मलाई के रह भी नहीं सकते इनका न तो कद है और न ही इनकी जनता में पैठ है कि वो संघर्ष कर सके। चिराग अपने कथित चाचा नितीश कुमार के बिछाये जाल में फंस गए अब वो इस निर्णय से पीछे भी नहीं जा सकते हैं। साथ ही उन्होंने अपनी राजनीतिक भविष्य की कीमत भी लगा दी है ऐसे में चिराग के हालात वर्तमान में तो ठीक नहीं दिख रहे हैं।


लीड रोल में हमेशा रहे हैं,चिराग पासवान...

लोजपा संस्थापक राम विलास पासवान का खून चिराग पासवान में है तो वह कुछ तो असर दिखायेगा चिराग ने बड़ी सूझबूझ के साथ बड़ी चतुराई से अपनी मम्मी रेखा पासवान को आगे कर दिया, ताकि जो कुछ लोग इधर उधर तात्कालिक लाभ की सोच रहे हो वो पार्टी में वापस आ जाये चिराग अब कोई बच्चे नहीं है वह अब एक सुलझे हुए नेता बन चुके हैं अगर उन्होंने अपनी माता का चेहरा आगे करके मेहनत करते गए तो उनका राजनीतिक भविष्य बेहद शानदार होगा चिराग पासवान में एक बात और भी है वह है, उनकी बातचीत करने का अन्दाज चिराग पासवान की बातचीत का अंदाज बिहार की जनता को बहुत पसंद आता है नेता उसी को कहा जा सकता है, जिसमें नेतृत्व करने की क्षमता हो ! वह जो बात करे तो उसका असर जनता में हो हालांकि अभी कानूनी दांवपेंच का खेल चल रहा है और लोजपा के उत्तराधिकार की लड़ाई लंबी खिंचने वाली है फिलहाल चिराग ने इसका बिगुल बजा दिया है क्योंकि ये मामला उनकी संवेदना से जुड़ा है और पिता की विरासत के रूप उसको वो संजो के रखना भी चाहेंगे।

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