टीएमसी में फूट डालकर भाजपा के रणनीतिकार पश्चिम बंगाल में सत्ता हथियाने चले थे जो भाजपा शीर्ष नेतृत्व के लिए महज सपना ही रह गया...!!!
सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने बंद पिजड़े का तोता करार दिया था,फिर भी इतनी तल्ख टिप्पणी के बाद भी सीबीआई का बेजा इस्तेमाल होना बद्स्तूर जारी है...!!!
पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के बाद TMC से BJP में शामिल मुकुल रॉय की घर वापसी कराकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा शीर्ष नेतृत्व को उनकी औकात बता दिया कि जो वो कर सकते हैं,उसे वह भी कर सकती है ! मुकुल रॉय की घर वापसी करके जोर का झटका धीरे से दिया...
पश्चिम बंगाल में वामपंथियों का किला ध्वस्त करके वर्ष-2011 में पहली बार मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी ने सियासत में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। बंगाल की सत्ता पक्ष की राजनीति शुरू से ही आक्रामक रही है। वहाँ विपक्ष को तहस-नहस करने की परंपरा रही है। वामपंथियों ने ममता बनर्जी की पार्टी के अनगिनत कार्यकर्ताओं की हत्या की थी। ममता ने बहुत कष्ट झेलकर सत्ता पायी है। बंगाल में एक अराजक समूह है जो कि सत्ता पक्ष के लिए काम करता है, यदि उसपर सत्तापक्ष अंकुश लगाता है तो वह सत्ता पक्ष को ही खत्म कर देता है। इसलिए ममता लाख बयान दें कि वह अराजकतत्वों पर अंकुश लगाएंगी परंतु ऐसा कुछ भी सत्य नहीं होना है।
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने दार्जलिंग और आसनसोल की शीट जीती थी। जिसमें आसनसोल के सांसद केंद्रीय मंत्री बने। नारदा स्टिंग में टीएमसी के 14 नेता फंस गए। जिसमें नंबर दो के नेता मुकुल रॉय ने कैमरा के सामने कहा था कि पैसा फला आईपीएस को पहुंचा देना जबकि शुभेंदु अधिकारी पैसा लेते पकड़े गए थे। नारदा केस की जांच सीबीआई ने करना शुरू किया तो नंबर दो के नेता मुकुल रॉय ने ममता का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद ममता ने पार्टी में नंबर दो की जिम्मेदारी शुभेंदु अधिकारी को दे दी। लोकसभा चुनाव 2019 में मुकुल रॉय ने बीजेपी को दो सीट से अठारह सीट पर पहुंचा दिया। अब नरेंद्र मोदी को बंगाल की सत्ता दिखाई देने लगी।
नारदा केस में सीबीआई ने सबमिशन लगाया कि मुकुल रॉय कैमरा के सामने पैसा लेते नहीं पकड़े गए हैं, उन्होंने एक आईपीएस को पैसा देने को कहा था। अतः अभी तक साक्ष्य नहीं मिल पाया है। (भविष्य में साक्ष्य मिलेगा तो प्रस्तुत किया जाएगा। अर्थात मुकुल रॉय बीजेपी से बगावत करें तो सीबीआई भविष्य में सबूत खोजकर लाने को स्वतंत्र रहे।) अतः मुकुल रॉय के विरुद्ध मुकदमा न चलाया जाए। विधानसभा चुनाव- 2021 के छः महीने पहले शुभेंदु अधिकारी भी बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद ममता ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को पार्टी में नंबर दो की जिम्मेदारी सौंप दी। सीबीआई ने शुभेंदु अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति मांगी थी, मगर शुभेंदु अधिकारी को बीजेपी पहले ही पार्टी में लेने की मंशा रखती थी।
इसलिए लोकसभा अध्यक्ष ने शुभेंदु अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी है। बंगाल में बीजेपी सतहत्तर शीट ही जीत सकी। ममता ने स्पष्ट बहुमत से सरकारी बनाई और बीजेपी कार्यकर्ताओं को अराजकतत्वों ने परेशान भी किया। शुभेंदु अधिकारी को विपक्ष का नेता बना दिया गया, जिससे मुकुल रॉय असंतुष्ट हुए या मुकुल रॉय को महसूस हुआ कि अब उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट चुका है। उन्होंने खुद को नारदा केस से बरी समझ लिया है, जबकि ऐसा नहीं है। सियासत किसी को क्लीन चिट नहीं देती है। ममता को अब किसी की जरूरत नहीं थी, लेकिन वह भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए बीजेपी मुक्त बंगाल बनाना चाहती हैं। इसलिए अपने पहले बागी को ही अपने पक्ष में करके बीजेपी को संदेश दे दिया है कि भविष्य में और लोग भी घर वापसी करेंगे। बीजेपी को बंगाल सियासत की प्रवृत्ति को देखते हुए केंद्र की शक्ति के बल पर तांडव करना चाहिए। यदि बीजेपी ऐसा नहीं करेगी तो भविष्य में पुनः एक या दो सीट पर पहुंच जाएगी।
प्रस्तुति :- सुशान्त शेखर तिवारी
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