लालगंज से सुखपाल नगर तक लगे कैमरे खंगालने के बाद पुलिस के हाथ नहीं लग सका ऐसा क्लू जिससे तय हो सके कि पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव को लालगंज से कोई कर रहा था,पीछा...!!!
जानबूझकर मीडिया के कुछ साथियों ने पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की मौत को पहले संदिग्ध मौत करार दिया और दूसरे दिन उसे दबाव बनवाकर पुलिस प्रशासन के समक्ष सुलभ की पत्नी रेणुका से दिलवाई हत्या की तहरीर जिस पर दर्ज हुआ अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा...!!!
पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव संचालित करते थे,व्हाट्सएप का एक ग्रुप ! नाम था, ABPन्यूज बीच में चैनल की तरफ से प्रतिबन्ध लगाने पर बदलना पड़ा था ग्रुप का नाम ! रिपोर्टर सुलभ श्रीवास्तव रखकर अपने नाम की पहचान बनाने की चली थी,चाल...!!!
पत्रकार सुलभ की इसी इमेज ने लोगों के मन में संशय का किया बीजारोपण...
वक्त बीतते देर नहीं लगता। मृतक पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव को आज एक सप्ताह दिवंगत हुए हो गए। मृतक पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के साथ 13 जून, 2021 की शाम शराब की पार्टी के बाद शराबी पत्रकारों में दहशत का माहौल है। पहले की तरह कवरेज के लिए एक टीम बनाकर जाने वाले पत्रकार अब एक दूसरे को कवरेज के लिए संपर्क तक नहीं कर रहे हैं। शाम को साथ में शराब पीने की बात सोचना भी तो दूर की बात हो गई। अब तो कोई पत्रकार अपने उस साथी को फोन करने के पहले सौ बार सोचता है, जो शराबी किस्म का है। उसके मन में भय समा गया है कि कहीं फोन करूं और कल को कोई बात उसके साथ हो जाए तो अनायास लेने के देने पड़े। इसलिए सुलभ श्रीवास्तव की मृत्यु के बाद से शाम को होने चखना और शराब वाली बैठकी शराबी पत्रकारों ने स्थगित कर रखी है। बहुत अधिक इच्छा होने पर अकेले ही उसकी पूर्ति कर रहे हैं।
समाज की नजर में शराबी पत्रकारों की बड़ी किरकिरी हुई। कुछ शराबी पत्रकारों ने शराब के नशे में पत्रकारिता जगत को तहस नहस करके रख दिया। सुलभ की घटना से प्रतापगढ़ में शराबी पत्रकारों ने अस्पताल से लेकर अस्पताल के बाहर तक अपनी काबिलियत का ऐसा परिचय दिया कि पत्रकारों के प्रति थोड़ी बहुत जो संवेदनाएं बची थी,वो भी नष्ट हो गई। जो लोग सुलभ श्रीवास्तव को अस्पताल में देखने गए थे, वो वहाँ का नजारा देखकर दंग रह गए। क्योंकि शराब के नशे में मीडिया से जुड़े कुछ शराबी किस्म के लोग अपने साथी पत्रकारों पर यह आरोप लगा रहे थे कि जिले की मुंडू गैंग ने सुलभ श्रीवास्तव को ले जाकर मरवा दिया। जब साथी पत्रकार ये आरोप दूसरे साथी पत्रकार के खिलाफ लगाने लगे तो सुलभ की पत्नी के मन में तो सवाल उठना लाजिमी है।
जिला अस्पताल जो अब प्रतापगढ़ मेडिकल के नाम से जाना जाता है,उसकी इमरजेंसी में सुलभ की मृत शरीर जिसने देखा और मौके पर साथी पत्रकार मनीष ने जो फोटो खींचकर सोशल मीडिया में पोस्ट किया, उस पर सभी सवाल खड़ा कर रहे थे कि दुर्घटना हुई तो कपड़े क्यों नहीं फटे ? सबसे कचोटने वाला सवाल कि सुलभ को अर्द्ध नग्न किसने किया ? यानि उसके शरीर पर से कपड़े किसने उतारे ? ये सब सवाल का एक ही जवाब है कि मौके पर जब ईंट भट्ठे के मजदूर पहुँचे तो सुलभ दर्द से कराह रहे थे। बाइक दाहिने तरफ गिरी थी तो सुलभ बाई तरफ गिरे थे। सुलभ की बेचैनी और चोट को देखने के लिए ईंट भट्ठे के मजदूरों ने कपड़े उतार कर उसकी वेचैनी दूर करने की कोशिश की थी। ऐसा मजदूरों ने बताया है। दुर्घटना में पहुँचने वाला ब्यक्ति मदद करने के लिए इसीलिए सौ बार सोचता है। क्योंकि मदद करने पर उल्टे मददगार को ही घेरा जाता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट मददगार के लिए छूट दे रखी है।
फिलहाल पुलिस ने वादी की तहरीर पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया और अब वादिनी का बयान भी दर्ज कर लिया है,परन्तु पुलिस की हर एंगल की जाँच में सुलभ की मौत सिर्फ और सिर्फ दुर्घटना से ही लग रही है। दो साथी पत्रकारों के बयान और ईंट भट्ठे के मजदूरों के बयान ने स्थिति स्पष्ट कर दी। जो थोड़ा बहुत संशय भी मन में था, उस संशय को सुखपाल नगर CHC गेट के पास पान का दुकानदार ने खत्म कर दिया। कुछ सवाल जो सबके मन में संशय के बीच बो रहे थे वो सवाल थे कि सुलभ के मोबाइल फोन का पैटर्न लॉक किसने खोला ? इस संशय से भी पर्दा हट गया, क्योंकि सुलभ अपने फोन से अपनी पत्नी और साथी पत्रकार रोहित सिंह के मोबाइल पर फोन किया था। तभी तो रोहित और मनीष घटना स्थल पर पहुँचे थे। यही नहीं सुलभ की पत्नी रेणुका भी दो बार सुलभ के नम्बर पर फोन किया था,परन्तु सुलभ बात करने की स्थिति में नहीं था। लिहाजा साथी पत्रकार मनीष ने फोन पिक किया और जिला अस्पताल पहुँचने के लिए सलाह दिया था।
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