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सोमवार, 21 जून 2021

क्षेत्र पंचायत आसपुर देवसरा और उसके प्रमुख का इतिहास

प्रतापगढ़ जनपद में 17विकास खंड में एक विकास खंड का नाम आसपुर देवसरा है...!!!

आइये जाने कि आसुपुर देवसरा के विकास खंड का इतिहास और उसके प्रमुखों की पृष्ठभूमि...!!!

क्षेत्र पंचायत आसपुर देवसरा प्रतापगढ़ का प्रवेश द्वार...

जनपद प्रतापगढ़ में कुल 17 विकास खंड है, जिनमें एक विकास खंड आसपुर देवसरा है विकास खंड को ब्लॉक भी कहा जाता है और इसका संचालन खंड विकास खंड अधिकारी और क्षेत्र पंचायत प्रमुख मिलकर करते हैं। खंड विकास अधिकारी नौकरशाह होता है तो वहीं क्षेत्र पंचायत प्रमुख जनता का निर्वाचित प्रतिनिधि होता है क्षेत्र पंचायत प्रमुख को ब्लॉक प्रमुख तो विकास खंड अधिकारी को वीडिओ कहते हैं। पट्टी विधानसभा क्षेत्र में मंगरौरा, बाबा बेलखरनाथ धाम, पट्टी और आसपुर देवसरा विकास खंड के क्षेत्र आते हैं। पट्टी और आसपुर देवसरा का सम्पूर्ण क्षेत्र तो मंगरौरा, बाबा बेलखरनाथ धाम का आंशिक क्षेत्र पट्टी विधान सभा क्षेत्र का हिस्सा है इसी आसपुर देवसरा क्षेत्र से विधायक राम लखन यादव पट्टी के सपा दो बार विधायक निर्वाचित हुए। 

कार्यालय-विकास खंड आसपुर देवसरा,प्रतापगढ़... 

जनपद प्रतापगढ़ में कुल 17 विकास खंड है, जिनमें एक विकास खंड आसपुर देवसरा है विकास खंड को ब्लॉक भी कहा जाता है और इसका संचालन खंड विकास खंड अधिकारी और क्षेत्र पंचायत प्रमुख मिलकर करते हैं। खंड विकास अधिकारी नौकरशाह होता है तो वहीं क्षेत्र पंचायत प्रमुख जनता का निर्वाचित प्रतिनिधि होता है क्षेत्र पंचायत प्रमुख को ब्लॉक प्रमुख तो विकास खंड अधिकारी को वीडिओ कहते हैं। पट्टी विधानसभा क्षेत्र में मंगरौरा, बाबा बेलखरनाथ धाम, पट्टी और आसपुर देवसरा विकास खंड के क्षेत्र आते हैं। पट्टी और आसपुर देवसरा का सम्पूर्ण क्षेत्र तो मंगरौरा, बाबा बेलखरनाथ धाम का आंशिक क्षेत्र पट्टी विधान सभा क्षेत्र का हिस्सा है इसी आसपुर देवसरा क्षेत्र से विधायक राम लखन यादव पट्टी के सपा तीन बार विधायक निर्वाचित हुए।  

आसपुर देवसरा की ब्लॉक स्थापित होने के बाद ब्लॉक प्रमुख पद पर सबसे अधिक समय तक डॉ० सभाजीत सिंह आसपुर देवसरा के ब्लॉक प्रमुख रहे। पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजाराम पाण्डेय ने अपनी राजनीति की शुरुआत आसपुर देवसरा से प्रमुख का चुनाव लड़कर किया था। उस समय कोऑपरेटिव के डेलीगेट भी ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में भाग लेते थे, मगर राजाराम पाण्डेय ने चुनाव लड़ने का विलम्ब से निर्णय लिया था। वह डेलीगेट नहीं बना सके थे। अतः डॉ. सभाजीत सिंह के हाथों पराजित हुए। महादेव प्रसाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य स्वर्गीय अवध नारायण पाण्डेय ने भी प्रमुख के पद को सुशोभित किया। वह हिंदी के प्रकांड विद्वान थे। आसपुर देवसरा की राजनीति में वह ब्राह्मणों के सम्मानित चेहरा थे। विधानसभा व लोकसभा की राजनीति में तमाम ब्राह्मण उनसे सुझाव लेने जाया करते थे। गौरामाफी में उन्होंने आदर्श मुनीश्वर संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की जो कि ब्लॉक का इकलौता संस्कृत का एडेड महाविद्यालय है। 

डॉ० सभाजीत का तिलिस्म नब्बे के दशक से समाप्त हो गया। वह मात्र ब्लॉक में कांग्रेस के मार्गदर्शक तक बनकर सीमित रह गए। जब कोई कांग्रेस से विधानसभा का टिकट पाता है तो वह ढकवा बाजार में डॉ० सभाजीत के होमियोपैथिक क्लिनिक पर जाकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करता है। अन्य पार्टियों के नेता भी उनसे औपचारिक मुलाकात करते हैं। क्योंकि आसपुर देवसरा विकास खण्ड के वह कई दशक तक ब्लॉक प्रमुख रहे और उनका रिकॉर्ड तोड़ पाना बहुत कठिन है। जिस पद को डॉ० सभाजीत सिंह और विद्वान डॉ० अवध नारायण पाण्डेय ने सुशोभित किया, उस पद पर वर्ष-1995 में प्रोफेसर शिवाकांत ओझा ने ढकवा के मिठाई के विक्रेता जीतलाल की धर्मपत्नी प्रकाशवती को भाजपा से चुनाव लड़ा दिया। प्रकाशवती निरक्षर थी, वह अंगूठा लगाया करती थी। वह चुनाव जीत गयी और क्षेत्र में चर्चा का विषय रहा कि एक प्रोफेसर ने एक अंगूठाछाप को ब्लॉक प्रमुख बना दिया। यह क्षेत्र की चर्चा की बात है। इसलिये जिक्र करना आवश्यक था। 

प्रोफेसर शिवाकांत ओझा वर्ष-1996 में पट्टी छोड़कर बीरापुर चले गए तो पट्टी की सियासत राजेन्द्र प्रताप उर्फ मोती सिंह के जिम्मे आ गयी। वर्ष-2000 में राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह विधायक पट्टी ने क्षेत्र के एक सम्मानित क्षत्रिय बीडीसी को भाजपा से ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ाया। अस्सी के दशक में अपनी हार से निराश रहे राजाराम पाण्डेय जो कि वर्ष-2000 में उत्तर प्रदेश सरकार में गड़वारा के विधायक की हैसियत से मंत्री थे। उनके भतीजे देवेंद्र नाथ पाण्डेय सपा के टिकट से आसपुर देवसरा का प्रमुख पद का चुनाव लड़ गए। देवेन्द्र नाथ पाण्डेय ने भाजपा के प्रत्यासी को परास्त कर दिया। इस तरह देवेंद्र नाथ पाण्डेय आसपुर देवसरा के ब्लॉक प्रमुख बन गए। यह तत्कालीन पट्टी विधायक मोती सिंह के लिए आसपुर देवसरा की सियासत में बहुत बड़ा झटका था। 

पंचायत चुनाव में आरक्षण की ब्यवस्था प्रत्येक पांच वर्ष में चक्रानुक्रम के तहत बदली रहती है और सूबे में जिसकी सरकार होती है वह आरक्षण में दखल देकर अपने हिसाब से आरक्षण तय कराता है। वर्ष-2005 में आसपुर देवसरा का प्रमुख पद ओबीसी आरक्षित हो गया तो भाजपा विधायक व पूर्व कृषि राज्य मंत्री मोती सिंह ने सपा से आयातित बिनैका के पूर्व प्रधान व वर्ष-2000 में आसपुर देवसरा द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य सभापति यादव की पत्नी माधुरी यादव को भाजपा का टिकट दे दिया। राजाराम पाण्डेय व उनके भतीजे निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख देवेंद्र नाथ पाण्डेय ने अजय गिरी की पत्नी निर्मला गिरी को चुनाव लड़ाया। राजाराम पाण्डेय ने देवेंद्र नाथ पाण्डेय को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपा। कांटे के मुकाबले में मात्र कुछ वोट से निर्मला गिरी चुनाव हार गईं और माधुरी यादव भाजपा से विजयी रहीं। 

वर्ष-2007 में अजय गिरी और उनके बड़े पुत्र की हत्या हो गयी और आसपुर देवसरा की सियासत से एक बड़े चेहरे का अंत हो गया। वर्ष-2008 में माधुरी यादव ने अपने पति सभापति यादव के साथ भाजपा छोड़ दिया। जब किसी पद का आरक्षण हो जाता है तो आरक्षित वर्ग के लोग ही तटस्थ रहकर उसमें प्रतिभाग करते हैं।सामान्य वर्ग से वही मतलब रखता है जिसका उसमें कुछ नफा नुकसान रहता है वर्ष-2010 में आसपुर देवसरा का प्रमुख पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ। बीजेपी ने नौकरशाह दातादीन पासी की पुत्रवधू पूजा पासी को चुनाव लड़ाया और पूजा पासी ब्लॉक प्रमुख बनी। वर्ष-2015 में पूजा पासी ने भी भाजपा छोड़ दी। वर्ष-2015 का प्रमुख पद सामान्य महिला आरक्षित रहा। पूर्व प्रमुख माधुरी यादव ने सपा के टिकट से लड़कर भाजपा प्रत्यासी सालिकराम शर्मा की बहू को परास्त किया। 

अब आते हैं वर्तमान परिदृश्य पर। इस बार यानि वर्ष-2021 में आसपुर देवसरा के ब्लॉक प्रमुख का पद ओबीसी के लिए आरक्षित है। बाबा बेलखरनाथ धाम के पूर्व प्रमुख कमलाकांत यादव को भाजपा की तरफ से आसपुर देवसरा प्रमुख पद के चुनाव के लिए आयातित किया जा सकता है। क्योंकि उन्हें पर्वतपुर सुलेमान से निर्विरोध बीडीसी बनाया गया है। भाजपा उन्हें टिकट दे सकती है। हालांकि सुरेश चौरसिया भी भाजपा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। मगर उन्हें टिकट मिलने की संभावना कम है। भाजपा का मुकाबला निर्वतमान ब्लॉक प्रमुख माधुरी यादव से होगा। जिनके पति व देवर फरार हैं और उन दोनों भाइयों पर ढ़ाई लाख रुपये का इनाम पुलिस घोषित किया है। घर में सारे पुरुष वर्ग पुलिस की खौफ से फरार चल रहे हैं और पुलिस के अभिलेख में वह भगोड़े और इनामियां हो चुके हैं। इस बार भी लड़ाई माधुरी यादव और भाजपा उम्मीदवार के ही बीच होनी है। कैबिनेट मंत्री मोती सिंह का चहेता उम्मीदवार कमलाकांत यादव है, जिसे मंत्री जी ने पर्वतपुर सुलेमान से निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य बनवा दिया है। इससे यही उम्मीद नजर आ रही है।  

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