प्रतापगढ़ शहर से जुड़े सभी मार्गों पर बने मैरेज हाल में कोरोना संक्रमण महामारी काल में बुकिंग का धंधा बन्द हुआ तो कपल यानि युगल जोड़ों को कमरा देकर मैरेज हाल संचालन करने वाले होटल संचालको को दे रहे मात...!!!
मैरेज हाल में प्रेमी जोड़ों को दी जाने वाली सुविधाओं को पुलिस प्रशासन अभी नहीं जान सका है, स्थानीय पुलिस जानती भी है तो वह बाँध रखी है, अपना हफ्ता/महीना...!!!
बिना रजिस्ट्रेशन संचालित हो रहे 70फीसदी मैरेज हाल के संचालकों के पास नहीं है,पार्किंग की ब्यवस्था !सहालग के दिनों में मैरेज हाल के बाहर सड़क पर ही होती है,पार्किंग ! सड़क पर पार्किंग होने से लगते हैं,भीषण जाम ! प्रशासन रहता है,खामोश ! जब कभी मैरेज हाल में आग लगने जैसी दुर्घटना होती है तो कुम्भकर्णी नींद से जागता है,जिला प्रशासन !नोटिस और वसूली कर अपनी जेब गर्म करने तक रखता है,मतलब ! सवाल उठता है कि जब जिला प्रशासन के यहाँ मैरेज हाल का रजिस्ट्रेशन हुआ ही नहीं है तो 70फीसदी मैरेज हाल किसकी सह पर हो रहे हैं,संचालित...???
![]() |
प्रतापगढ़ जनपद में कुकरमुत्ते सरीखे बन चुके हैं,मैरेज हाल... |
जनपद प्रतापगढ़ उद्योग विहीन जिले में से है और यहाँ वेरोजगारी की स्थिति इतनी अधिक खराब है कि कोई ब्यक्ति यदि कोई नया धंधा शुरू करता है तो लोग उसी धंधे के प्रति टूट पड़ते हैं। जब दस चक्का ट्रक आई तो पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दस चक्का ट्रक प्रतापगढ़ में खरीदी गई। कमांडर जीप आई तो वही हाल उसका भी हुआ और जब ई-रिक्शा चलन में आया तो उसकी दशा तो ऐसी हुई कि सड़क पर अब ई-रिक्शा ही दिखता है। ऐसे ही एक धंधा मैरेज हाल का प्रचलन में आया तो इतने मैरेज हाल बन गए कि प्रतापगढ़ जनपद में छोटे-बड़े मैरेज हाल को मिला दिया जाए तो संख्या 100 के पार हो जायेगी। अब तो तहसील मुख्यालयों और ब्लॉक मुख्यालयों सहित नगर पंचायतों पर भी मैरेज हाल देखने को मिल जाते हैं।
![]() |
मैरेज हाल में होटल जैसे बनने लगे हैं,कमरे.... |
कुकरमुत्ते सरीखे बनते मैरेज हाल की बुकिंग पर कोरोना संक्रमण ने पॉवर ब्रेक लगाकर मैरेज हाल के स्वामियों के अरमानों पर पानी फेर देने का कार्य किया। शादी-विवाह सहित हर आयोजन लगभग टल गए अथवा बहुत सूक्ष्म ढंग से कर लिए गए। मैरेज हाल की बुकिंग रद्द हो गई। मैरेज हाल में शादी-विवाह में वर पक्ष और कन्या पक्ष को रुकने के लिए कमरे और टॉयलेट व बाथरूम की ब्यवस्था होटल सरीखे रहती है। कोरोना संक्रमण काल में मैरेज हाल के संचालकों ने यात्रियों को ठहरने की ब्यवस्था देने लगे। चूँकि मैरेज हाल संचालन के लिए नियुक्त मैनेजर आदि का खर्च कहाँ से निकले ? साथ ही लाखों रूपये जिस मैरेज हाल पर खर्च हुआ उसका बैंक का ब्याज कैसे निकले ? सो शहर से सटे कई मैरेज हाल के संचालको द्वारा लोकल लोगों को भी अपने मैरेज हाल में ठहरने की ब्यवस्था होटल से कम दामों पर करने लगे।
![]() |
कोरोना काल में मैरेज हाल में पसरा रहा सन्नाटा... |
उसी की आड़ में कपल भी मैरेज हाल की सुविधाओं का लाभ उठाने लगे और घंटे दो घंटे के लिए एक हजार से दो हजार रूपये तक का भुगतान हंसकर दे देते हैं। वहाँ आई डी आदि का भी झाम नहीं रहता और न ही पुलिस के रेड करने का भय होता है। इस तरह प्रेमी और प्रेमिकाओं के लिए मैरेज हाल वरदान साबित हो रहे हैं। कोई पूँछने वाला नहीं। शहर के होटलों में जाने से किसी के देख लेने का भय रहता है और सबसे बड़ा खतरा आई डी और पुलिस के छपे का रहता है। इस तरह अधिकांश मैरेज हाल में बुकिंग के अलावा कपल यानि प्रेमी व प्रेमिकाओं को कमरे की ब्यवस्था हो जाती है। मैरेज हाल संचालक बदले में अच्छी रकम वसूलते हैं। कोतवाली नगर चिलबिला में एक मैरेज हाल में एक कपल को पुलिस ने पकड़ा तो मैरेज हाल संचालक ने एक लाख रुपये देकर अपनी इज्जत बचाई थी। पुलिस को एक लाख रूपये देने वाला मैरेज हाल संचालक को पछतावे में वो कहावत याद आई कि चमन्नी का राम-राम और अठन्नी का फूट गया मजीरा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें