यूपी में लॉकडाउन की समय सीमा बढ़ाई गई, अब सोमवार 10मई की सुबह 7:00 बजे तक रहेगा लॉकडाउन...!!!
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव परिणाम के बाद लॉक डाउन का समय 2-2 दिन बढ़ाया जा रहा है। नौकरशाही की अकर्मण्यता साफ-साफ दिख रही है। निर्णय लेने में अक्षम। किसी काम के नहीं हैं,योगी के अफसर...!!!
कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में अब लॉकडाउन ही बना सहारा...
जब उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन करने का निर्देश दिया था, तब हेकड़ी दिखाते हुये योगी सरकार ने लॉकडाउन करने से इंकार कर दिया था और सर्बोच्च न्यायालय जा कर स्टे ले लिया था। आज वही सरकार लॉकडाउन कर रही है। लोग एक-एक सांस के लिए तड़प तड़प कर मर रहे हैं। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय लगातार एक से बढ़कर एक कठोर से बढ़कर कठोर टिप्पणी कर रही है,परन्तु न्यायालय की टिप्पणी का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। क्योंकि करना तो सबकुछ सरकार को है। कोर्ट सिर्फ अवमानना की बनरघुड़की ही दे सकती है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यहाँ तक कह दिया कि आक्सीजन की सप्लाई न कर पाने से होने वाली मौतें सामूहिक नर संघार करने जैसा है। आज सरकारें फेल हो चुकी हैं। लोग भगवान भरोसे जिन्दगी की भीख मांग रहे हैं। देश में आपातकाल की घोषणा कर राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए और कुछ दिनो के लिए सारी व्यवस्था सेना के हाथो में दे देनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहाँ पंचायत चुनाव के लिए जब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई तो चुनाव कराने और उसकी तिथि तक हाईकोर्ट ने तय किया था। जबकि पंचायत के गठन की अवधि जून माह तक की थी। 25दिसम्बर को कार्यकाल खत्म हुआ था। तब तो हाईकोर्ट अवमानना की चाबुक दिखा रही थी। यही नहीं जब पंचायत चुनाव रोकने की रिट दाखिल हुए तो यही हाईकोर्ट उसे खारिज कर दिया। कहा कि चुनाव को नहीं रोका जा सकता है। फिर जब सब सत्यनाश हो गया तो हाईकोर्ट ने योगी सरकार को आदेश जारी कर लॉकडाउन वो भी 5शहरों में 6दिनों के लिए कहा। योगी सरकार भी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई और स्थगनादेश ले आई। हाईकोर्ट तो अपना वजूद खुद खत्म किया। सरकार और न्यायपालिका में वर्चस्व को लेकर जंग छिड़ जाए तो जान लीजिये कि उस देश और संविधान का सत्यानाश ही है। आज कलम की जगह जुबानी जुमला चल रहा है। बहुत हो गया। अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका है। पानी सर से ऊपर जा चुका। पता नहीं और क्या क्या...???
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