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गुरुवार, 27 मई 2021

प्रतापगढ़ शहर में यातायात ब्यवस्था सुधरने का नहीं ले रही नाम

यातायात के मामले में जो जितना पढ़ा लिखा उतना ही मूर्खतापूर्ण करता है,कार्य...

कोरोना संक्रमण काल में इतना अनैतिक और गैर जिम्मेदार होना ही कोरोना संक्रमण को आमंत्रण देना है...!!!

कथित प्रताप बहादुर पार्क जहाँ लगता है,हमेशा जाम...

प्रतापगढ़ जिला अस्पताल के सामने प्रताप बहादुर पार्क है। जिसे प्रतापगढ़ के राजा प्रताप बहादुर सिंह ने जनहित के लिए नगरपालिका को पार्क बनाने के लिए दिया था,परन्तु प्रतापगढ़ नगरपालिका में चेयरमैन रहे हरि प्रताप सिंह को धन कमाने की लालसा ने प्रताप बहादुर पार्क के अस्तित्व को खत्म कर उसका बाजारीकरण करके उसमें दुकान बनाकर उसे बेंच खाया। पार्क के चारो तरफ नगरपालिका द्वारा सड़क बनाकर पार्क को पूरी तरह कामर्शियल कर दिया और तीन तरफ उसमें दुकान बनाकर पार्क के अस्तित्व को खत्म कर दिया। सिर्फ दक्षिण तरफ दुकानें नहीं बन सकी और बीच में पार्क को अवैध पार्किंग बना रखा गया है। कई दुकानदारों के जनरेटर भी लगे हैं तो कईयों ने AC लगा रखा है। अधिकतर दुकानें मेडिकल और स्वास्थ्य से सम्बंधित ही हैं।

कथित प्रताप बहादुर पार्क में आने वाले लोग और दुकानदार अपनी बाइक अपनी दुकान के बगल में ही खड़ी कर देते हैं। दोनों तरफ से दुकान के बगल जब पार्किंग हो जाती है तो सड़क इतनी सकरी हो जाती है कि लोग आने-जाने के लिए जाम में फंस जाते हैं। जबकि पार्क के दक्षिणी छोर पर अंदर कई हॉस्पिटल भी संचालित हैं। कथित पार्क के अंदर अवैध पार्किंग भी संचालित है। एक बार प्रतापगढ़ के पूर्व एसपी अभिषेक सिंह राजपाल चौराहे से जिला अस्पताल जाते समय जाम में फंस गए तो राजपाल चौराहे पर और चौक घंटाघर के पास बैरियर लगाकर पुलिस बल तैनात कर दिया और बड़ी गाड़ियों का प्रवेश वर्जित कर दिया था। उस दिन सैकड़ों गाड़ियों का पुलिस ने चालान किया था। यह कार्य प्रतिदिन पुलिस करे तो लोगों में डर पैदा होगी और तभी सुधरेंगे। ऐसे सुधरने वाले नहीं हैं। नहीं तो सड़क पर ऐसे ही पार्किंग होती रहेगी और लोग हैरान व परेशान होते रहेंगे

सच्चाई यह है कि पार्क के प्रवेश द्वार पर चाय और पान की दुकान बनाकर उस पर कब्जा कर लिया गया है। पूर्व और पश्चिम तरफ से बने मार्ग पर गाड़ियों की पार्किंग की वजह से सड़क की चौड़ाई आधी हो जाती है। ऐसे में चार पहिया वाहन और एम्बुलेंस से मरीज यदि पार्क के दक्षिणी छोर पर जाना चाहे तो उसे आधे घण्टे का समय लग जाता है। यदि मरीज है तो उसके जीवन से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। ब्यवस्था में बैठे जिम्मेदारों को इसका एहसास नहीं है। भारत जैसे देश में वाहन चलाने और उसे पार्किंग करने के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है कि गाड़ी सड़क पर यदि खड़ी कर देंगे तो आवागमन बाधित हो जायेगा। उन्हें तब ज्ञान होता है जब वह मरीज के साथ स्वयं एम्बुलेंस में फंसे होते हैं और उनका मरीज सीरियस रहता है तो उनके चेहरे पर उस समय हवाईयाँ उड़ती नजर दिख जाती हैं इसके बाद भी सड़क पर पार्किंग करना अनैतिक और गैर जिम्म्मेदार होने जैसा है। क्या नगरपालिका और पुलिस यातायात ब्यवस्था की नजर इन पर नहीं पड़ती...!!!

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