सात वर्ष से प्रस्तावित बाईपास का कार्य प्रतापगढ़ के निकम्मे अधिकारियों और गोबरगणेश जनप्रतिनिधियों की वजह से अधर में लटका...!!!
प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता के यहाँ जन्म से लेकर मरण तक के कार्य देखने वाले प्रतिनिधि किये गए हैं, तैनात...!!!
ऐसे सांसद बहुत विरले होते हैं, 542सांसद में से गिने चुने सांसद होंगे जो अपने संसदीय क्षेत्र में ब्लाक वार प्रतिनिधि की किये हों,नियुक्ति...!!!
सात वर्ष में एक अदद बाईपास की जमीन का मुआवजा किसानों को भ्रष्ट और निकम्मा जिला प्रशासन दे न सका। फिर बाईपास का निर्माण कार्य कितने वर्ष में होगा यह कहा नहीं जा सकता। क्योंकि प्रतापगढ़ के जनप्रतिनिधियों को यहाँ के भ्रष्ट अधिकारी गोबर गणेश समझते हैं। जिन्हें न विस्वास हो वह प्रतापगढ़ के लिए 7वर्ष पूर्व पास हुए बाईपास निर्माण कार्य की पत्रावली देख ले। जबकि रायबरेली से जौनपुर तक MDR रोड़ को NHAI में तब्दील कर महज 2साल में बना दिया गया। साथ में कई ओवरब्रिज भी बनाए गए। परन्तु प्रतापगढ़ के महज 12किमी का बाईपास 7वर्षों में उसकी आधार शिला भी न रखी जा सकी।
इसी से अंदाजा लगा लीजिये कि प्रतापगढ़ जनपद में कितने संवेदशील और क्रियाशील जनप्रतिनिधि हैं ? इन जनप्रतिनिधियों को जिले में तैनात स्वयं अकर्मण्य और भ्रष्ट अफसर जो समझा दें वही प्रतापगढ़ के निकम्मे जनप्रतिनिधि समझ लेते हैं। प्रतापगढ़ शहर के लिए पास बाईपास में जो जमीन सदर तहसील के राजस्व विभाग द्वारा आवंटित की गई। उसका खाका इनके दिमाग में नहीं रह गया। तभी तो गायघाट रोड़ पर बने सपा शासनकाल में ट्रामा सेंटर की जमीन को भी बाईपास बनाने के लिए आवंटित किया गया। सवाल उठता है कि जब कोई जमीन का राजस्व विभाग खाका तैयार करके उसको अधिग्रहीत करता है तो भूमि अधिग्रहण के तहत उस भूस्वामी को मुआवजा दिया जाता है। जब ट्रामा सेंटर के लिए जो जमीन पहले अधिग्रहीत कर ली गई थी तो उसे बाईपास के निर्माण में पुनः कैसे अधिग्रहीत किया जा सका...???
करोड़ों रुपये की लागत से बने ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग बचाने और राजस्व विभाग अपनी कमी छिपाने के लिए प्रतापगढ़ के जनप्रतिनिधियों से झूठ बोलता रहा। बात तब खुली जब NH के अधिकारियों ने ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग को छोड़कर उसके बगल से बाईपास बनाने के प्रस्ताव नकार दिया। अब सिर्फ एक रास्ता शेष बचा। वह रास्ता है ट्रामा सेंटर की नई बिल्डिंग को ध्वस्त करना। यदि ट्रामा सेंटर की नई बिल्डिंग टूटती है तो करोड़ों रुपये के नुकसान की रिकवरी किससे की जाएगी ? इसी दायित्व के निर्धारण की वजह से बाईपास का कार्य लंबित है। जिसके लिए प्रतापगढ़ के नकारे राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सहित प्रतापगढ़ के गोबर गणेश जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। यदि प्रतापगढ़ के जनप्रतिनिधि जरा भी अक्लवान होते तो उसे निकम्मे राजस्व अधिकारी बहला फुसला कर अपने पक्ष में न कर पाते।
बड़ा सवाल यही है कि नशे में मदमस्त राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा इतनी बड़ी गलती कैसे हुई ? यदि दायित्व का निर्धारण किया जायेगा तो ट्रामा सेंटर की नई विल्ड़िंग के नुकसान को राजस्व विभाग से वसूला जाना चाहिये। उसमें किसी भी तरह की छूट नहीं देनी चाहिये। प्रतापगढ़ का कोई जनप्रतिनिधि आजतक राजस्व विभाग के निकम्मे और भ्रष्ट अधिकारियों से पूँछने की हिम्मत नहीं कर सका कि यह आखिर यह सब कैसे हुआ ? जाम के झाम और शहर में होने वाली दुर्घटनाओं का जिम्मेदार आखिर कौन है ? जनहित की दुहाई देने वाले और मंच से देवतुल्य जनता का सम्बोधन करने वाले सांसद संगम लाल गुप्ता एक नम्बर के फिसड्डी सांसद साबित हो रहे हैं। पूर्व सांसद कुंवर हरिवंश सिंह जी तो कम से चिलबिला ओवरब्रिज और जिले में मेडिकल कालेज का कार्य कराकर जनपद वासियों के हित में बड़ा योगदान दिया।
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