पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह से वर्तमान सांसद संगम लाल गुप्ता के बीच इन दिनों आई प्रगाढ़ता पर उठ रहे हैं,सवाल...!!!
राजनीति में नफे नुकसान पर सारे खेल आधारित होते हैं,जब राजकुमारी रत्ना सिंह, प्रमोद कुमार की नहीं हुई तो संगम लाल गुप्ता किस खेत की मूली हैं...???
सांसद संगम लाल गुप्ता कोरोना संक्रमण काल में जनता से तो दूरी बनाए हुए हैं,परन्तु निजी आयोजनों में शामिल होकर कोरोना संक्रमण काल के लिए बनाई गई गाइडलाइन की धज्जियाँ उड़ाने से नहीं आ रहे हैं,बाज़...!!!
सांसद संगम लाल गुप्ता और पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह गंगाजी में नौका विहार करते हुए... |
भाग्य के धनी संगम लाल गुप्ता को बिना मेहनत किये विधायक पद मिला और दो साल में ही सांसद पद से जिले की जनता ने उन्हें नवाज दिया। परन्तु सांसद पद पाने के बाद भी सांसद जी अपने ब्यक्तित्व में बदलाव नहीं ला सके। जिससे प्रतापगढ़ की जनता उन्हें अब सीरियस नहीं लेती। कालाकांकर राजभवन गंगा जी के किनारे बना है। परन्तु वहाँ "राजघाट" भी बना है, हमें नहीं पता। सांसद जी अपने फेसबुक के अधिकृत पेज पर अपनी फोटो के साथ कालाकांकर "राजघाट" की फोटो जनता के बीच सार्वजनिक किये हैं। सांसद संगम लाल गुप्ता कहने और दिखाने के लाखों रुँपये महीना खर्च कर अपने हाईटेक कार्यालय को संचालित करने के लिए मैन पॉवर रखे,परन्तु वह सारे मैन पॉवर की काबिलियत वैसे ही है,जैसे सनाग्म लाल गुप्ता की है।
प्रतापगढ़ जनपद राजाओं का जनपद रहा,परन्तु राजा-महराजा के जिले में जिस गति से विकास होना चाहिए थे,वह न हो सका ! बीच -बीच में सामन्तवादी ताकतों से लड़ने के लिए कुछ बरसाती मेढ़क की भांति प्रतापगढ़ में नेता पैदा हुए और राजा-रानी की खिलाफत करने और उन्हें उखाड़ फेंकने तक की बात करके जनता को मुर्ख बनाया और अपना उल्लू सीधा किया ! उसी में से एक हैं, सांसद संगम लाल गुप्ता ! कल तक राज परिवार को पानी पी पीकर कोसने वाले मौकापरस्त राजा-रानी और सामंतवादी ताकतों से लड़ने के लिए प्रतापगढ़ की जनता के सामने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सांसद संगम लाल गुप्ता अपना इतना सीना ठोके कि उन्हें बहुत दिनों तक सीने में दर्द होता रहा,जिसके बाद उनको करानी पड़ी,दवा...!!!
इन दिनों कालाकांकर राज घराने में पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह से सांसद संगम लाल गुप्ता की नजदीकियां बढ़ी हैं। ये नजदीकियां जिला पंचायत चुनाव के समय से देखी जा रही है। कुँवर भुवन्यु सिंह रामपुर खास से विधानसभा के टिकट के लिए परेशान हैं। अब बच्चे की जिद के आगे राजकुमारी रत्ना सिंह को झुकना पड़ा। अपने राजनीतिक जीवन की यात्रा पर एक बार विराम लगाते हुए राजकुमारी रत्ना सिंह अपने बच्चों को राजनीति में स्थापित करने के लिए आगे आई। राजनीति में प्रत्येक राजनेता यह चाहता है कि समय रहते उसकी राजनीतिक विरासत को उसके परिवार से कोई सँभालने वाला आगे आकर उस उत्तरदायित्व का निर्वहन स्वयं करे। उसी कड़ी में पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह भी आगे बढ़ रही हैं।
जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में अपनी लड़की तनुश्री को चुनाव में उतारना उनका पहला कदम रहा। भले ही उसमें सफलता न मिली,परन्तु राजकुमारी रत्ना सिंह ने प्रयास तो किया। अब बारी है बेटे भुवन्यु सिंह की, जिसके लिए राजकुमारी रत्ना सिंह ने सबसे उपर्युक्त ब्यक्ति सांसद संगम लाल गुप्ता को पकड़ा। राजकुमारी रत्ना सिंह को पता है कि भाजपा में अमित शाह और जे पी नड्डा तक पहुँचने का मार्ग संगम लाल ही प्रशस्त कर सकते हैं। लिहाजा भुवन्यु सिंह को टिकट दिलाने के लिए संयुक्त प्रयास करके ही सफलता अर्जित की जा सकती है। अब चुनाव जीतना हारना अलग विषय है। फिलहाल विधानसभा चुनाव के टिकट के लिए अभी से रणनीति बनाना राजनीतिक परिवार की कला कही जा सकती है।
जिला पंचायत में सांगीपुर से जिला पंचायत सदस्य लिये भाजपा ने राजकुमारी रत्ना सिंह की पुत्री तनुश्री को उम्मीदवार बनाया था। सांसद संगम लाल गुप्ता भी तनुश्री के लिए चुनाव प्रचार किये थे। परन्तु परिणाम जब आया तो कालाकांकर राजघराने की नाक ही कट गई। क्योंकि कालाकांकर राजघराने से लोकसभा चुनाव के नीचे कोई छोटा मोटा चुनाव में सहभागिता नहीं किया था। स्वयं राजकुमारी रत्ना सिंह को कांग्रेस से ऑफर था,विश्वनाथ विधानसभा के लिए। परन्तु राजकुमारी रत्ना सिंह ने वो ऑफर रिफ्यूज कर दिया था। जबकि भाजपा में शामिल होने के बाद से उन्होंने अपने स्वाभाव में बदलाव लाते हुए अपने राजनीतिक जीवन से अधिक अपने बच्चों के राजनीतिक भविष्य की चिंता के साथ काम कर रही हैं।
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