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गुरुवार, 13 मई 2021

आपदा को अवसर में बदलने का फॉर्मूला सीखना हो तो प्रतापगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से सीखो

प्रतापगढ़ में जमकर हो रही कालाबाजारी ! अफसर साधे हुए हैं,मौन ! आम जनता का हो रहा है,शोषण...

आपदा को अवसर में बदल कर मालामाल हुए अफसर...

प्रतापगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर। लगातार बढ़ रही है,कोरोना मरीजों की संख्या। जिले में कोरोना संक्रमण कोविड-19 महामारी के दौर में लगातार हो रहा है,मरीजों का इजाफा। परन्तु प्रतापगढ़ में स्वास्थ्य विभाग कर रहा है,आंकड़ों के जरिये खेल। आंकड़ों के मुताविक 2हजार से 3हजार के बीच होती है,टेस्टिंग। लेकिन रिपोर्ट आती है,सिर्फ 500 से 1000 के बीच। यानि अभी रिपोर्ट के आकड़ें को जोड़ लें तो लगभग 10000 हजार मरीज की कोरोना जाँच रिपोर्ट आनी है,बाकी

स्वास्थ्य महकमें की उस समय बड़ी किरकिरी हुई जब एक जाँच रिपोर्ट में कोरोना न तो पॉजिटिव रहा और न ही निगेटिव। प्रतापगढ़ की जाँच अभी तक केजीएमयू लखनऊ की लैब से कराई जा रही है। एक मरीज का सैम्पल गया था, जिसमें इक्विवोकल यानी संदिग्ध लिखकर रिपोर्ट आई है। जिले में कुल चार कोविड हॉस्पिटल एल-2 बनाए गए हैं। प्रत्येक दिन 2000 से अधिक जाँच का लक्ष्य निर्धारित है। परन्तु जाँच रिपोर्ट 500 से 1000 हजार तक ही आ पाती है। फिर भी 300 से 400 प्रतिदिन पॉजिटिव केश सामने आ रहे हैं

महामारी काल में लोग जीवन-मौत के बीच जूझ रहे हैं और भ्रष्ट नौकरशाही भर रही है,अपनी जेब...

कोविड-19 के मरीजों को जिला महिला अस्पताल पुरानी बिल्डिंग में एल-2 सेंटर स्थापित कर इलाज किया जा रहा है। इलाज के दौरान आधा दर्जन के लगभग मौत भी प्रतिदिन हो रही है और जिला अस्पताल के इमरजेंसी से लेकर अन्य वार्डो में भर्ती मरीजों की मौत की बात पर यकीन करें तो लगभग एक दर्जन से अधिक मरीजों की मौत भी हो रही है। परन्तु स्वास्थ्य विभाग मौत का कोई आंकड़ा नहीं जारी करता। ज्यादातर मरीज 3 से 4 दिन में ही मौत के मुँह में समा जा रहे हैं। जिला अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट 3 लीटर प्रेशर से ज्यादा पर काम नहीं करता। यहां वेंटिलेटर की भी कोई व्यवस्था नहीं है

देश भर में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे उपयोगी इंजेक्शन रेमडिसिवर, इवरमेकटिन, डोक्सी, विटामिन सी और जिंक ढूंढे नहीं मिल रही ऑक्सीजन। ऑक्सीजन प्लांट जिले में नहीं है। प्रयागराज के नैनी से होती है,ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति। कोरोना संक्रमण काल में आसानी से नहीं उपलब्ध हो पा रही है, सिलेंडर की आपूर्ति। सूबे में सर्वाधिक सीएचसी और पीएचसी जिले में होने के बावजूद ज्यादातर सीएचसी में डॉक्टरों का है,अभाव। कही फार्मासिस्ट के भरोसे चल रही है,सीएचसी तो कही जंगलों में तब्दील हो चुकी है,पीएचसी

कुल मिलाकर संसाधनों के अभाव में कोरोना से जारी है,जंग। इस पर कोढ़ में खाज का काम कर गया पंचायत चुनाव। इसके चलते फैले कोरोना में जहा लगभग 3 दर्जन से अधिक शिक्षक मौत में मुंह मे समा गए तो वहीं विकास विभाग का सदर ब्लाक के एडीओ की मौत और तीसरे दिन ही उसके बेटे की मौत हो गई। लक्ष्मणपुर ब्लाक के सराय संसारी गांव में एक ही दिन में चार लोगों की मौत हो गई तो वही संडवा ब्लाक के पूरबगांव में एक सप्ताह में पांच लोगों की चली गई,जान। पंचायत चुनाव के बाद अब गाँव में कोरोना पसार रहा है,पैर

कोरोना संक्रमण काल में आंकड़ों की बात करें तो फेंक आंकड़ों के सहारे सरकार के आवंटित बजट को चट करने के लिए दिन भर CMO कार्यालय में बैठे आंकड़े बाज अफसर और उनकी पूरी टीम लगी रहती है। जिले में कोरोना मरीजों की संख्या जब 3600 के लगभग थी तो हॉटस्पॉट की संख्या 1475 थी। ये संख्या लगभग 15 दिनों तक कायम रही। न घटती थी और न बढ़ती थी। जब मरीजों की संख्या घटकर 3361 पहुँची तो हॉटस्पॉट की संख्या 1475 से बढ़कर 2451 हो गई। मतलब लगभग 1000 हॉटस्पॉट की हुई बढोत्तरी। इसे कहते हैं, आंकड़ेबाजी। जिले में लॉकडाउन में जमाखोरी और कालाबाजारी भी चरम पर है

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