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बुधवार, 19 मई 2021

ब्यापक जनहित का उल्लेख कर सड़क बनाने के लिए तोड़ दी जीआईसी प्रतापगढ़ की पूर्वी बाउंड्रीवाल

राजा को पता नहीं और मुसहर बन बाँट लिये वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है,जिला प्रशासन प्रतापगढ़...!!!

नगरपालिका द्वारा सड़क निर्माण के लिए प्रतापगढ़ जीआईसी की तोड़ी गई बाउंड्रीवाल...

DM प्रतापगढ़ के त्रुटिपूर्ण आदेश का नगरपालिका उठा लिया फायदा। थोड़ी जमीन लेने के आदेश को मनमर्जी 30फिट जमीन लेकर जीआईसी के अस्तित्व और अस्मिता से नगरपालिका प्रशासन कर डाला खिलवाड़। अपने नाले को कवर्ड नाला न बनाकर बार बार उस पर पटिया बनाने के नाम पर लाखों रुपये का कर लिया गया है,भुगतान...!!!


जिला प्रशानसन की सह पर GICकी बाउंड्रीवाल तोड़कर नगरपालिका ने 30फिट कर लिया कब्जा...


मौखिक रूप से 3 मीटर की अनुमति पर 9 मीटर अंदर तक बाउंड्री बनाने का राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य राजकुमार सिंह ने लगाया आरोप। जिलाधिकारी प्रतापगढ़ को संयुक्त रूप से जिन पाँच अधिकारियों ने जीआईसी की जमीन लेकर सड़क बनाने की अपनी सहमति दी है,उसमें थोड़ी जमीन लेने की बात की गई है। लिखित आदेश में थोड़ी जमीन लेने जैसे शब्द का चयन करना क्या कानूनन सही है


        जिलाधिकारी का त्रुटिपूर्ण आदेश की प्रति...

दुकान बनाकर बेंचने की जब उड़ी हवा तो लोग जीआईसी प्राचार्य से मिलकर अपने लिए दुकान आवंटित करने के लिए जीआईसी का काटने लगे चक्कर। प्राचार्य जीआईसी भी यह सब सुनकर हो गए अचंभित। मौके पर पहुँच कर नगरपालिका द्वारा कराए जा रहे कार्य को रोकवाया। सड़क बनाने के लिए 10फिट जमीन लेने की बात करके नगरपालिका प्रशासन 30 फिट जमीन कब्जा कर लेने से सदमें में हैं,जीआईसी के प्राचार्य। बहुत दबाव में हैं,जीआईसी के प्राचार्य। बात भी करने को नहीं हैं,तैयार


DMके निर्देशन में पाँच अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत संयुक्त प्रस्ताव की रिपोर्ट की प्रति...

राजकीय इंटर कालेज प्रतापगढ़ अभी तक सैकड़ों आईएएस और आईपीएस पैदा किया होगा। परन्तु आज उसी जीआईसी को आईएएस अपने पद का दुरुपयोग करके उसके अस्तित्व को ही मिटाने की तैयारी कर डाले। तीसरी बार जीआईसी की जमीन लेकर जीआईसी के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अवैध रूप से नाले पर बनी पक्की दुकान को जिला प्रशासन और नगरपालिका प्रशासन विगत 30 वर्षों में ध्वस्त तक न करा सका और जीआईसी की बाउंड्रीवाल तोड़ने में नहीं लगे दो दिन

जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के त्रुटिपूर्ण आदेश को नगरपालिका ने बनाया अपनी ढाल... 

जिलाधिकारी अधिकारी प्रतापगढ़ के नेतृत्व में जिन 5 अधिकारियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लेकर जीआईसी के परिसर वाली वेशकीमती जमीन को थोड़ी जमीन लेकर ब्यापक जनहित का उल्लेख कर 30फिट चौड़ाई में कचेहरी रोड़ से लेकर के पी कालेज वाली सड़क तक जिस तरह नगरपालिका द्वारा जमीन कब्जाई गई वह किसी भूमाफिया के कृत्य से कम नहीं है। मजेदार बात यह है कि 5 अधिकारियों में जीआईसी के प्राचार्य राजकुमार सिंह को शामिल करना भी जिला प्रशासन उचित न समझा

  जब अस्पताल बना तो उस वक्त ही समझना था कि एम्बुलेंस का कैसे होगा संचालन...???

डीएम के निर्देश पर डीआईओएस प्रतापगढ़ ने दी थी,मेडिकल कॉलेज के लिए 3 मीटर बाउंड्रीवाल के अंदर की जमीन। नव निर्मित 100बेड हॉस्पिटल के लिए आने-जाने वाले एम्बुलेंस को बनाया गया आधार। ब्यापक जनहित की बात बताकर सड़क निर्माण के लिए 3 मीटर की जमीन लेने की बात करके नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ ने 9मीटर यानि 30 फिट कब्जा कर ली जीआईसी की जमीन। अभी जिलाधिकारी के त्रुटिपूर्ण आदेश को कोई भी जीआईसी का पढ़ा ब्यक्ति हाईकोर्ट में चुनौती दे तो कितनी देर टिकेगा जिलाधिकारी प्रतापगढ़ का आदेश...???

नगरपालिका प्रशासन व अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत के चलते 3 मीटर की बजाय 9 मीटर अंदर तक बनायी जा रही है,बाउंड्री वाल। शहर स्थित जीआईसी के प्रधानाचार्य राजकुमार सिंह ने मौके पर पहुँचकर रुकवाया काम। कहा काम न रोकने पर देंगे नगर कोतवाली में तहरीर। बड़ा सवाल उठता है कि क्या DIOS प्रतापगढ़ जीआईसी की जमीन का जिला प्रशासन के दबाव में कर सकते हैं,सौदा ? यदि दुकान ही बनाना है तो जीआईसी के प्राचार्य ही दुकान बनवाकर उसे किराये पर दें ताकि जीआईसी की आमदनी बढ़े। न कि नगरपालिका प्रतापगढ़ की

जो सड़क वर्तमान में संचालित है,वह भी GICकी ही जमीन पर बनी है...

जीआईसी के परिसर वाली जिस जमीन की बाउंड्रीवाल को जर्जर बताया गया उसकी भी हकीकत जान लेना लाजिमी है। दो वर्ष पहले वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में इसी जीआईसी परिसर को नियम और कानून की बलि चढ़ाते हुए प्रधानमंत्री की चुनावी जनसभा के लिए जिला प्रशासन ने अनुमति दे दिया था। उस समय भी प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार होने की दशा में जिला प्रशासन डीआईओएस और जीआईसी के प्राचार्य को दबाव में लेकर चुनावी जनसभा में अनुमति हेतु एनओसी दिलाई थी और पाँच जगहों पर बाउंड्रीवाल को तोड़ा गया था,जिसे भाजपा उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता को बनवाना था,परन्तु वह सांसद निर्वाचित हो गए तो उनसे कौन कहे कि तोड़ी गई बाउंड्रीवाल को सांसद जी बनवा दीजिये। इसलिए वह टूटी रह गई और जिला प्रशासन की नजर में जर्जर भी हो गई

प्रतापगढ़ GIC के अस्तित्व पर मंडरा रहा है,खतरा...

मायावती सरकार में जीआईसी की जमीन पर दबाव बनाकर जबरन जिला प्रशासन DIOS प्रतापगढ़ और प्राचार्य जीआईसी प्रतापगढ़ से झटक ली उसकी आवासीय जमीन और पाँच मान्यवर कांशीराम कालोनी में एक कालोनी बना दी गई। उस बार जीआईसी की आवासीय जमीन का स्थानांतरण शासन स्तर से किया गया था। जबकि 3 कालोनी नगरपालिका सीमा से बाहर गाँव समाज की जमीन और 1 कालोनी कृषि फार्म हाउस से अधिग्रहीत कर बनी थी। नगरपालिका क्षेत्र में सिर्फ 1 कालोनी का ही निर्माण हुआ। वह भी शिक्षा विभाग जीआईसी के आवासीय क्षेत्र को अधिग्रहीत करके निर्माण किया गया। जीआईसी की दशा देखकर पुरानी कहावत याद आती है कि निमरे का मेहरारू सकल गाँव भौजाई

अखिलेश सरकार में भी मायावती सरकार की तर्ज पर जीआईसी की आवासीय जमीन पर प्रस्तावित 100 बेड के अस्पताल के लिए जिला अस्पताल "महिला" के पीछे ले ली गई जमीन। उसी जमीन में स्थापित हुआ 100बेड की अस्पताल। अस्पताल के लिए प्रोजेक्ट बनाने वाले अधिकारीगण उस वक्त नशे में थे या जानबूझकर अस्पताल का निर्माण कराये कि भविष्य में रास्ते की समस्या आएगी तो जीआईसी की बाउंड्रीवाल तोड़कर उसकी जमीन से चौड़ा रास्ता भी बना लिया जाएगा। क्या शासन और जिला प्रशासन द्वारा जीआईसी प्रतापगढ़ के अस्तित्व और अस्मिता के साथ घिनौना और भद्दा मजाक नहीं किया जा रहा है ? जिला प्रशासन जब शासन के हंटर से परेशान होता है तो वह अपनी गुंडई पर उतर आता है। जीआईसी की जमीन के साथ जिला प्रशासन वैसे ही कर रहा है। नियम कानून के तहत इस बार तो नगरपालिका द्वारा सड़क निर्माण के लिए जो जमीन अधिग्रहीत की गई वह त्रुटिपूर्ण रही। चूँकि थोड़ी जमीन लिखित में कहकर मनमर्जी जमीन का लेना इसका साक्षात उदाहरण है

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