ट्रेजरी चौराहे सरीखे स्थापित होना चाहिए कार्यालय जिलाधिकारी प्रतापगढ़ का मुख्य प्रवेश द्वारा...
सरकार कहती है कि राष्ट्रहित में ऊर्जा की बचत करे। प्रतापगढ़ जिला प्रशासन और कलेक्ट्रेट के नाजिर के कान में नहीं रेंगती जूं कि वह अपनी सरकार की बात मान कर ऊर्जा की बचत करे । तभी तो प्रतापगढ़ कलेक्ट्रेट स्थित NIC की छत पर स्थापित लाइट दिन के उजाले में जलती है...!!!
NICकी तरफ बना कलेक्ट्रेट परिसर का प्रवेश द्वार... |
पुलिस लाइन गेट की तरफ से कार्यालय जिलाधिकारी प्रतापगढ़ का मुख्य प्रवेश द्वारा है,परन्तु अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार हो गया मुख्य प्रवेश द्वार ! चूँकि कलेक्ट्रेट परिसर में अम्बेडकर चौराहे की तरफ से अधिकारियों का होता है,आना-जाना ! इसलिए मुख्य द्वार की तरफ से गाड़ियों की अवैध पार्किंग की वजह से दोपहर में कचेहरी के अंदर नहीं घुस सकती दो पहिया वाहन...!!!
कलेक्ट्रेट के नाजिर और प्रशासनिक अफसर को फुर्सत नहीं कि वह कलेक्ट्रेट परिसर को घूमकर कर देख लें कि कलेक्ट्रेट परिसर में क्या हो रहा है ? सच तो यह है कि नाजिर की कृपा से कलेक्ट्रेट परिसर में खुलेआम जुआ का खेल खेला जाता है और पुलिस अधीक्षक कार्यालय की दीवार कलेक्ट्रेट परिसर से सटी है। फिर भी कलेक्ट्रेट परिसर जुआड़ियों के लिए सुरक्षित जोन सिद्ध हो रहा है। पुलिस सबकुछ जानते हुए भी चुप रहना ही बेहतर समझती है। न्याय के मन्दिर परिसर में जुआड़ियों का अड्डा चलना चिंताजनक है।
प्रमुख सचिव वन विभाग एवं प्रतापगढ़ जनपद के नोडल अफसर सुधीर गर्ग तीन दिन के दौरे पर थे। संयोग से जिले में दो दिन से बरसात हो रही थी। उनकी ब्यवस्था में सारा जिला प्रशासन एक पाँव पर खड़ा था। कल उनकी ब्यवस्था जिला पंचायत के कैम्पस में बने गेस्ट हाउस में हुई। आनन-फानन में साफ सफाई और चूने का छिड़काव किया गया। सभी ब्यबस्थाएं चाक चौबंद रही। ये होती है,सत्ता की दबंगई का असर। नोडल अफसर सुधीर गर्ग जी आम जनता से मिलने की जहमत नहीं उठाये। आम जनता उनसे मिल न सके इसके लिए सुरक्षा के ब्यापक इंतजाम किये गए थे।
NIC की छत पर लगी लाइट्स दिन में भी जलती है,उसे बुझाने वाला कोई नहीं...
जिला कलेक्ट्रेट परिसर में चारों तरफ अधिवक्ता सेड और बिल्डिंग्स बनाकर परिसर की ओपेन जमीन खत्म कर दी। जो कहीं जमीन बची है, वहाँ अधिवक्ताओं द्वारा टीन सेड लगाकर झोपड़पट्टी सरीखे कलेक्ट्रेट परिसर को बना दिया गया है जो देखते ही बनता है। प्रतापगढ़ जिला कलेक्ट्रेट में जब सबकुछ खुला होता है और कचेहरी में अधिवक्ता और वादकारी आते हैं तो उस वक्त परिसर में पैदल चलना भी दूभर होता है। यही हालत रही तो आने वाले समय में प्रतापगढ़ की कलेक्ट्रेट परिसर को कहीं और विस्थापित करना होगा। तभी प्रतापगढ़ का कलेक्ट्रेट संचालित हो सकेगा।
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