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सोमवार, 3 मई 2021

भाजपा उम्मीदवार तनुश्री को जिला पंचायत सदस्य पद से मिली करारी शिकस्त

पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह और उनके बेटे भुवन्यु सिंह का राजनीतिक दाँव उल्टा पड़ा...!!!

जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव बेटी तनुश्री को लड़ाकर राजकुमारी रत्ना सिंह कालाकांकर रियासत की इज्जत मिला दिया मिट्टी में...!!!

मतदान के दिन बेटी तनुश्री के साथ पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह...

पूर्व विदेश मंत्री स्व.राजा दिनेश सिंह की नातिन और कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह की बेटी तनुश्री बड़े अंतर से चुनाव हारी। भाजपा ने एक तीर से तीन निशाना लगाया। रामपुर खास की विधायक आराधना मिश्रा उर्फ मोना नहीं चाहती थी कि तनुश्री जिला पंचायत चुनाव जीते और जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदार बने। इससे दूसरा फायदा मोना को हुआ। अब भुवन्यू सिंह किस मुँह से भाजपा से रामपुर खास विधानसभा का टिकट माँगेंगे ? इसके लिए पूर्व भाजपा उम्मीदार नागेश सिंह उर्फ छोटे सरकार भी नहीं चाहते थे कि तनुश्री जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते और रामपुर खास में भाजपा से उनका प्रतिद्वंद्वी भुवन्यू सिंह पैदा हों। 


कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह 3बार सांसद रही। कुल 7बार सांसद का चुनाव लड़ी और 4बार हारी व 3बारी जीती थी। ये वही राजकुमारी रत्ना सिंह हैं, जब वर्ष-2017 में विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ तो विश्वनाथगंज विधानसभा सीट कांग्रेस को मिली। उस वक्त रत्ना सिंह से विश्वनाथगंज सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। दलील दिया था कि उनके यहाँ केंद्र की राजनीति की जाती रही है। सांसद पद लोकसभा के अतिरिक्त कोई चुनाव उनका परिवार कभी नहीं लड़ा। बेटे भुवन्यू सिंह के लिए भी मनाकर मोबाइल स्विच ऑफ करके विदेशी दौरे पर निकल गई। फिर सपा के उम्मीदवार संजय पांडेय रातोंरात कांग्रेस की सदस्यता लेकर विश्वनाथगंज विधानसभा का चुनाव लड़े थे। 


चुनाव में करारी शिकस्त खाने के बाद भी कांग्रेस छोड़ वापस सपा में आ गए। जब राजकुमारी रत्ना सिंह वर्ष-2019 में लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट से हार गई तो वह कांग्रेस के हाथ को झटक कर भाजपा का कमल खिलाने भाजपा में जा पहुँची। वहाँ पहुँचने के बाद बेटे भुवन्यू सिंह के पहले बेटी तनुश्री को राजनीति में उतार कर पंचायत का बड़ा चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया। परन्तु रत्ना सिंह यह भूल गई कि यदि जिला पंचायत सदस्य की सीट उनकी बेटी तनुश्री न जीत सकी तो भाजपा में किस मुँह से विधानसभा का टिकट बेटे भुवन्यू सिंह के लिए माँगेगी ? अपने लिए लोकसभा की बात ही करना ब्यर्थ है। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव से कालाकांकर की रियासत के राजनीतिक भविष्य गर्त में पहुँच चुका है। सबके राजनीतिक कैरियर दाँव पर लग गए हैं। 

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