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सोमवार, 26 अप्रैल 2021

जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के नाक के नीचे तीन महीने से फटी पाइप लाइन से बह रहा है सप्लाई वाला पानी

ओवरलोड ट्रकों के आवागमन से ट्रेजरी चौराहे के पास सड़क धंस गई है। कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा। यदि ओवरलोड ट्रक पलटी तो जानमाल का भी हो सकता है,नुकसान...!!!

यह कोई अकेले प्रतापगढ़ जनपद नगरपालिका क्षेत्र में पानी का दुरूपयोग का मामला नहीं,बल्कि सम्पूर्ण देश में ऐसे मामले प्रत्येक शहर में मिलेंगे जिससे यह तय होता है कि यह ब्यवस्था जनित बीमारी है...!!!

प्रतापगढ़ का ट्रेजरी चौराहा...

निकम्मापन और नालायकियत एवं नकारेपन का कोई दूसरा स्वरूप नहीं होता। आज जिस तरह लोग ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं,कल उसी तरह पानी की प्यास से लोगों की सांसे उखड़ेगी। फिर इस देश की जनता सरकार और ब्यवस्था में शामिल लोगों को कोसेगी। इसके पहले तो उसे फुर्सत ही नहीं। तीन माह से पानी बह रहा है तो बहने दो। जबकि जिले के जिलाधिकारी और मंडल के मंडलायुक्त इस चौराहे से आते-जाते हैं

भारत में रहने वाले 90फीसदी लोगों को जरूरत पर ही सबकुछ याद आता है। विश्वास न तो कलेक्ट्रेट परिसर के पास ट्रेजरी चौराहा जहाँ जिला का कोष रखा जाता है, उस चौराहे पर बीते 3माह से यह रिसाव नगरपालिका की पाइप लाइन से हो रहा है। जब भी नगरपालिका सप्लाई का पानी पाइप लाइन के जरिये आम लोगों को आपूर्ति के लिए चालू करती है तब यहाँ पाइप लाइन से पानी बहने लगता है। इस भीषण गर्मी में एक तरफ प्यास बुझाने के लिए लोग तड़प रहे है तो दूसरी तरफ नगरपालिका की अब्यवस्था का आलम यह है कि उसकी आपूर्ति वाली पाइपलाइन से लगातार पानी बहकर नाले में जा रहा है

ट्रेजरी चौराहा पर फटी पाइपलाइन से बहता भूगर्भ जल...

आज कोरोना संक्रमण काल में ऑक्सीजन के अभाव में जिनकी सांसे उखड़ रही हैं। उसके लिए सरकार और सरकार में शामिल बेईमान नौकरशाही और भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों ने कभी ऑक्सीजन के प्रति सोचा ही नहीं। पर्यावरण को लगतार नुकसान पहुँचाने का कार्य किया। हरे पेड़ काटने वालों को संरक्षण दिया। फोर लेन और सिक्स लेन बनाने में लाखों करोड़ों पेड़ों को काट दिया गया। लगाने के लिए सिर्फ कागज पर पेड़ लगाकर उसका बजट खा लिया गया। 10फीसदी लगाए गए पेड़ तैयार नहीं हो पाते। जबकि लगाए गए पेड़ों की देखभाल के लिए अलग से धन आवंटित होता है। परन्तु वर्तमान ब्यवस्था में बैठे असुरों द्वारा उसे भी निगल लिया जाता है

पर्यावरण में जब प्राकृतिक ऑक्सीजन की कमी होने लगी तो कृत्रिम ऑक्सीजन के लिए ससरकार और उसकी नौकरशाही एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नहीं सोचा कि यदि मरीजों को ऑक्सीजन की कमी होगी तो उन्हें ऑक्सीजन कैसे उपलब्ध कराया जायेगा ? इस समस्या की तरफ स्वास्थ्य विभाग का भी ध्यान नहीं गया। नतीजा यह है कि अब लोग ऑक्सीजन के अभाव में अपनी जान देने के लिए बाध्य हो रहे हैं। घरवाले सिर्फ झटपटा रहे हैं और कुछ न कर पाने की स्थिति में सिर्फ हाथ मल रहे हैं। चीख चिल्ला रहे हैं। सरकार और स्वास्थ्य ब्यवस्था को गाली दे रहे हैं। अपने को भी कोसते नजर आ रहे हैं

ट्रेजरी चौराहा पर धंस गई है,सड़क ! हो सकती है,दुर्घटना...

ऑक्सीजन की तरह जीवन में जल की महत्ता है। आज ऑक्सीजन के अभाव में लोग मर रहे हैं। कल पानी के अभाव में मरेंगे। क्योंकि सिस्टम में बैठे निकम्मे लोग इस पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। पानी बह रहा है तो बहने दो। लोग प्यास से मरते हैं तो मरने दें। यही है भारत में बिगड़े हुए सिस्टम की असल दास्तान। इस दास्तान को समय से पहले न कोई सुनना चाहता है और न समझना चाहता है। आगे आकर कार्य करने के लिए सोचने की बात मन में लाना ही ब्यर्थ है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ मरणोपरांत सम्मान दिया जाता है। जिंदा रहते सही बात कहने वाले ब्यक्ति को निगेटिव थॉट वाला ब्यक्ति बताकर उसका मजाक उड़ाया जाता है। उसके न रहने पर उसे याद किया जाता है

पाइपलाइन चाहे ऑक्सीजन की फट जाए अथवा जल आपूर्ति की फट जाए। दोनों के फटने की सिर्फ एक सच्चाई है। यह पाइपलाइन इतनी घटिया क्वालिटी की खरीदी जाती है कि इसे आसानी से फोल्ड किया जा सकता है। हाथ और पैरों की चोट से यह मुड़कर टूट जाती है अथवा पिचक जाती है। जानते हैं, क्यों ? क्योंकि पाइपलाइन की खरीद में इतना कमीशन आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों से ले लिया जाता है कि वह अच्छी क्वालिटी की पाइपलाइन की आपूर्ति के लिये सोच ही नहीं सकता। जब घटिया क्वालिटी की पाइपलाइन डाली जाएगी तो उसमें लीकेज होगा ही। उसका लीकेज बन्द नहीं किया जा सकता

आज जिस तरह आक्सीजन के लिए लोग परेशान हैं,कल पानी के लिए वैसे परेशान होगें...

प्रतापगढ़ नगरपालिका में न तो सिविल का जेई है और न ही जलकल और बिजली के कार्य को देखने के लिए जेई है। वर्ष-1995 से नगरपालिका के अध्यक्ष पद पर सबसे भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों में से एक हरि प्रताप सिंह का कब्जा रहा है। हालांकि 5वर्ष में नगरपालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव होता है,परन्तु उस चुनाव में भ्रष्ट ब्यवस्था द्वारा हरि प्रताप सिंह को अध्यक्ष पद के चुनाव में मदद पहुँचाकर हर बार उन्हें नगरपालिका के बजट में कमीशन खोरी करने के लिए निर्वाचित होने देती है। वह जल कल की पाइपलाइन में कमीशन खोरी करके घर बैठे हैं

जलकल में जेई नहीं है। पटल प्रभारी जलकल महेश तिवारी किसी तरह जल कल की नैय्या के खेवनहार बने हुए हैं। जो नगरपालिका में कर्मचारी रिटायर हो जाते हैं, उनके स्थान पर नई भर्ती होती नहीं। इसलिये सब कार्य धक्का लगाकर किया जा रहा है। जलापूर्ति इतनी घटिया पाइप लाइन से की जाती है कि उसमें जंग लगा मोर्चा युक्त पानी शहरियों के घरों तक पहुँचता है। हकीकत में देखा जाए तो नगरपालिका सिर्फ 25 फीसदी जलापूर्ति करती है। बाकी शहरियों द्वारा स्वतः जल की ब्यवस्था की गई है। पीने वाले पानी के लिए घर में आर ओ लगे हैं अथवा आरओ प्लांट से पानी की ब्यवस्था शहरियों को करनी पड़ती है

नगरपालिका प्रतापगढ़ में आमदनी की बात करें तो वार्ड वाइज टैक्स वसूलने के लिए डिमांड रजिस्टर बने हैं। बैनामें में जिस मालियत पर स्टाम्प ड्यूटी अदा होती है। उसी तरह नगरपालिका उस भवन का टैक्स तय करती है। बैनामें में जिलाधिकारी के सर्किल रेट का 5 प्रतिशत नगरपालिका बैल्युयएशन तय करती है। उसी वैल्यूएशन पर 12 प्रतिशत टैक्स जल का और 5 प्रतिशत टैक्स भवन का नगरपालिका वसूलती है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का टैक्स लगाकर दोहरे टैक्स की ब्यवस्था भी नगरपालिका की है। असल में सुविधाओं की बात करें तो वहाँ ऑक्सीजन की तरह सारी ब्यवस्था फेल नजर आयेगी

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