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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

कोरोना संक्रमण महामारी को 5G की टेस्टिंग से जोड़कर देख रहे हैं,लोग

5G के टेस्टिंग के सवाल को मोदी सरकार गम्भीरता से ले और कोरोना संक्रमण के खतरे से उसके तार यदि जुड़ते दिख रहे हों तो उस कार्य को रोकर उस पर शोध करना आवश्यक है...!!!

5Gटेस्टिंग पर उठ रहे हैं,सवाल...

मानव को हर समय जिज्ञासु होना चाहिए। प्रत्येक विषय वस्तु पर बाराकी से अध्ययन और शोध करते रहना चाहिये। यह जरूरी नहीं कि वह बात सही ही हो। उदाहरण के लिए जितनी शिकायत जनसामान्य से प्राप्त होती हैं। उसमें 70फीसदी यह कह कर जाँच अधिकारी जाँच खत्म कर देता है कि शिकायत असत्य पाई गई देश में कोरोना संक्रमण जैसी महामारी से तवाही मची हुई है। अर्थब्यवस्था के साथ बड़े पैमाने पर जनहानि भी होने लगी है। ऐसे में यदि 5G की टेस्टिंग पर सवाल उठ रहा है तो उसकी जाँच ईमानदारी से होनी चाहिये। यदि 5G की टेस्टिंग से मानव के जीवन पर ही संकट खड़ा हो गया है तो ऐसा 5G लेकर बचे हुए मानव क्या करेंगे ? ऐसा इसलिए कहना और सोचना पड़ रहा है कि इस धरती पर तमाम तरह के जीव और भी हैं

कोरोना संक्रमण महामारी को 5G की टेस्टिंग से जोड़कर देख रहे हैं,लोग...

4G हो या 5G, तरंगे ही संचार माध्यमों को जोड़ती हैं, तरंगों में अल्फा, बीटा, गामा, पराबैगनी, आई एक्सरे यूनिट जैसी किरण की तरह ही रेडियोधर्मी किरणें, टावर से प्राप्त होने वाली किरणें कहीं ना कहीं इसका इफेक्ट तो मानव ही नहीं पूरी सृष्टि पर पड़ रहा है, इससे आने वाले समय में भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा। यह पूरी तरह सत्य है, इसका प्रभाव कोरोना जैसी बीमारी पर पड़ रहा है या नहीं पड़ रहा है, शोध का विषय होना चाहिए किंतु कहीं ना कहीं मोबाइल टावर से निकले तरंगों की फ्रीक्वेंसी की समस्या को वैज्ञानिक भी मानना शुरू कर दिए हैं। पशु-पक्षी विज्ञानी एवं प्राकृतिक पर्यावरण विज्ञानियों ने इस मामले को लेकर कई बार अपनी आवाज उठाई किंतु अभी तक भौतिकवादी विकास की आपाधापी में उनकी आवाज कोई सुन नहीं रहा है, अब समय आ रहा है कि इस पर भी विचार किया जाना चाहिए क्योंकि सब कुछ संभव है। मानवता त्राहिमाम कर रही है तो इस पर विचार न करने का सवाल ही नहीं पैदा होता। मोदी सरकार को इस विषय पर अपने वैज्ञानिकों एवं पर्यावरणविद के साथ आईआईटी के प्रतिभाशाली विद्वान प्रोफेसर एवं योग्य छात्रों की एक कमेटी के माध्यम से जांच कराकर विचार करना चाहिए।

क्या वास्तव में 5Gकी टेस्टिंग से देश दुनिया में कोरोना संक्रमण जैसी महामारी आई...

देश में संचार क्रांति के दौर में 4G के आने के बाद देश भर में कई तरह के पक्षियों का समूल नष्ट हो गए। अब वह दिखते ही नहीं। आप सब भी नीले आसमान के नीचे रहने वाले कई पशु पक्षियों को अब नहीं देख पाते होगें जो बचपन में देखा करते थे। अब 5G के टेस्टिंग से क्या वही असर मानवों पर तो नहीं पड़ रहा है। इसकी जाँच भारत सरकार को बड़ी ही ईमानदारी के साथ करानी चाहिये। क्योंकि इस समस्या से मानव जीवन ही खतरे में है। यदि मनुष्य ही नहीं बचेंगे तो सुविधाओं का क्या होगा ? फिर तो 5G ही नहीं कोई G नहीं चाहियेइस बात में दम है और अकाट्य सत्य भी है। जिस मुहल्ले में संचार विभाग ने अधिक टावर स्थापित कर दिए हैं उस मुहल्ले के लोगों में माइग्रेन रोग के रोगी अधिक मिलने लगे हैं। विशेष कर घर में रहने वाली महिलाएं जो दिन भर घर में रहती हैं। उनका सिर दर्द की शिकायत बहुत अधिक देखने को मिल रही है। न्यूरो फिजिशियन और न्यूरो सर्जन के यहाँ जाकर देखने पर लगता है कि इधर 20 वर्षो में संचार विभाग के टावरों की वजह से इन मरीजों की तादाद बढ़ी है। पहले 90 फीसदी लोग न्यूरो के डॉक्टरों के कार्य को नहीं जानते थे कि इनका क्या काम चिकित्सा क्षेत्र में होता है ? अब तो छोटे से छोटे शहरों में न्यूरो चिकित्सक के बोर्ड लगे हैं

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