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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

शराब माफियाओं के गठजोड़ में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ पत्रकार भी शामिल

भाड़गीरी करने से बाज़ आये जनपद प्रतापगढ़ के तथाकथित पत्रकार...

दागदार होती पत्रकारिता...

जनपद प्रतापगढ़ में शराब माफियाओं और अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की तिकड़ी पर जब शासन की भृकुटि टेढ़ी हुई तो नए पुलिस अधीक्षक के रूप में प्रतापगढ़ की कानून ब्यवस्था की कमान संभालने वाले आकाश तोमर को शराब माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए जैसे ही खुली छूट मिली तो 24 घंटे छापेमारी की कार्रवाई प्रतापगढ़ में शुरू। छापेमारी की कार्रवाई में नकली और जहरीली शराब का हब साबित प्रतापगढ़ जिला। सूबे में 75 जनपद हैं और प्रतापगढ़ जनपद के शराब माफियाओं ने नकली और जहरीली शराब के मामले में अति कर दी

पीत पत्रकारिता का बढ़ गया चलन...

कुंडा क्षेत्र में पुलिस और आबकारी की संयुक्त टीम की छापेमारी में करोड़ों रुपये की नकली एवं जहरीली शराब मिली। अब सवाल उठना तो लाजिमी है कि ये मौत की फैक्ट्री संचालित करने वाले शराब माफियाओं के आका आखिर कौन है ? सबकुछ जानते हुए भी 90 फीसदी पत्रकारों की कलम उस आका के खिलाफ नहीं चल सकी। अब बारी अधिकारियों और शराब माफियाओं के गठजोड़ की आई तो उस पर भी कुछ दल्ले किस्म के पत्रकारों ने सफाई देनी शुरू की। फिर भी योगी सरकार ने शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ करने वाले पुलिस के अधिकारियों और स्टेशन अफसरों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित करने का हुक्म दे दिया। कुछ को संदिग्ध मानते हुए उनके खिलाफ एंटी करप्पशन की जाँच बैठा दी

पत्रकारिता की आड़ में चाटुकारिता कर अपनी दुकान चलाने को मजबूर आधुनिक पत्रकार...

स्थानीय मीडिया के कुछ लोग कल से कुंडा के इंस्पेक्टर के बचाव में अपनी घिनौनी हरकत से पत्रकारिता को कलंकित करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। कईयों ने तो कुंडा कोतवाल डी पी सिंह को हरिश्चंद्र की उपाधि देने से भी पीछे नहीं रहे। उनकी फोटो सोशल मीडिया में शराब माफिया सुधाकर सिंह के साथ वायरल हुई तो वह छः माह पहले की बताकर बिना जाँच पड़ताल किये कुंडा के कोतवाल डी पी सिंह को मीडिया के कथित दलाल क्लीन चिट देने लगे। इतनी भारी मात्रा में कुंडा क्षेत्र में शराब का पकड़ा जाना अधिकारियों और नेताओं के मुँह पर तमाचा मारने जैसा है। फिर भी मीडिया के वो लोग जो शराब माफियाओं से लाभान्वित होते थे, आज उन्हें सबसे अधिक तकलीफ है। कई मीडियाकर्मियों की फोटो भी शराब माफियाओं के साथ सोशल मीडिया पर विगत एक सप्ताह से वायरल हो रही है। फिर भी उन्हें इसका लेशमात्र पछतावा नहीं है। दुःख है तो इस बात का कि शराब माफियाओं से मिलने वाली सुविधाओं से वह भी वंचित हो गए हैं। अब उनके घर परिवार का खर्च कौन उठाएगा...???

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