वाणिज्य कर कार्यालय के अधिकारियों द्वारा ब्यापारियों को दो नम्बर में कार्य करने और टैक्स की चोरी करने के लिए किया जाता है,मजबूर...!!!
नम्बर एक में सेल को आधार बनाकर किसी ब्यापारी की फर्म आडिट के नाम पर हैरान व परेशान करना ये साबित नहीं करता कि वाणिज्य कर विभाग से जुड़े अधिकारी जानबूझकर उस ब्यापारी का शोषण करने की नियति से उसकी फर्म को टारगेट कर रहे हैं,ताकि वह उन्हें उसके बदले नम्बर एक में काम करने के बाद भी रिश्वत दे...!!!
एक देश, एक कर प्रणाली के तहत देश में जीएसटी लागू किया गया और देश की जनता को बताया और समझाया गया कि वह यदि कोई भी ब्यवसाय करे तो जीएसटी बिल अदा करने के बाद ही करे l इसके लिए सरकार आधी अधूरी तैयारी के साथ जीएसटी को लागू करके ब्यापार को नई गति देने का दावा तो जरुर किया, परन्तु हकीकत में ब्यापार में गति आने को कौन कहे ब्यापार में रुकावट ही रुकावट आई l आज ब्यापारी सरकार के तिकड़म से इतना आजिज आ चुका है कि वह साँप छंछूदर की दशा में दशा में पहुँच चुका है l न उगलते बन रहा है और न ही निगलते बन रहा है l
सरकार कहती है कि ईमानदारी से ब्यवसाय किया जाये और भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर रोका जाये l डिजिटल इंडिया का दिवा स्वप्न दिखाकर सरकार देश की जनता को छलने का काम किया है l सरकार ने जिस पोर्टल पर जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराकर ब्यवसाय करने की बात करती है वह पोर्टल अक्सर बंद रहता है l यदि समय पर ब्यापारी अपने ब्यापार को जीएसटी पोर्टल पर ऑन लाइन नहीं कराया तो उसे विलम्ब शुल्क की भरपाई अलग से करनी होगी l जीएसटी फाइल करने के लिए ऑन लाइन की ब्यवस्था सरकार ने की है,परन्तु उसमें इतनी त्रुटियाँ हैं कि वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी उस त्रुटी को दूर कर पाने में स्वयं को असमर्थ मानते हैं l हाँ उनमें सामर्थता बची है तो सिर्फ रिश्वत लेने के लिए ही शेष बची है l
भाजपा सदैव ब्यापारियों की पार्टी मानी गई है l भाजपा जब केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनाई और अपने प्रथम कार्यकाल में वित्तमंत्री के रूप में स्व अरुण जेटली जी के दिशा निर्देश में वैट ब्यवस्था खत्म करके देश में जीएसटी लागू की और यह दावा किया कि कटोरा लेकर भीख माँगने से बेहतर होगा कि जीएसटी रुपी एक दान पेटिका को रखकर देश भर में एक कर की ब्यवस्था लागू कर सभी ब्यापारियों और देश के नागरिकों द्वारा जीएसटी के जरिये टैक्स अदा करके देश हित में अपना सहयोग प्रदान करें l देश की जनता को लगा कि मोदी सरकार के वित्तमंत्री लगता है देश की अर्थब्यवस्था सच में सही कर देंगे l परन्तु हकीकत यह रही कि अर्थशास्त्र की कोई जानकारी न रखने के बाद भी पता नहीं किस मोह में स्व अरुण जेटली जी को मोदी जी अपने प्रथम कार्यकाल में उन्हें देश का वित्तमंत्री बनाया रखा गया...???
मोदी और योगी सरकार में ब्यापार और ब्यापारियों का सिर्फ और सिर्फ शोषण ही किया जा रहा है l जो ब्यापारी सरकार की बात मानते हुए अपना ब्यवसाय इमानदारी के साथ करता है तो उसे सरकारी तंत्र ही उसे बेईमानी करने के लिए प्रेरित करता है l क्योंकि जब एक ब्यापारी पूरी ईमानदारी के साथ अपने ब्यवसाय को जीएसटी पोर्टल पर ऑन लाइन कराते हुए सारे ब्यवसाय नम्बर एक में करे तो वह ब्यापारी किस मद से वाणिज्य कर कार्यालय में बैठे मरघट के डोम सरीखे अधिकारियों को वर्ष-17 व वर्ष-18 की 3 माह की वैट आडिट एवं 9 माह का जीएसटी आडिट के नाम पर 15 हजार रुपये से 25 हजार रुपये तक की माँग वाणिज्य कर विभाग के अधिकारीगण करते हैं l ऐसी दशा में एक ईमानदार ब्यापारी किस तरह अपना ब्यापार ईमानदारी के साथ करे ? इससे सिद्ध होता है कि सरकार और सरकार के नियंत्रण में रहने वाले विभाग के अधिकारी ही नहीं चाहते कि एक ब्यापारी अपना ब्यापार एक नम्बर में करें l सिस्टम ही ब्यापारी को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि वह दो नम्बर में ब्यापार करे और टैक्स की चोरी करके उन्हें भी खिलाये और स्वयं भी खाए
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