तत्कालीन विधायक रहे संगम लाल गुप्ता के पत्र को आधार बनाकर राजस्व विभाग और सरकारी अधिवक्ता ग्राम समाज ने राष्ट्रीय राजमार्ग की बेशकीमती भूमि को विनिमय करके बेंच खाया...
लोकसभा नामांकन से संगम लाल गुप्ता थाल सजाकर पूजा अर्चना के लिए मंदिर जाते हुए... |
सामान्य परिवार में जन्मे संगम लाल गुप्ता राजनीति क्षेत्र में वर्ष-2010 में प्रवेश किये। शुरुवाती दौर में बहुजन समाज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेकर प्रतापगढ़ में चहलकदमी करना शुरू किए। वर्ष-2012 का टिकट न मिलने पर संगम लाल गुप्ता जी बसपा को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा से वर्ष-2014 में लोकसभा के टिकट की दावेदारी करने के बाद सीट गठबन्धन में चली गई और उसके खरीददार जौनपुर के कुँवर हरिवंश सिंह जी हुए।
इस तरह भाजपा से संगम लाल गुप्ता को निराशा हाथ लगी। परन्तु उन्होंने उम्मीद न छोड़ी और भाजपा में उन्होंने शीर्ष नेतृत्व में अपनी पकड़ बनाने के लिए दिन रात एक कर दिया। उसका फायदा उन्हें वर्ष-2017 में मिला। भाजपा में रहते उन्हें अपना दल एस से गठबंधन करने के बाद संगम लाल गुप्ता को टिकट मिला और मोदी की लहर में संगम लाल गुप्ता सभी रिकार्डो को ध्वस्त करते हुए सपा के नागेंद्र सिंह उर्फ मुन्ना यादव को करारी शिकस्त देकर विधायक बन गए।
संगम लाल गुप्ता जी 2 वर्ष सदर, प्रतापगढ़ विधायक के रहे और मई, 2019 में प्रतापगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए। सांसद निर्वाचित होने के बाद से ही लगातार माननीय संगम लाल गुप्ता से सभी अधिकारियों के विरुद्ध पत्र लिखवाकर उस पर उनके हस्ताक्षर कौन करा रहा है जो जाँच प्रक्रिया में आने के बाद सांसद को सफाई देनी पड़ती है कि उन्होंने ऐसा पत्र लिखा ही नहीं। ठीक है,यदि लिखा गया है और किसी गलतफहमी में पत्राचार किया गया है तो उसे वो चेक करा लेंगे। यानि ये तय है कि सांसद जी का अति नजदीकी ऐसा कोई ब्यक्ति है जो उनके पत्र को तैयार कराता है और उस पर उनसे हस्ताक्षर कराकर अपना कार्य सिद्ध कर रहा है।
सांसद के साथ हवन में आहुति देने वाले लोगों के चेहरे पहचाने...??? |
ये रिश्ते क्या कहलाते हैं...???
कई नेताओं के लिए नसुड्डहा साबित होने के बाद वह ब्यक्ति संगम लाल गुप्ता के अति करीब हो गया। हाँलाकि संगम लाल गुप्ता जी के यहाँ पुरानी टीम के लोगों से भी उस ब्यक्ति की नहीं पटती। यही नहीं सांसद जी के अनुज दिनेश गुप्ता जी से भी उस ब्यक्ति की नहीं जमती। पता नहीं कौन सी घुट्टी उसने सांसद जी को पिलाई कि संगम लाल गुप्ता उसके मुरीद हो गए हैं। परन्तु उस ब्यक्ति को सांसद जी अपने से समय रहते अलग न किये तो उनकी लुटिया डूबने से कोई बचा नहीं सकता।
प्रतापगढ़ जिले में प्रताप वासिनी माँ शीतला मंदिर की स्थापना और संगम इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना करके संगम लाल गुप्ता जी विधायक और सांसद बनने से पहले ही अपनी साख और प्रतिष्ठा बनाई। संगम लाल गुप्ता जी बहुत कम समय में राजनीतिक मान व प्रतिष्ठा प्राप्त किये। ये उनकी भाग्य का विषय है। परन्तु सांसद जी यदि अपनी मान प्रतिष्ठा को बनाये रखना है तो बहुत संयम से कार्य करना होगा। वर्तमान में उनकी बड़ी जग हंसाई हो रही है। निजी हित को सिद्ध करने के लिए जनहित की बात करते हुए पत्र लिखकर जिलाधिकारी पर दबाव बनाकर करोड़ों रुपये की जमीन का सौदा आखिर कैसे हो गया ? कौन है सांसद जी वो करीबी जो उनकी जड़ में मट्ठा डालने का कार्य कर रहा है...?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें