ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये,औरन को शीतल करे,आपहुं शीतल होय...
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नहीं रहे राहत इंदौरी... |
"राहत इंदौरी के मरने पर चूड़ियां फोड़ने वाले हिंदुओं देख लो तुम्हारे मंदिरों और ग्रंथों का किस तरह मज़ाक उड़ा था। जिनके नाम के बाद स्वतः ही जी लग जाता है। जिनका सम्मान हर राजनीतिक दल करता है,उनके बारे में क्या कहा था...??? अपनी पैतृक जिले को अपने नाम के साथ से जोड़कर नाम पैदा करने वाले धीरे-धीरे एक-एक करके दुनिया को अलविदा कहते गए। उसी कड़ी में कल शेर शायरियों भरे मुशायरों से देश दुनिया में ख्याति अर्जित करने वाले राहत इंदौरी ने भी इस संसार को अलविदा कह गए। शेर शायरियों भरे मुशायरों वाले राहत इंदौरी के जीवन में एक समय ऐसा आया जब उनके द्वारा देश के प्रधानमंत्री और भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी पर ब्यंग बाण छोड़े तो उनकी बहुत आलोचना हुई थी..."
ये वो वीडियो है,जिसमें राहत इंदौरी बड़बोले पन में देश के प्रधानमन्त्री एवं भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वायपेयी जी को 2कौड़ी और स्वयं को करोड़ों की कीमत कहने वाला भी हो गया सुपर्द-ए-खाक....
आज जब राहत इंदौरी इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कहकर अपने प्राण त्याग दिए तो उनका वो ब्यंग्य बाण आज उनके पूरे जीवनकाल के कृत्यों पर भारी पड़ रहा है। जहाँ लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो वहीं उनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें माफ न करने की बात कर रहे हैं। इससे ये सीख मिलती है कि अपने जीवन काल में ऐसा कोई कृत्य नहीं करना चाहिये जो पूरे जीवनकाल में किये गए अच्छे कार्यों को भी रौदते हुए मरने की बाद भी ग्रहण बनकर मृत आत्मा को कोसने का कार्य करे।
क्या आप जानते हैं कि राहत इंदौरी ने स्व श्रद्धेय भारत रत्न से विभूषित भारत के प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेई को उनके घुटनों के ऑपरेशन के समय तंज कसते हुए व अपमानित करते हुए कहा था...
"निकाह किया नहीं, तो फिर यह मर्द कैसा ?
घुटनों से काम लिया ही नहीं, तो फिर दर्द कैसा ?"
इस धरती पर जो भी उत्पन्न हुआ है, उसका एकदिन अंत उसके पैदा होते ही सुनिश्चित हो जाता है। परन्तु मनुष्य कभी-कभी भावावेश में आकर ऐसी गलती कर जाता है कि उसके लाख प्रायश्चित करने के बाद भी उसकी वो गलती उसके जीवन को ही समाप्त कर देती है। ऐसे भी व्यक्ति के गुजर जाने पर लोग सारी बातें भुलाकर उन्हें दिलखोल कर को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। ये सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान की सरजमीं पर ही संभव हो !
सेकुलरिज्म का एक बड़ा पेड़ जिसकी छांव में इस्लाम व उर्दू महफूज रही और इसकी ओट में शेर शायरियों भरे मुशायरों में राहत इंदौरी ने हिन्दुओं में फरेबी गंगा जमुनी तहजीब की घुट्टी पिलाई गई। मोदी का धुर विरोधी, इस्लाम को संरक्षण देने के लिए हिन्दुओ को सेक्युलरिज्म की शेर शायरियां सुनाने वाले राहत इंदौरी का कोरोना से इंतकाल हो गया। समय-समय पर सेक्युलरिज्म की बांगे देते राहत इंदौरी ने कभी भी सोनिया गांधी के खिलाफ कोई सवालिया शेर शायरी नहीं पढ़ी। सेक्युलरिज्म के ठेकेदार राहत इंदौरी ने लगातार भारत में ग़द्दार मुइमों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने वाले शेर शायरियों के मुशायरे किये।
इश्क, मोहब्बत की ढाल बनाकर राहत खान साहब ने भारत में इस्लाम को मजबूत बनाने के लिए एक मोमिन का पूरा फर्ज अदा किया। जब-जब हिन्दुओ में अपने धर्म के ग़द्दारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने का माहौल बना। तब-तब राहत खान इंदौरी ने गंगा जमुनी तहजीब की बांगे दी और हिन्दुओ को सेक्युलरिज्म की दुहाई देते शेर शायरियों के मुशायरे आयोजित किए। आज राहत इंदौरी को कोरोना के शुरुआती लक्षण सामने आने के बाद करवाई गई जांच में राहत खान इंदौरी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। अस्पताल में भर्ती राहत खान कोरोना सदमा सहन नहीं कर पाए और 70साल की उम्र में मृत्यु को प्राप्त हो गए।
बहुत से लोग रोऐंगे फूट-फूट कर तेरी मैयत में "राहत"
...मेरे देश में तू इकलौता गद्दार थोड़ी है...
Modi aur atal ke baare me galat Kya kaha.shayar ko iski azadi hai
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