चीनी बिल्ली के गले में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घंटी बांधने के साथ ही चीनी बिल्ली के गले में बड़े बड़े घंटे बांधे जाने लगे हैं। अभी कुछ घंटों पहले अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) ने भी चीनी बिल्ली के गले में अपने प्रतिबंध का घंटा बांध दिया है। चीन की दो बड़ी कम्पनियों Huwaie Technologies Company तथा ZTE Corporation तथा उनसे जुड़ी उनकी सभी छोटी बड़ी कंपनियों (Subsidiaries) को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) ने इन चाईनीज कम्पनियों से किसी भी प्रकार के उपकरण या मशीनरी की खरीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
उल्लेख आवश्यक है कि फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) का Universal Service Fund 8.3 अरब डॉलर अर्थात् लगभग 63 हजार करोड़ रुपये वार्षिक का है। इस भारी भरकम रकम में उपरोक्त दोनों चीनी कम्पनियों के धंधे की हिस्सेदारी बहुत बड़ी थी। भारतीय मूल के अमेरिकी, FCC के चेयरमैन अजित पई ने स्वयं ट्वीट करके उपरोक्त सूचना दी है। चीन को ये भ्रम हो गया था कि भारत उसके कुकर्मों को सहजता के साथ सहता और सुनता रहेगा। वो भूल गया कि भारत के पास भी वर्ष-1962 वाली सामरिक क्षमता से कई गुना बृद्धि होकर अब एक मजबूत भारत हो चुका है। उसका नेतृत्व करने वाला कोई बुजदिल और कायर नहीं बल्कि मजबूत इरादों वाला है और यदि वो चीन के प्रधानमंत्री को अहमदाबाद में झूला झुला सकता है तो लद्दाख में ललकार भी सकता है। ललकार ही नहीं सकता बल्कि देश के बीर सपूतों द्वारा लद्दाख में चीन के सैनिकों की बलि भी दिलाने में पीछे नहीं हटने वाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
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