राजनीतिक दलों के नेताओं के दोहरे चरित्र से देश हुआ त्रस्त...
कानपुर में नृशंस नरसंहार कर के फरार हुआ दुर्दांत अपराधी विकास दुबे मीडियाई और राजनीतिक प्रपंच का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। इन प्रपंचों में राजनीतिक दलों से उसके सम्बन्धों की सड़ी गली कथाओं का राग अपनी अपनी सुविधानुसार अलग अलग सुरों में अलापा जा रहा है। राजनीतिक दलों के प्रपंची प्रवक्ता इन न्यूजचैनली प्रपंच सभाओं में एक दूसरे पर जमकर कीचड़ भी उछाल रहे हैं। न्यूजचैनलों के एंकर एडिटर ऐसे चीख चिल्ला रहे हैं। मानो मीडिया को तथा राजनीतिक दलों को विकास दुबे के आपराधिक कृत्यों तथा राजनीतिक सम्बन्धों संपर्कों की जानकारी 8 पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या के बाद ही हुई है।
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देश के पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद बहुत दिनों बाद तोड़े चुप्पी और शुरू किया प्रपंच... |
" बैलेंस बनाने के लिए तथ्यों को आग लगा दी जाए ! "अंधेर नगरी के चौपट राजा" वाली शैली में सच और झूठ, सही और गलत का विशलेषण किए बिना सबके मुंह पर कालिख पोत दी जाए। इसी सस्ते घटिया लेकिन सबसे सरल पत्रकारीय हथकंडे के तहत न्यूजचैनलों के एंकर एडिटर लगातार यह राग अलाप रहे हैं कि विकास दुबे को सभी दलों ने राजनीतिक संरक्षण दिया। जबकि सच यह नहीं है। उसके खिलाफ 60 से अधिक गम्भीर अपराधों के जो मुकदमे दर्ज हैं वो 1947 से पहले ब्रिटिश शासनकाल में दर्ज नहीं हुए थे ..."
पुलिस को चाहे जितनी गालियां दीजिये लेकिन सच यही है कि इसी उत्तरप्रदेश पुलिस ने कई बार विकास दुबे को जेल के सींखचों के पीछे भेजा है। उसके दोनों पैरों में पड़ी स्टील की रॉड भी उत्तर प्रदेश पुलिस की ही कृपा का प्रतिफल है। लेकिन 5 दर्जन से अधिक जघन्य अपराधों में नामजद दुर्दांत अपराधी को कोर्ट से लगातार मिलती रही जमानत समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के कुछ महीनों बाद ही विकास दुबे को गम्भीर धाराओं में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। वो 19 महीने जेल में बंद भी रहा लेकिन फिर जमानत करा के बाहर आ गया था। जब ऐसे अपराधियों को लगातार जमानतें मिलती हैं तो अपराधी के हौसले बुलंद होते जाते हैं और पुलिस के मनोबल पर कैसा और कितना कुठाराघात होता है ?
यह किसी पुलिसकर्मी से पूछिये तो ज्ञात होगा। ढाई लाख से अधिक पुलिसकर्मियों की फौज है, उत्तरप्रदेश पुलिस में ! इनमें कोई भी पुलिसकर्मी भ्रष्ट और कुकर्मी नहीं होगा, सब सदाचार के पुतले होंगे। ऐसे मूर्खतापूर्ण सपनों का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन विकास दुबे द्वारा की गयी 8 पुलिसकर्मियों की हत्या यह भी बता रही है कि इससे पूर्व उसे गिरफ्तार करने वाले पुलिसकर्मियों की हिम्मत और हौसला कितना बुलंद रहा होगा। वह पुलिसकर्मी भी इसी उत्तरप्रदेश पुलिस का ही हिस्सा थे, वो स्कॉटलैंड यार्ड की पुलिस से नहीं लाए गए थे। अतः इस हत्याकांड की आड़ में पूरी उत्तरप्रदेश पुलिस के खिलाफ बज रहे न्यूजचैनली ऑर्केस्ट्रा और उस धुन पर नाच रहे विपक्षी नेताओं प्रवक्ताओं के भ्रमजाल में मत फंसिए।
यह किसी पुलिसकर्मी से पूछिये तो ज्ञात होगा। ढाई लाख से अधिक पुलिसकर्मियों की फौज है, उत्तरप्रदेश पुलिस में ! इनमें कोई भी पुलिसकर्मी भ्रष्ट और कुकर्मी नहीं होगा, सब सदाचार के पुतले होंगे। ऐसे मूर्खतापूर्ण सपनों का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन विकास दुबे द्वारा की गयी 8 पुलिसकर्मियों की हत्या यह भी बता रही है कि इससे पूर्व उसे गिरफ्तार करने वाले पुलिसकर्मियों की हिम्मत और हौसला कितना बुलंद रहा होगा। वह पुलिसकर्मी भी इसी उत्तरप्रदेश पुलिस का ही हिस्सा थे, वो स्कॉटलैंड यार्ड की पुलिस से नहीं लाए गए थे। अतः इस हत्याकांड की आड़ में पूरी उत्तरप्रदेश पुलिस के खिलाफ बज रहे न्यूजचैनली ऑर्केस्ट्रा और उस धुन पर नाच रहे विपक्षी नेताओं प्रवक्ताओं के भ्रमजाल में मत फंसिए।
"हत्यारे का घर और गाड़ियां तोड़े जाने से कांग्रेस क्रोध से उबल गई है। दिग्गज कांग्रेसी नेता और देश के पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कानपुर नरसंहार के मुख्य अपराधी हत्यारे विकास दुबे का खुलकर समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री योगी पर तीखा हमला कर के उनसे पूछा है कि किस कानून के तहत विकास दुबे का घर और गाड़ियां तोड़ी गई हैं ? सलमान खुर्शीद ने कहा है कि पुलिस की यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने का सबूत है..."
विकास दुबे की मदद करने वाले जिन पुलिसकर्मियों का नाम अब सामने आ रहा है, उनके विरुद्ध होने वाली कार्रवाई सरकार की रीति नीति और नीयत को बताएगी। जिस योगी सरकार के अबतक के कार्यकाल में पुलिस ने 6 हजार से अधिक एनकाउंटर कर के 2250 से अधिक अपराधियों को घायल किया 13000 से अधिक अपराधियों को घायल गिरफ्तार किया, 123 अपराधियों को मौत के घाट उतार दिया है, वो सरकार क्या अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार है ? उपरोक्त सवाल का उत्तर स्वयं से पूछिये।
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