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शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

“बहुजन सशक्तिकरण संघ “की वेबिनार सिरीज में महिला सशक्तिकरण पर की गयी वार्ता

समाज में लैंगिक विषमता को शिक्षा और जागरूकता के द्वारा दूर किया जा सकता है...

प्रेम प्रकाश, अपर पुलिस महानिदेशक, प्रयागराज जोन,प्रयागराज...

प्रयागराज। "बहुजन सशक्तिकरण संघ" की वेबिनार सिरीज की मुख्य अतिथि अनुप्रिया पटेल (पूर्व केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना दल एस, सांसद मिर्ज़ापुर) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि किस प्रकार समाज में लैंगिक विषमता को शिक्षा और जागरूकता के द्वारा दूर किया जा सकता है ? उन्होंने कहा कि महिलाओं को खुद अपने आपको पहचानने व अपने विश्वास को सुदृढ़ करने की ज़रूरत है। अपनी खुशी के लिए महिलाओं को पुरुषों की स्वीकार्यता का इंतजार नहीं करना चाहिए। आयोजन की मुख्य वक्ता निदा खान, मुस्लिम महिला अधिकार ऐक्टिविस्ट जो कि तीन तलाक और हलाला परम्परा के विरुद्ध संघर्ष कर रही है। निदा खान ने मुस्लिम महिलाओं की स्थिति पर बात की और बताया कि सामाजिक परिवेश किस प्रकार  महिलाओं व लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने से रोकता है । इसके लिए उन्होंने भारतीय सिनेमॉ का उदाहरण दिया कि हीरो ओर हीरोईन को बराबर भुगतान नहीं किया जाता। निदा खान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा ही एक मात्र ऐसा साधन है जो देश में महिलाओं की परिस्थितियों में सुधार ला सकता है।


"बहुजन सशक्तिकरण संघ"की वेबिनार सिरीज की मुख्य अतिथि अनुप्रिया पटेल...

डॉ बी पी अशोक जी ने बताया कि समाज ने औरत को गालियों, तानो और फबतियों के दायरे में बांधा है। महिलाओं के आत्मविश्वास को तोड़ने के लिए नए नए हथकंडे अपनाता है। कार्यक्रम संचालक डॉ जय भारतीय ने साहित्य धार्मिक ग्रंथ आदि का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही महिलाओं को सीमित रोल में रखा गया है। नारी को सिर्फ़ दो रूप दिए हैं या तो स्त्री पतिव्रता है या फिर कामिनी। हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी स्त्रियों को इन्ही रूपों में दिखाया गया है। नारी को नरक का द्वार तक कह दिया गया है। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत में आज जो भी अधिकार महिलाओं के मिले हैं, उनका पूरा श्रेय बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी को जाता है । जिन्होंने भारतीय सविधान में स्त्रियों को समानता का अधिकार दिया।सम्पत्ति में हिस्सेदारी, प्रसूति अवकाश, कार्यस्थल पर विशेष सुविधा, आरक्षित सीटें, समान कार्य के लिए समान वेतन, पुनः विवाह का अधिकार इत्यादि बाबा साहब  की ही देन है और ये बात सभी को जाननी चाहिए।प्रीति पाण्डेय जो की हेल्थ इंडस्ट्री से आती हैं और दिल्ली के एक प्रतिष्ठित विद्यालय में शिक्षिका के रूप में काम कर रही हैं, उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में आगे आना चाहिए। यदि हम अपनी बच्चियों को ही दुनिया का सामना करना सिखाए तो वे बड़ी होकर खुद ही सशक्त बनेगी इससे एक मजबूत समाज की स्थापना को बल मिलेगा। 

आयोजन में वक्ताओं ने दिए अपने-अपने सुझाव...

1. छोटी बच्चियों को गुड्डियाँ न बनाए, उन्हें शिक्षा और आत्मविश्वास का महत्व समझाएँ। 
2. अपने बेटों को स्त्रियों के प्रति सहनशीलता और स्वीकार्यता का व्यवहार सिखाए। 
3. महिलाओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा पूरे समाज की जिम्मेदारी है । 
4. महिलाओं का स्वास्थ्य उतना ही आवश्यक है, जितना पुरुषों का । पूरे परिवार को इस और ध्यान देना चाहिए।
5. स्त्री का जनम सिर्फ शादी करने के लिए और बच्चे पैदा करने के लिए नहीं होता । समाज को अपनी सोच बदलनी होगी। 
6. एक उन्नत समाज के लिए महिलाओं की उन्नति बहुत ज़रूरी है।

"बहुजन सशक्तिकरण संघ" की वेबिनार सिरीज में प्रमुख रूप से प्रेम प्रकाश, अपर पुलिस महानिदेशक, प्रयागराज जोन, प्रणय कैम, कणिका जौहरी, नानक चंद प्रदेश अध्यक्ष-BSS, डॉक्टर किशन स्वरूप, ग़ाज़ियाबाद, डॉक्टर मनोज कुमार, डॉक्टर आदर्श ज्योति, वी पी सिंह, गौरव जेवरि, अविनाश चित्तोड, सीमांत गौतम के साथ सैंकड़ों नामचीन लोग सपरिवार बीएसएस वेबिनार सिरीज़ “ब्रेन स्टॉर्म “ में उपस्थित रहे।

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