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गुरुवार, 2 जुलाई 2020

सोनिया गांधी आज भी ईसाई ही है...

देश की परिपाटी रही है कि लोग अपने बाप और बाबा जी के नाम से जाने जाते हैं, जबकि राजीव की तरह अब रेहान भी अपने नाना राजीव के नाम का लेंगे सहारा...

  रेहान को माँ-बाप के नाम से अधिक उम्मीद है नाना के से...
भारत पुरुष प्रधान देश है जहाँ समाज में शादी/विवाह के बाद उसका धर्म और जाति पुरुष वाली जाति और धर्म में तब्दील हो जाता है। जब लड़का किसी भी लड़की से शादी करता है तो शादी के बाद उस लड़की की जाति और धर्म वही हो जाता है जो उस लड़के का होता है। विशेष परिस्थितियों में यदि लड़का धर्म परिवर्तन करके शादी करता है तो जिस धर्म को वो मानता है वही उसका धर्म होगा और शादी के बाद उसकी पत्नी का भी वही धर्म होगा और उससे पैदा होने वाले बच्चे भी उसी धर्म और जाति के होंगे। कभी-कभी हाई प्रोफाइल मामलों में ये नियम और फार्मूला फेल होता दिखता है। उदाहरण के लिए देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा और फिरोज खान का मामला ही देखा जा सकता है। उसके बाद उन्हीं के लड़के देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव का मामला देख लीजिये। राजीव की शादी सोनिया से होती है और उनसे दो बच्चे पैदा होते हैं। एक राहुल तो दूसरी प्रियंका। 

अब बात करते हैं इंदिरा की तो वो देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की इकलौती संतान थी और इंदिरा ने अपनी इच्छा अनुसार फिरोज खान से शादी किया तो इंदिरा की जाति और मजहब तो फिरोज खान वाला होना चाहिए। इसी तरह राजीव के पिता फिरोज खान थे तो राजीव की जाति और मजहब फिरोज खान वाला ही माना जाएगा। अब बात करते हैं सोनिया की तो सोनिया इटली मूल की हैं और उनका मजहब ईसाई है। अब सोनिया जब राजीव से शादी कर ली तो उनका मजहब भी राजीव का ही होगा। अब सोनिया और राजीव से राहुल पैदा हुए तो राहुल की जाति और मजहब पिता राजीव का ही माना जायेगा। प्रियंका भी राजीव और सोनिया की संतान है,परन्तु प्रियंका ने अपनी शादी रॉबर्ट वाड्रा से कर ली तो प्रियंका की जाति और मजहब पति रॉबर्ट वाड्रा वाला ही माना जाएगा। 

भारत में वंश और जाति भी पुरुष की जाति और नाम से जानी जाती है, परन्तु इंदिरा, राजीव, सोनिया, राहुल, प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा के प्रकरण में लोगों का आजतक कन्फ्यूज किया गया है। जानते हैं क्यों ? सिर्फ गाँधी नाम को भुनाने के लिए ! जबकि शादी के बाद लड़की की अपनी कोई जाति और मजहब शेष नहीं बचता फिर सोनिया का कैसे मजहब बचा है ? सोनिया पारसी हैं अथवा ईसाई इस बात की लड़ाई जारी है। गाँधी और नेहरु खानदान का विवाद ऊपर से बना हुआ है। देखना है कि सोनिया और राहुल सहित प्रियंका और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा एवं उनके बच्चे कब तक नेहरु और गाँधी नाम की बैशाखी लेकर राजनीतिक फायदे लेते रहेंगे और देश की जनता को इमोशनल ब्लैकमेल करते रहेंगे ? फिलहाल देश की नई जनरेशन इस सच्चाई को बाखूबी जाँच परख लिया है कि असलियत क्या है ? अब इन मदारियों का कोई भी दाँव देश की जनता पर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। 

कांग्रेस के युवराज राहुल चाहे जनेऊ धारण करें अथवा पूरे माथे पर चन्दन ही पोत लें ! अब उन्हें कोई ब्राह्मण मानने को तैयार नहीं है। प्रियंका की नाक की डिजाइन बताकर इंदिरा से शक्ल मिलने की बात भी फीकी पड़ गई और राहुल की बाल की कटिंग और चेहरे की बनावट राजीव की तरह सजाने से अब काम बनने वाला नहीं है। क्योंकि राहुल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर आसीन कराकर प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताकर कांग्रेस ने दो चुनाव लड़कर परस्त हो चुकी है। काफी नौटंकी के बाद पुनः कमान सोनिया ने अपने हाथों में ले लिए है और कांग्रेस के एक एक कद्दावर नेता पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं और कांग्रेस बिखर रही है। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस अब नेहरू खानदान का नाम लेकर पाँचवी पीढ़ी का नाम रेहान रॉबर्ट वाड्रा हटाकर रेहान राजीव गाँधी करके उसे राजनीति में स्थापित करना चाहती हैं जो मुश्किल दिख रहा है 

हालांकि डॉक्टर सुब्रह्मण्यम स्वामी यह बात बार-बार लगातार कहते रहे हैं, लेकिन लुटियनिया नस्ल के मीडियाई चाटुकार चमचे और कांग्रेसी फौज अजब गजब कुतर्कों का हुड़दंग करके सच को झूठ बनाने में जुटी रही किन्तु कल बॉम्बे हाइकोर्ट में सोनिया गांधी के वकील कपिल सिब्बल की स्वीकारोक्ति ने सच उगल दिया कल बॉम्बे हाइकोर्ट ने अरनब गोस्वामी के खिलाफ कांग्रेसी फौज द्वारा दर्ज करायी गयी सैकड़ों एफआईआर को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया यह खबर तो सबने देखी सुनी लेकिन इस मामले की सुनवायी के दौरान एक और रोचक घटनाक्रम घटा कांग्रेसी वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में यह दलील दी कि यह पूरा मामला साम्प्रदायिक विद्वेष का है और अरनब गोस्वामी ने सोनिया गांधी से तीखे सवाल इसलिए पूछे क्योंकि वो ईसाई है। सोनिया गांधी के कांग्रेसी वकील कपिल सिब्बल की बॉम्बे हाइकोर्ट के समक्ष इस स्वीकारोक्ति से यह स्पष्ट हो गया है कि सोनिया गांधी आज भी ईसाई धर्मावलम्बी ही है। 

कपिल सिब्बल की इस स्वीकारोक्ति ने उन चमचों चाटुकारों के उस सफ़ेद झूठ के मुंह पर स्याही पोत दी है जो देश को जबरिया यह समझाने की कोशिशें करते रहे हैं कि सोनिया गांधी शादी के बाद हिन्दू हो गयी है। हालांकि शादी के बाद अगर उसका धर्म परिवर्तित होता तो सिद्धांततः वो पारसी होती लेकिन कल बॉम्बे हाइकोर्ट में कपिल सिब्बल की स्वीकारोक्ति ने यह सिद्ध कर दिया है कि शादी के बाद भी सोनिया गांधी ने अपना धर्म नहीं छोड़ा वो ना हिन्दू हुई ना पारसी हुई। वो आज भी ईसाई ही है राहुल गांधी को दत्तात्रेय गोत्र वाला जनेऊधारी हिन्दू ब्राह्मण मानने का भूसा अपने दिमाग में भर कर घूम रहे चमचों चाटुकारों मूर्खों धूर्तों के मुंह पर भी कपिल सिब्बल की स्वीकारोक्ति ने स्याही रगड़ दी है कपिल सिब्बल की स्वीकारोक्ति का सच रिपब्लिक चैनल की लीगल एडिटर रिद्म आनंद भारद्वाज के मुंह से इस वीडियो में आप स्वयं देखिए सुनिए। 

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