"कहीं जनता की गाढ़ी कमाई, बेईमानी एवं रिश्वतखोरी से तो नहीं बने हैं, ये करोड़पति ! पाँच साल पहले इन जनप्रतिनिधियों के पास नहीं होती, कोई संपत्ति ! जनता में हो रही इस बात की है, चर्चा..."
भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे नेताजी... |
चंद वर्षों में ही मालामाल हुए कौशांबी के जनप्रतिनिधि। आखिर कहां से आई इनके पास कुछ वर्षों में ही अकूत संपत्ति ? ऐसी कौन से नोट छापने की मशीन लगा रखी है, इन जनप्रतिनिधियों ने जो देखते ही देखते यह जनप्रतिनिधि हो गए करोड़पति ? आखिर इनकी संपत्तियों का क्यों नहीं करती है सरकार कोई जांच ? इनके आगे अधिकारी भी रहते हैं, नतमस्तक ! यदि जांच हुई तो 5 साल में बने जिले की यह जनप्रतिनिधि करोड़पत की पोल खुलना तय। इन्होंने आखिर ऐसे कौन सा बिजनेस किया, जिससे 5 साल के अंदर हो गए ये करोड़पति ! क्या जिला प्रशासन और यह सरकार जनप्रतिनिधियों के संपत्तियों की कोई जांच कराएगी या फिर सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।
यदि इन जनप्रतिनिधियों ने 5 साल में करोड़पति बनने का फार्मूला अपने क्षेत्र की सभी जनता को बताते तो आज पूरा जनपद होता करोड़पति। आम आदमी भी बन जाता करोड़पति। दूर हो जाती दलिद्रता। लोगों में आ जाती सम्पन्नता। परन्तु भारत के जनप्रतिनिधियों के पेट खुद ही इतने बड़े हैं कि उसमें करोड़ों क्या अरबों और खरबों रुपये भी भर दिए जाएं तो कम होगी। क्या कभी भारत के जनप्रतिनिधि जनता को भी बताएंगे यह करोड़पति बनने का सूत्र, जिससे वो खुद बने हैं, करोड़पति ! यदि नहीं बताते हैं तो माना लिया जाएगा कि कहीं न कहीं जनता की गाड़ी कढ़ाई, रिश्वतखोरी और बेईमानी से बने हैं, लोग करोड़पति। जिले की जनता में तैर रहे हैं, यह सवाल !क्या जनप्रतिनिधि देंगे इन सवालों के जवाब, इंतजार में है, कौशांबी की जनता।
प्रस्तुति : - अमरनाथ झा
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