शासन के पास सिर्फ एक अमोघ अस्त्र है, वो है लॉकडाउन अस्त्र...
शहरी क्षेत्र में कोरोना मरीजों की संख्या के आधार पर कभी भी हो सकता है,लॉकडाउन-सूत्र
देश में कोरोना संक्रमण का जिस तरह ग्राफ बढ़ रहा है वो चिंताजनक तो हैं ही निराशाजनक भी है। देश में कोरोना मरीजों की संख्या 9 लाख के पार हो चुकी है और विश्व में तीसरा स्थान बना लिया है। पहले जितनी केस एक दिन में पूरे देश में नहीं मिलती थी, अब उतनी केस सिर्फ उत्तर प्रदेश से मिलने लगी है। अभी तक प्रतापगढ़ की स्थिति अन्य जनपदों से बहुत ही अच्छी थी। परन्तु अच्छी स्थिति होने में यहाँ के जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमें का कोई रोल नहीं रहा। शासन-प्रशासन तो अपनी मनमर्जी करने के लिए होते ही हैं।लॉकडाउन प्रथम जब से लागू किया गया तब से दर्जनों ऐसी गलतियाँ जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों द्वारा की गई हैं, वह दंडनीय है। परन्तु आपदा काल में सारी गलतियाँ दरकिनार कर दी जाती हैं। सच कहा गया है कि आपदा आती ही है, अफसरों को मालामाल करने के लिए। आपदा काल को अवसर में बदलना कोई इन अफसरों से सीखे। प्रशासनिक स्तर पर जितनी गलतियाँ हुई हैं, उसका कभी कोई निर्धारण ही नहीं हुआ !
प्रतापगढ़ की बात करें तो प्रतापगढ़ में ईश्वर की कृपा कहिये कि इस आपदा काल में कोरोना संक्रमण की स्थिति प्रतापगढ़ की अभी तक तो ठीक रही, परन्तु विगत तीन दिनों से प्रतापगढ़ की भी स्थिति भी तनावपूर्ण होती जा रही है। शहर की स्थिति और खराब है। महज 3 किमी पूरब से पश्चिम और 5 किमी उत्तर से दक्षिण में फैले शहर की स्थिति की बात करें तो नगरपालिका क्षेत्र में सिर्फ 25 वार्ड हैं। इन 25 वार्डों में कोरोना मरीजों की बात करें तो दर्जनों मरीज सिर्फ नगरपालिका क्षेत्र में हो चुके हैं, जिसके कारण शहर में दर्जनों स्थानों पर हॉट स्पॉट बनाकर बैरीकेटिंग की गयी है और इस बैरीकेटिंग की वजह से शहर में कल जाम ही जाम लगा रहा। सोशल डिस्टेंसिंग की दिन भर धज्जियां उड़ती रही।
हॉट स्पॉट एरिया बनाने से लेकर बैरियर लगाने में हर स्तर पर अनदेखी और फितरतबाजी से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। जिस दिन कोरोना संक्रमण की केस मिलती है, उस दिन सीएमओ के यहाँ से जिलाधिकारी के यहाँ पत्र जारी होता है और दूसरे दिन जिलाधिकारी के यहाँ से कन्टेन्मेंट एरिया और उस एरिया का मजिस्ट्रेट नियुक्त होने का आदेश निर्गत होता है। तीसरे दिन हॉट स्पॉट एरिया पर शाम तक बांस बल्ली लग पाती है। कहीं कहीं तो चौथा दिन भी हो जाता है। इस तरह कोरोना वायरस चार दिनों तक इस कार्यवाही का इंतजार करता है और वातानुकूलित कमरे में कम्बल ओढ़कर सोता रहता है। ये मेरा कोई आरोप नहीं बल्कि यही असलियत है जिसे जिला प्रशासन सुनना नहीं चाहता...
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा इस समस्या से निपटने के लिए शहर में लॉकडाउन करने का विचार कर रहा है। सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन लॉकडाउन की कार्यवाही कर सकता है। चूँकि महाभारत के कर्ण की तरह जिला प्रशासन अथवा शासन के पास सिर्फ एक अमोघ अस्त्र है, वो है लॉकडाउन अस्त्र ! सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य महकमें से रिपोर्ट तैयार करने को कहा है कि स्थिति का आंकलन कर रिपोर्ट प्रेषित करें ! ताकि ऐसी परिस्थिति में लॉकडाउन का निर्णय लिया जा सका। क्योंकि पूरा शहर ऐसे हालात में बैरिकेटिंग के दायरे में आ चुका है और लोग यहाँ से वहाँ भटक रहे हैं।
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