अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस करती है,एनकाउंटर ताकि अपराधियों में भय ब्याप्त हो...
मानधाता थाना द्वारा चंद दिनों पहले मुनादी कराये गए बदमाश के बीच कोतवाली नगर क्षेत्र के नरवा सिटी क्षेत्र में पुलिस के साथ बीती रात मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में बदमाश को पैर में गोली लगी है। उसके बाद पुलिस के अनुसार वांटेड 25 हजार का इनामिया बदमाश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि रविवार रात्रि करीब 10:45 बजे थानाक्षेत्र कोतवाली नगर के नरवा सिटी क्षेत्र में पुलिस और 25 हजार रूपये का इनामिया अपराधी रणजीत सिंह पुत्र धर्मराज सिंह निवासी अकोढ़िया, थाना मान्धाता के बीच मुठभेड़ हो गयी, जिसमें अपराधी रणजीत सिंह घायल हो गया। मौके से एक अपाची मोटर साइकिल व .32 बोर पिस्टल मय कारतूस बरामद है। अपराधी रणजीत सिंह पर कुल 10 मुकदमें पंजीकृत हैं। जबकि रणजीत सिंह की माँ ने बताया कि कल दोपहर में पुलिस ने रणजीत सिंह पुत्र स्व धर्मराज सिंह को घर से उठा ले गई और ले जाकर एनकाउंटर करने के इरादे से पैर में गोली मार दिया। रणजीत सिंह की माँ के आरोप में बल नजर आता है।क्योंकि प्रथम दृष्टया रणजीत सिंह के पहनावे से लगता है कि वह घर पर ही था और उसे पुलिस घर से उठा ले गई। दूसरा आरोप कि रणजीत सिंह का भाई संजय सिंह जो रणजीत सिंह से अलग रहता है और किसी तरह का कोई मतलब भी नहीं रखता। उसे भी मानधाता पुलिस कल से ही घर से लाकर थाने में रखा है। घर वाले परेशान हैं। पुलिस कुछ बताने के लिए भी तैयार नहीं है।
अपराध के दुनिया में कदम रखने वाले रणजीत सिंह के पिता धर्मराज सिंह का इंतकाल हो चुका है। उसे रोकने टोकने वाला बाप तो है, नहीं ! बड़े होने के बाद बच्चे माँ की सुनते भी नहीं ! फिर भी एक माँ का अपनी औलाद के लिए कभी भी प्यार कम नहीं होता वो चाहे अच्छा हो या बुरा ! परन्तु माँ के लिए उसका वह लाडला ही रहता है। रणजीत सिंह की माँ ने बताया कि कल दोपहर काफी संख्या में पुलिस उनके घर आई थी और उनके दोनों लड़के रणजीत सिंह और संजय सिंह को पुलिस अपने साथ में ले गई। घर में रणजीत सोया हुआ था और पुलिस उसे चारो तरफ से घेरकर पकड़ा और अपने साथ ले गयी। रणजीत सिंह के साथ संजय को पुलिस ले गई। रणजीत की माँ ने कहा कि अभी तक वो सुनती आ रही थी कि पुलिस घर से पकड़ने के बाद फर्जी मुठभेड़ दिखती है तो एकबार उसे सहसा विश्वास नहीं होता था, लेकिन आज पुलिस का असली चेहरा मैं भी देख ली। साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली भी देख ली। मेरे दिलोदिमाग से पुलिस के चेहरे से नकाब उतर गया और पुलिस के असली चेहरे और उसके कार्य करने की सत्यता भी देख ली। आज रणजीत सिंह की माँ कहती हैं कि वो पुलिस की असलियत जान गई और ये भी मानती हैं कि अपराधियों को अपराधी बनाने में पुलिस की अहम भूमिका होती है।
पुलिस मुठभेड़ में इनामिया अपराधी रणजीत सिंह के बगल में रखा असलहा और पैर में लगी गोली... |
रणजीत सिंह निवासी अकोढ़िया... |
रणजीत सिंह की माँ निर्मला सिंह का बयान...
फिलहाल पुलिस रणजीत सिंह की माँ के आरोपों से पुलिस ने इंकार कर दिया और रविवार दोपहर से ही 25 हजार के इनामिया बदमाश रणजीत सिंह के गिरफ्तार होने की अफवाह सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। उसके बारे में जब पुलिस अधीक्षक से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि ये शातिर बदमाशों की पुरानी चाल है, जिससे पुलिस गुमराह हो जाय और अपराधी पुलिस गिरफ्त से दूर भाग सकें। पर सच्चाई यही है कि जब पुलिस किसी अपराधी पर ईनाम रखती है तो कुछ ही दिनों में उसको दबोचने का प्रयास करती है। उसके लिए क्षेत्र में मुनादी कराती है और पकड़ने के बाद अपनी वाहवाही के लिए कहीं सुदूर ले जाकर फेंक मुठभेड़ दिखाकर खाकी का इक़बाल कायम करने का ढिढोरा पीटती है। हालांकि पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि रणजीत और संजय सिंह को एक साथ उठाने के बाद संजय को मानधाता थाना में तो दूसरे भाई रणजीत सिंह लाने स्वाट टीम और कोतवाली नगर से गई पुलिस जिला मुख्यालय उठा लाई और देर रात्रि कोतवाली नगर क्षेत्र में मुठभेड़ की बात करके पुलिस मीडिया सेल से खबर प्रचारित कर दी कि रणजीत सिंह के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई जिसमें रणजीत सिंह को पैर में गोली लगी है।
अपराधी रणजीत सिंह के बीच पुलिस मुठभेड़ के संदर्भ में SPप्रतापगढ़ अभिषेक सिंह द्वारा दिया गया बयान...
पुलिस द्वारा जितनी मुठभेड़ इस तरह की जाती है, उसकी निष्पक्ष जाँच करा दी जाए तो हकीकत दूसरी निकल सामने आएगी। क्योंकि असल मुठभेड़ में दोनों तरफ से फायरिंग होती है और दोनों तरफ से चोट लगती है, परन्तु ऐसे फेंक मुठभेड़ में बदमाशों के सिर्फ और सिर्फ पैरों में गोली लगती है और पुलिस वाले अपने ऊपर जो चोट दिखाते हैं वह कपोल कल्पित रहती है। सिर्फ प्रतापगढ़ पुलिस द्वारा विगत दो साल में पुलिस मुठभेड़ की हकीकत खंगाल लेने मात्र से असलियत का पता चल जाएगा। पुलिस और अपराधियों के बीच में जब भी कहानी गढ़कर फेंक मुठभेड़ का रूप दिया जाता है तो बदमाशों को सिर्फ पैरों में गोली लगती है और उसे जिला अस्पताल से इलाज कराकर SRN प्रयागराज रेफर करा दिया जाता है। वहीं पुलिस को हाथों की अँगुलियों में ही जवाबी गोली लगती है,जिसका इलाज जिला अस्तपाल में आसानी हो जाता है। जबकि यही गोली आम आदमी को लगती है तो जिला अस्पताल के चिकित्सक बिना देर किये उसे SRN प्रयागराज रेफर कर देते हैं। पुलिस ऐसा करके सोचती है कि अपराधियों पर शिकंजा कस लेगी तो ये पुलिस वालों की गलत फहमी है। असल मुठभेड़ कानपुर के बिकरू में पुलिस और अपराधियों में हुआ जिसमें पुलिस के आठ जवान शहीद हो गए और आधा दर्जन जवान घायल हो गए। जबकि अपराधियों की तरफ से किसी के हताहत होने की सूचना अभी तक नहीं हो सकी। घटना के बाद पहुँची STF ने दो बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया था।
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