कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा...
कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा...
बात प्रारम्भ करने से पूर्व प्रभु हनुमानजी के साथ जामवंत जी के संवाद से संबंधित श्रीरामचरित मानस की इन पंक्तियों को आप सबको स्मरण कराना चाहता हूं। क्योंकि आज इन पंक्तियों के संदेश में निहित प्रेरणा की सार्थकता एक बार पुनः प्रमाणित हुई है...
➤सतीश मिश्र -
बात प्रारम्भ करने से पूर्व प्रभु हनुमानजी के साथ जामवंत जी के संवाद से संबंधित श्रीरामचरित मानस की इन पंक्तियों को आप सबको स्मरण कराना चाहता हूं। क्योंकि आज इन पंक्तियों के संदेश में निहित प्रेरणा की सार्थकता एक बार पुनः प्रमाणित हुई है...
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।।
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं
राम काज लगि तब अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्वताकारा।।
कनक बरन तन तेज बिराजा। मानहु अपर गिरिन्ह कर राजा।।
सिंहनाद करि बारहिं बारा। लीलहीं नाषउँ जलनिधि खारा।।
सहित सहाय रावनहि मारी। आनउँ इहाँ त्रिकूट उपारी।।
जामवंत मैं पूँछउँ तोही। उचित सिखावनु दीजहु मोही।।
भानुमति काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी जिनका विवाह दुर्योधन से हुआ था... |
देश में कोरोना संक्रमण के कहर के प्रथम दिन से ही दिल्ली में केजरीवाल सरकार और महाराष्ट्र में "भानुमति का कुनबा" सरकार के कर्णधारों का धूर्ततापूर्ण दुष्टतापूर्ण नकारापन निकम्मापन प्रारम्भ हो गया था। यह नकारापन निकम्मापन देश की राजधानी तथा आर्थिक राजधानी को पूरी तरह ध्वस्त कर देने के सोचे समझे सुनियोजित षड्यंत्र के तहत ही था। सैकड़ों करोड़ के विज्ञापनों के नशे में धुत्त मीडिया इन दोनों राज्यों में कोरोना द्वारा बिछायी जा रही लाशों की पीड़ा सुनाने दिखाने के बजाय इन सरकारों का गुणगान करने में जुटी हुई थी। लेकिन सैकड़ों हज़ारों करोड़ रुपये के इस खतरनाक बेशर्म सियासी-मीडियाई गठबंधन के खिलाफ़ सोशल मीडिया ने सच कहने लिखने बोलने बताने का मोर्चा सम्भाला था। परिणामस्वरुप पूरे देश में लोग इस बेशर्म गठबंधन को खुलकर कोसने लगे थे।
राजनीति में भी भानुमती के कुनबे की कहावत को खूब चरितार्थ किया जाता है... |
"सोशल मीडिया को थोड़ा समय अवश्य लगा, लेकिन उसने इस गठबंधन के मुख्य तत्व मीडिया को घुटनों पर ला दिया है। आपने क्या यह सोचा कि दिल्ली और महाराष्ट्र की दोनों सरकारों के नकारे-निकम्मेपन पर पिछले ढाई महीने से शातिर चुप्पी साध कर दोनों सरकारों का गुणगान करते रहे न्यूजचैनल 2-3 दिन पहले अचानक सत्य दिखाने बताने बोलने के लिए आतुर क्यों हो गए, उनमें दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार के कुकर्मों का सच दिखाने बताने बोलने की होड़ क्यों लग गई...??? "
अब जानिए वह कारण ! देश में चैनलों की दर्शक संख्या की वैज्ञानिक गणना दैनिक, साप्ताहिक आधार पर करने वाली देश की एकमात्र प्रतिष्ठित एजेंसी BARC के दस्तावेज देखिए तो ज्ञात हो जाएगा कि पिछले 2 हफ्तों के दौरान इन न्यूजचैनलों की दर्शक संख्या में भारी गिरावट (25-30%) दर्ज हुई है। यह इन पर सबसे घातक प्रहार था, जिसने इनके होश उड़ा दिए थे। BARC की रिपोर्ट के आधार पर देश की बड़ी कम्पनियां व विज्ञापन एजेंसियां इनको विज्ञापन देती हैं, इनके विज्ञापनों का रेट तय करती हैं। वही इनकी आय का एकमात्र मुख्य स्त्रोत है। अतः केजरीवाल के विज्ञापनों और कांग्रेसी सेटिंग के घुंघरू उतार कर फेंक दिए गए और सच दिखाना बताना इनके लिए अनिवार्य विवशता बन गई। परिणामस्वरुप आज देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में दोनों सरकारें पूरी तरह निर्वस्त्र हो गयी हैं। इसलिए आज हम सब की, सोशल मीडिया में सक्रिय हर उस हनुमान भक्त की विजय हुई है जो श्री रामचरित मानस की उपरोक्त चौपाइयों को ही अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं।
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