➤सतीश मिश्र -
कोरोना के कहर से राजधानी जब तबाही बर्बादी की कगार पर पहुंच गई तो सियार अपने चाकर गीदड़ को साथ लेकर मदद मांगने सिंहों की सभा में गया। सिंहों ने भरपूर मदद करने की शुरुआत तत्काल ही कर भी दी है।लेकिन सियार और उसके चाकर गीदड़ों का गैंग क्या अपनी करतूतों से अब बाज आ जाएगा ? मेरा स्पष्ट मत है कि नहीं, ऐसा नहीं होगा।
प्रतीकात्मक तस्वीर... |
सिंहों की सभा में गीदड़ को साथ लेकर सियार इसलिए गया था, ताकि राजधानी को तबाही बर्बादी की कगार पर पहुंचा देने के कलंक की जो कालिख उसके मुंह पर पुत चुकी है, उस कालिख को अब सिंहों के मुंह पर भी पोत दिया जाए। इसलिए अब यह बहुत जरूरी है कि सिंहों को सियार और गीदड़ गैंग की मदद करने के बजाय कमान पूरी तरह से अपने हाथ में ले लेनी चाहिए।
हालांकि सिंहों द्वारा प्रारम्भ की गई मदद से यह संकेत मिले भी हैं कि सिंहों ने यह तय कर लिया है कि राजधानी को अब सियार और उसके चाकर गीदड़ों के भरोसे नहीं छोड़ा जाएगा, कम से कम कोरोना संक्रमण काल तक तो नहीं ही छोड़ा जाएगा। सियार की इस चालाकी को बम्बईय्या उल्लू भी बहुत ध्यान से देख सुन और समझ रहा है। सिंहों की सभा में मदद की गुहार लगाने वो भी अबतक पहुंच चुका होता लेकिन उसके साथी चमगादड़ों ने उसे समझाया कि ऐसा करोगे तो नाक कट जाएगी। अतः बम्बईय्या उल्लू अभी अपनी शाख पर ही बैठा हुआ है।
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