Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

शुक्रवार, 19 जून 2020

राजस्व और रेल विभाग की मिलीभगत से हो रहा है तालाबी आराजी पर कब्जा

प्रतापगढ़ में अब रेलवे की जमीन भी नहीं रही सुरक्षित...
रेलवे के तालाब पर हो रहे अवैध निर्माण कार्य को आरपीएफ ने रोकवाया...
मोहल्लेवासियों ने अवैध कब्जे का आरोप लगाकर की है, शिकायत...
नया मालगोदाम रोड़ के रेलवे क्रॉसिंग के पहले उत्तरी तरफ तालाब का है, मामला...

 प्रतापगढ़ में रेल की जमीन पर हो रहा अवैध कब्जा... 
शहर हो या गाँव तालाब की आवश्यकता हर जगह होती है। परन्तु राजस्व अभिलेखों में जितने तालाब दर्ज हैं यदि उनका इमानदारी से सत्यापन कर लिया जाए तो 10%भी तालाब मौके पर नहीं बचे हैं। आखिर तालाबों पर कौन कर रहा है कब्जा और किसकी सह पर ये कब्जा किया गया ये बताने के लिए कोई तैयार नहीं होगा क्योंकि जिसे तालाब रखाने की जिम्मेवारी है, वही तालाब को कब्जा करा देता है और बदले में उस कब्जा करने वालों से मोटी रकम वसूल करता है 

जमीन का कागजात तहसील मुख्यालय पर होता है और उसकी सबसे अहम् कड़ी लेखपाल है बिना लेखपाल की मिलीभगत से एक इंच जमीन इधर से उधर नहीं हो सकती। यही लेखपाल राजस्व विभाग की पूरी टीम को मैनेज करता है। सरकारी भूमि पर अबैध कब्जा धारकों से जमीन कब्जाने के लिए लेखपाल ही सारी ब्यूह रचना करता है और संयोगवश यदि कोई शिकायत करता है तो उस शिकायत कर्ता को गोल-गोल घुमाया करता है। साथ ही अपने उच्चाधिकारियों को गुमराह करता है और जब हाकिम मौका मुआयना करने की बात करता है तो उसे भी वह होने नहीं देता और अंत में हाकिम के मुंह में बड़ा नल्ला डाल देता है ताकि वह भी उसके रसास्वादन से भाव विभोर हो जाए और पलट कर उस कब्जेदार के विरुद्ध कोई कार्रवाई न करे 

प्रतापगढ़ शहर में राजस्व विभाग की मिलीभगत से 90फीसदी तालाबी आराजी पर बिल्डिंग बनाकर तालाब के अस्तित्व को समाप्त कर दिया है। जबकि ये तालाबी आराजी सरकार की होती है और सरकारी भूमि पर कोई कब्जा भी नहीं कर सकता। यदि सरकारी भूमि पर कोई ब्यक्ति कब्जा करता है तो वह कब्जा अबैध माना जाता है। कब्जे के रूप में निर्माण की बिल्डिंग को ध्वस्त करने का अधिकार राजस्व विभाग के पास रहता है,परन्तु हकीकत में राजस्व विभाग ऐसा करता नहीं ! बल्कि सरकारी जमीन पर यही राजस्व विभाग पैसा लेकर अबैध कब्जा कराता है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से अपने आदेश में कहा है कि पार्क, कुआं और तालाब के अस्तित्व को समाप्त न किया जाए फिर भी उत्तर प्रदेश का राजस्व विभाग है कि वो सुप्रीम कोर्ट की बात को भी दरकिनार कर सरकारी भूमि तालाबी आराजी को कब्जा कराने में लगा हुआ है। चूँकि बंजर,परती भूमि, नजूल भूमि समेत नाला, नाली, सड़क तो राजस्व विभाग पहले से ही बेंच खाया है अब बचा है तो सिर्फ दस फीसदी तालाबी आराजी जिसे बेंचने का उपक्रम राजस्व विभाग लगातार करने में पीछे नहीं है।  

भंगवा चुंगी से नया मालगोदाम रोड़ पर रेलवे क्रॉसिंग के निकट तालाब को पाटकर कई साल से कब्जा करने का कार्य राजस्व विभाग और रेल विभाग की उदासीनता से किया जा रहा था। जब पाटे हुए तालाब के हिस्से पर स्थाई रूप से निर्माण किया जाने लगा और मोहल्ले के लोग सामूहिक रूप से शिकायत किया तो दबंगो द्वारा किये जा रहे निर्माण को रेलवे सुरक्षा बल ने पहुँचकर रुकवा तो दिया। परन्तु ये कब तक रुका रहेगा कह पाना मुश्किल है। मोहल्ले के लोगों ने जो शिकायत की है उसके मुताविक उक्त तालाब  की जमीन रेलवे की बताई गई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मौके पर पहुँच कर जांच पूरी होने तक निर्माण कार्य को रोक दिया है।  सबसे खास बात है कि प्रतापगढ़ शहर के पूर्वी हिस्से के साथ-साथ रेलवे कालोनी, नया मालगोदाम रोड़ और सहोदरपुर मोहल्ले का पानी बहकर इसी तालाब में आता है। तालाब के किनारे लोगों ने मकान बना रखा है। मोहल्ले के ही सदानंद और उसके बच्चों ने मकान के पीछे पड़ने वाले तालाब को कूड़ा और मिट्टी से पाट लिया और अब उस पर निर्माण करवा रहा है। इससे अगल बगल बने घरों की जल निकासी जो तालाब में हो रही थी बंद हो गई। 

मोहल्ले के लोगों ने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि लोगों के मना करने के बाद भी सदानंद और उन के बच्चों ने तालाब को पाटकर उस पर जबरन निर्माण करना चाहते हैं। पहले भी इसकी शिकायत रेलवे के अधिकारियों से की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मामले ने तूल पकड़ा तो तापोश राय लालू, भानू सिंह, हेमंत चतुर्वेदी, सुनील समेत कई लोग आरपीएफ थाने पहुँचे और इसकी लिखित शिकायत की और सदानंद व उनके बच्चों के द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य को रोकने की मांग की। इंस्पेक्टर सी पी मिश्रा ने बताया कि लोगों ने उन्हें लिखित शिकायत की है। जो निर्माण हो रहा है वह रेलवे की जमीन पर हो रहा है कि नहीं, इसकी जाँच होने तक फिलहाल काम रोक दिया गया है। बिना पूछे निर्माण होता है तो संबंधित के खिलाफ कार्यवाई के निर्देश दिये गये है। इस मामले में एडीईएन निहालुद्दीन का कहना है कि अतिक्रमण को रोकने का काम एसएस  का है। यदि राजस्व विभाग की तरह रेल विभाग भी एक दूसरे पर कर्तब्यों के निर्वहन की बात बताकर अपने दायित्वों से इतिश्री करने का  प्रयास किया गया तो वो दिन दूर नहीं जब रेलवे के तालाब पर आलीशान बिल्डिंग लहराती मिलेगी। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें