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मंगलवार, 16 जून 2020

भारत के एक ऑफिसर समेत 2 जवानों की मौत, चीन के 5 जवानों की मौत और 11 जवान घायल

भारतीय भूमि पर कब्जे की कोशिश चीन को बहुत भारी पड़ रही है...

 भारत और चीन का लद्दाख बार्डर...
"कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें बहुत जल्दी में हैं  इन्हें विरोध की बहुत अधिक शीघ्रता है । कहीं यह मोदी विरोध करने में पीछे न रह जाए ! वो इस बात को भूल जाते हैं कि यह नेहरू का भारत नहीं है, जितनी चाहे जमीन लूट लो ! यह मोदी का भारत है । यहां युद्ध होगा । शहीदी भी होगी पहले तथ्यों और आंकड़ों को सामने आने दीजिए। दोनों तरफ से कितने शहीद हुए हैं ? इन जालसाजों को यह नहीं पता कि यह लड़ाई भाजपा वर्सेस चाइना नहीं है । बल्कि भारत वर्सेस चाइना है । हिंद और चीन के बीच हुई बिना फायरिंग के हिंसक झड़प में हिंद के दो जवान और सैनिक अफसर शहीद हुए तो मोदी विरोधी देश के गद्दार मोदी के बहाने सेना के मरने पर खुश हो रहे थे, लेकिन जब पता चला कि चीन के भी 5 सैनिक मरे और 11 घायल हुए तबसे लापता हो गए हैं..."
 भारत चीन LAC पर हिंसक झड़प...
हिंद और चीन के बीच हुई बिना फायरिंग के हिंसक झड़प में हिंद के दो जवान और सैनिक अफसर शहीद हुए तो मोदी विरोधी देश के गद्दार मोदी के बहाने सेना के मरने पर खुश हो रहे थे, लेकिन जब पता चला कि चीन के भी 5 सैनिक मरे और 11 घायल हुए तबसे लापता हो गए है...

गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ टकराव की खबर पर आधिकारिक विवरण की प्रतीक्षा कीजिए अभी तक जो खबर आयी है, उसके अनुसार 3 भारतीय सैनिकों की शहादत के साथ ही 5 चीनी सैनिकों की मौत की पुष्टि हो रही है तथा 11 चीनी सैनिकों की स्थिति मरणासन्न बतायी जा रही है चीनी सैनिकों की मौत की खबर चीन के सबसे बड़े अखबार ग्लोबल टाइम्स की चीफ रिपोर्टर ने पहले दोपहर 1:54 पर ट्वीट करके दीफिर दस मिनट बाद उसकी यह कहते हुए पुष्टि भी ट्वीट करके की कि इस टकराव में गोली नहीं चली है ऐसा करने के 36 मिनट बाद उस रिपोर्टर ने सफाई दी कि मैंने तो इंडियन मीडिया की खबर के भरोसे दोनों ट्वीट किए थे सबूत के लिए उसने एक अज्ञात सी भारतीय वेबसाइट का जिक्र किया जबकि अपने पहले दोनों ट्वीट में उसने किसी भी मीडिया संस्थान का कोई जिक्र नहीं किया था

गलवान घाटी में भारत और चीन के विवाद युद्ध जैसे हालात...

ध्यान रहे कि कोई समान्य व्यक्ति तो ऐसी गलती कर सकता है, लेकिन सरकारी नियंत्रण वाले चीन के सबसे बड़े अखबार में दक्षिण एशिया मामलों की चीफ रिपोर्टर से ऐसी गलती नहीं हो सकती वह भी किसी अज्ञात वेबसाइट की खबर के भरोसे स्पष्ट है कि उस पर उसके चीनी आकाओं का लट्ठ चला तो उसे अपना बचाव करना पड़ा हैअब तक सामने आया उपरोक्त घटना क्रम यह सन्देश दे रहा है कि भारतीय भूमि पर कब्जे की कोशिश चीन को बहुत भारी पड़ रही है कल रात हुए भीषण टकराव में भी भारतीय सैनिक चीनियों पर बहुत भारी पड़े हैं।  

चाइना बॉर्डर पर 45 साल बाद हिंसा...

भारत ऐसी बहुत ही कम जगहों में से एक है जहाँ अपने देश की ही मीडिया, अपने ही राष्ट्र का सर झुकता देखने की चाहत में, एकतरफा प्रोपेगेंडा की खबरें चलाती है और आम आदमी पूछने लगता है कि 'हाँ भाई, छप्पन इंच का सीना क्या कर रहा है' ? नेपाल ने मैप नया कर लिया अपने संसद में, तो उससे क्या हो गया ? आपके लिए नेपाल छोटा है तो आपको गुस्सा आ गया कि भारत से नेपाल भी नहीं सँभल रहा। चीन लद्दाख में नौटंकी कर रहा है, तो आप कह रहे हैं कि काहे का वर्ल्ड पावर, चीन आँख दिखाता है। नेपाल के पीएम को इस नौटंकी की आवश्यकता क्यों पड़ी, ये जानने की कोशिश की आपने ? आपको पता है कि वहाँ ओपी कोली की क्या स्थिति है ? उसकी कुर्सी का मूल आधार ही 'भारत विरोधी बातें' करना है। 

 भारत में नेपाल के कन्धों पर बन्दूक रखकर वार करना चाहता है,चीन...

नेपाल पूरे भारत को ही अपने मैप का हिस्सा बना ले, उससे क्या हो जाएगा ? अपनी संसद है, पास कर ले।चीन वाले मुद्दे पर, आपको अमेरिका से परेशान चीन, प्रोडक्शन बंद होने से परेशान चीन, कोविड पर पूरी दुनिया से झिड़की खाता चीन आपको नहीं दिख रहा, आपको बस ये दिख रहा है कि लद्दाख में कैसे आ गए ? इसका भी आधार एक चमन आदमी, जो है गाँधी परिवार का चाटुकार, अजय शुक्ला, वो सबसे ऑथेन्टिक सोर्स हो जाता है, सूचना के लिए। पता कीजिए उसकी दलाली के बारे में, दूरदर्शन में जॉब कैसे मिली, राफेल में उसका क्या हाथ है और क्यों वो हमेशा पाकिस्तान और चीन की तरफदारी में ही दिखता है ? मैं आपसे यह नहीं कह रहा कि आप प्रधानमंत्री से सवाल मत पूछिए, लेकिन हाँ, ये मत भूलिए कि जब तक सीमाएँ रहेंगी, भू-राजनैतिक कारणों से वहाँ हलचल होती रहेंगी। लेकिन, कभी आपने चीन या पाकिस्तान की मीडिया को ये कहते देखा है कि भारत तो मार कर चला गया ? वो अपनी किताबों में क्या पढ़ाते हैं, वो सर्च कर लीजिए।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में डिप्लोमेसी और उच्चस्तरीय वार्ताओं से ही समाधान निकलता है। आपका क्या है, ट्विटर-फेसबुक पर बैठकर आप हर दिन युद्ध का उद्घोष भी करते हैं और हताहत सैनिकों पर आपको चिंता भी होती है। युद्ध के परिणाम का भार उस परिवार से पूछिए जिसके घर से एक सैनिक सदा के लिए जा चुका है।चीन की बिलबिलाहट के कई कारण हैं। उसे अंदाजा नहीं था कि चाहे डोकलम हो या फिर लद्दाख, भारत इस तरह से अड़ जाएगा। अगर आप वामपंथियों को पढ़ते हैं तो यही अड़ना आपको भारत की कमज़ोरी की तरह दिखाया जाएगा। हमारे वीर सैनिकों ने बिना हथियार चलाए पत्थर और मेटल से 5 चीनी सैनिकों का फेफड़ा कूच दिया। चाइना हमेशा से झूठ बोलने में माहिर है। हो सकता है, उनके कुछ ज्यादा डरपोक सैनिक मरे होंगे।इधर चाइना के चमचे एनडीटीवी, बीबीसी और वामी पोर्टल न्यूज केवल भारत के 3 सैनिक शहीद होने की जानकारी दे रहे हैं। लेकिन सत्य यह है कि चीन के भी पाँच सैनिक मरे हैं और 11 बुरी तरह से घायल हैं। 

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