➤सतीश मिश्र -
आज कल अमेरिका में हो रहे दंगों की वरिष्ठ पत्रकार सतीश मिश्र जी अपने लेखन के द्वारा महीनों पहले ही जतायी थी,आशंका।कारण भी किया था,स्पष्ट। देश और दुनिया को सचेत करते हुए सतीश मिश्र जी ने आगाह किया था कि लुटियनिया न्यूज चैनलों और अखबारों में दिल्ली के दंगाईयों के समर्थन तथा मोदी सरकार के विरोध में हो रहे नंगे नाच का राज जानना है तो जॉर्ज सोरोस को भी जानिए।
पहले यह जान लीजिए कि बीती सदी के अन्तिम दशक में किसी RSS या BJP वाले ने नहीं बल्कि वासिली मित्रोखिन नाम के रूसी जासूस ने दो भागों में प्रकाशित अपनी किताब "मित्रोखिन आर्काइव" में लिखा है कि वर्ष-1973 से भारत के दस बड़े अखबारों को रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी नियमित रूप से एक मोटी रकम दे रही थी। (न्यूजचैनलों का उस दौर में कोई अस्तित्व ही नहीं था) उस दौरान केजीबी ने 1973 से 1975 की समयावधि में उन अखबारों में कांग्रेस और इंदिरा गांधी के पक्ष में 17000 से अधिक खबरें छपवायी थीं। उस समय भारत का एक सर्वाधिक नामी गिरामी पत्रकार उसे केजीबी द्वारा दी जा रही मोटी रकम के बदले में देश के उन 10 अखबारों और पत्रिकाओं में अमेरिका के ख़िलाफ़ जमकर जहर उगलते लेख लिखा करता था तथा भारत में अमेरिका के ख़िलाफ़ और रूस के पक्ष में वातावरण बनाने में जुटा रहता था।
आज मित्रोखिन की किताब के उपरोक्त अंश की चर्चा इसलिए कि केवल सवा महीने पहले दावोस में एक अरबपति जॉर्ज सोरोस ने बाकायदा प्रेस वार्ता कर के अंतरराष्ट्रीय मीडिया के समक्ष यह ऐलान किया था कि वो ट्रंप मोदी पुतिन और शी जिनपिंग सरीखे राजनेताओं के खिलाफ़ अभियान चलाकर उस अभियान पर 7.1 हजार करोड़ रुपये की रकम खर्च करने जा रहा है। मोदी के खिलाफ वो पहले से भी मोटी रकम खर्च करता रहा है। हम सब जानते हैं कि जॉर्ज सोरोस के पैसे के लालच में रूस और चीन में पुतिन तथा शी जिनपिंग के विरुद्ध ज़हरीला झूठ बोलकर नंगा नाच करने वाले के लिए कानून को ताख पर रखकर उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा। लेकिन भारत और अमेरिका में ऐसा सम्भव नहीं है।
अरबपति जॉर्ज सोरोस का दावा...(साभार :-दैनिक भास्कर ) |
"दिल्ली के खूनी दंगों के वास्तविक जिम्मेदार अपराधियों को छुपाने बचाने के लिए "सड़क खाली करने की मांग" वाले एकमात्र समान्य से बयान के बहाने दिल्ली के दंगों की जिम्मेदारी किसी कपिल मिश्रा के सिर पर फोड़ने की कोशिशों में जुटे हैं। उनकी ऐसी देशघाती जहरीली कोशिशों से ही दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों के दंगाईयों के हौसले बुलन्द और मजबूत होंगे। जब ऐसा होगा तब ही जॉर्ज सोरोस का वो एजेंडा पूरा होगा जिसके लिए उसने 7.1 हजार करोड़ रुपये की अपनी थैली का मुँह खोल दिया है। "
अतः सोरोस की थैली का सिक्का भारत में कैसे चल रहा है यह पिछले कुछ दिनों से हम सब देख रहे हैं। हम देख रहे हैं कि 3 महीनों से लाखों लोगों की दैनिक जीवनचर्या को पूरी तरह तहस नहस करते हुए सरेआम देश की राजधानी की एक मुख्य सड़क को घेरकर बैठे दंगाइयों को मीडिया के एक बहुत बड़े वर्ग द्वारा लोकतंत्र और शांति का सिपाही बताया जा रहा है। संसद के दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत से पास कानून के खिलाफ़ तर्कहीन तथ्यहीन लेकिन बेहद भड़काऊ आग लगाऊ सवाल उछाले जा रहे हैं। जहरीली बहसें करवाई जा रही हैं। इसके नतीजे में दिल्ली समेत देश में अबतक लगभग 100 लोगों की जान भी जा चुकी है। लेकिन ये लोग अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
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