कत्लखाना बना जनपद प्रतापगढ़ का थाना रानीगंज, कानून ब्यवस्था पर पुलिस ने पोतवा ली कालिख...
सूबे का वह थाना जहाँ लॉकप की जगह दफ्तर में ही बैठाए जाते हैं पकड़ कर आने वाले आरोपी... |
उत्तर प्रदेश में कानून ब्यवस्था का आलम ये है कि जिस थाने में पीड़ित न्याय पाने की गुहार लगाता पहुँचता है उसे वहाँ न्याय के बदले मौत मिलती है। जेल में निरुद्ध बंदियों और सजायाफ्ता कैदियों में संघर्ष के दौरान मौत के मामले तो आते रहे हैं,परन्तु थानों में पुलिस द्वारा पकड़ कर लाये हुए अथवा खुद न्याय माँगने पहुँचने पर थाने में बैठा लेने के बाद यदि किसी पर जानलेवा हमला हो और उसकी मौत हो जाए तो इसका जिम्मेदार उत्तर प्रदेश का शासन होगा अथवा जिले के पुलिस महकमा होगा ?
सबसे अहम बात ये है कि पुलिस थानों में पकड़ कर आने वालों आरोपियों को पुलिस अपने थाने वाले कार्यालय में ही बैठा देती है और वहीं से सौदा होकर उन्हें छोड़ भी दिया जाता है। कई बार शातिर आपराधिक किस्म का ब्यक्ति भी उसका फायदा उठाकर थाने से भाग निकले हैं और उस मामलों में पुलिस की टीम सस्पेंड भी हुई है, परन्तु काली कमाई के मद में पुलिस वाले पुरानी घटनाओं को भूल जाते हैं और आदतन सभी आरोपियों को थाने में बने लॉकप के अन्दर न डालकर अपने सामने ही बैठाया करते हैं। जैसे-जैसे सौदा फिट बैठता जाता है वैसे-वैसे दीवान जी एक-एक करके बैठाये गए आरोपियों को छोड़ते जाते हैं। यही हकीकत है। जाँच बैठने और उसकी रिपोर्ट आने पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई का लालीपॉप पीड़ित पक्ष को पकड़ा दिया जाता है।
प्रतापगढ़ में बढ़े अपराध से थक गए हैं तेज तर्रार पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह... |
"नहीं थम रहा प्रतापगढ़ में अपराध का सिलसिला। तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह और पूर्व में प्रतापगढ़ में दो बार पुलिस अधीक्षक रहे प्रेम प्रकाश जो वर्तमान में पुलिस अपर निदेशक, प्रयागराज जोन में तैनात किये गए हैं और प्रयागराज में आईजी जोन के पद पर भी तैनात रह चुके हैं, फिर भी प्रतापगढ़ में अपराध पर कोई नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। कभी अपर पुलिस निदेशक तो कभी आई जी जोन प्रयागराज प्रतापगढ़ में आकर अपराध नियंत्रण की समीक्षा करते हैं, फिर भी अपराध पर पुलिस काबू नहीं कर पा रही है। पुलिस के आलाधिकारी भी हैरान व परेशान हैं कि प्रतापगढ़ में अपराध पर कैसे काबू पाया जाए...???"
कई बार ये बातें सार्वजनिक हुई कि जिले में थाने और चौकियां बिकती हैं। अब कौन बेचता है और उसमें किसका-किसका कितना हिस्सा होता है, ये आंकलन कर पाना कठिन है ? परन्तु ये हकीकत है कि पुलिस महकमें में थाने और चौकियां बिकती हैं। फिर कोई पुलिस वाला कैसे ईमानदार हो सकेगा ? उसी की भरपाई के लिए ही थाने में पकड़े गए आरोपियों से धन वसूली करना होता है। अपराधियों के बारे में सबकुछ जानते हुए भी छोड़ना पड़ता है। रानीगंज थाने के अन्दर में मिठाई लाल के साथ जो घटना घटित हुई वो भी पुलिस के उसी निम्मेपन का ही नतीजा रहा। अभी फतनपुर थाना क्षेत्र के भुजैनी गाँव में अम्बिका पटेल को पेड़ में बांधकर जिन्दा जलाकर मार डाला गया और जब पुलिस पहुँची तो उग्र हुए ग्रामीणों ने पुलिस को ही निशाने पर लिया और उनकी दो गाड़ियाँ फूंक डाली। पुलिस फायरिंग करते हुए न भागी होती तो और बड़ी घटना घटित होती। घटना के बाद पुलिस अपर निदेशक प्रयागराज जोन प्रेम प्रकाश स्वयं रात्रि में फतनपुर आ धमके।
ADG प्रयागराज जोन, प्रेम प्रकाश औए SP प्रतापगढ़ अभिषेक सिंह कुछ दिन पहले भुजैनी में एक युवक को पेड़ में बांधकर जिंदा जलाकर मार जाने के बाद पकड़े गए आरोपी से पूँछ ताँछ करते हुए... |
अभी फतनपुर थाना क्षेत्र के भुजैनी गाँव में अम्बिका पटेल को पेड़ में बांधकर जिन्दा जलाकर मार डाला गया। जब मौके पर पुलिस पहुँची तो उग्र हुए ग्रामीणों ने पुलिस को ही निशाने पर लिया और उनकी दो गाड़ियाँ फूंक डाली। पुलिस फायरिंग करते हुए न भागी होती तो और बड़ी घटना घटित होती। घटना के बाद पुलिस अपर निदेशक प्रयागराज जोन प्रेम प्रकाश स्वयं रात्रि में फतनपुर आ धमके। पट्टी सर्किल के धुई-गोविंदपुर में आपसी मारपीट का मामला जातीय हिंसा में तब्दील हो गया और वहां भी पुलिस वाले पिटे। प्रतापगढ़ में पुलिस के अधिकारियों को लगातार पब्लिक निशाने पर लेती रही,परन्तु अभी भी पुलिस नहीं चेत रही है।
मई माह में कोतवाली नगर में सिटी के पास मुस्लिम युवकों द्वारा मामूली बात पर हिन्दू के सरोज विरादरी के लड़कों पर फायरिंग कर एक लड़के की हत्या कर दी गई और तीन युवक घायल हो गए। स्वयं पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह कमान संभाले हुए थे और उग्र ग्रामीणों की भीड़ पुलिस को चारों तरफ से घेर लिया था वो तो पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बुद्धिमानी का परिचय दिखाते हुए इलाके के प्रतिष्ठित और सम्मानित लोगों का सहारा लिया तब जाकर पुलिस वालों की जान बची। जिले में इतना कुछ सीखने को मिल रहा है,परन्तु पुलिस अपने ही रौब में रहती है। जब फंसती है तो उसे समाज के प्रतिष्ठित और सम्मानित ब्यक्ति की याद आती है। उसके पहले पुलिस अपने खाकी के रुबाब में मस्त रहती है। इसलिए ये घटनाएँ घटित हो रही हैं।
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