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बुधवार, 17 जून 2020

शम्भुनाथ के मरते ही धोबी के कुत्ते के समान हो गया भानुमती का जीवन

परिवार रजिस्टर में दर्ज, आधार कार्ड और निवास प्रमाण पत्र डोमिसाइल बनने के बाद भी ग्राम सभा प्रधान पति की नजर में नहीं है, ग्राम सभा की निवासिनी...
                            निवास प्रमाण पत्र में भानुमती मिश्रा पत्नी शम्भूनाथ मिश्र का हैं,दर्ज... 
ये कहानी एक दलित परिवार की बेटी की है इस कहानी में सबसे खास बात यह है कि उस दलित की बेटी को गाँव का ही एक दबंग ब्यक्ति शादीशुदा होते हुए भी उस दलित युवती से महज 16 बरस की आयु में विवाह कर लिया उस दलित परिवार में जन्म लेने वाली लड़की का नाम भानुमती रहा, परन्तु जब उसकी शादी गाँव के दबंग ब्यक्ति शम्भूनाथ मिश्र से हुई तो वह दलित परिवार में पैदा होने के बाद भी पंडिताइन हो गई क्योंकि भारत में जब किसी लड़की की शादी हो जाती है तो उसका पति जिस जाति का होता है वह भी उसी जाति की हो जाती है। कमबख्त ये दिल भी गजब का होता है न जाति देखता है न समाज ! बस जिसके ऊपर फिदा हो जाता है तो बस वही दिखता है 
राशन कार्ड और परिवार रजिस्टर में शम्भूनाथ की पत्नी के रूप में भानुमती व उनके बच्चों का नाम है,दर्ज
प्रतापगढ़ जनपद के कंधई थाना निवासी पिपरी खालसा गाँव के शम्भूनाथ मिश्र भी शादीशुदा होने के बाद भी एक दलित युवती को अपना दिल दे बैठे और उससे प्यार करने लगे बाद में शम्भूनाथ मिश्र को शादीशुदा होने के बाद भी भानुमती दलित से शादी करके उसे अपनी पत्नी स्वीकार करना पड़ा। हालांकि हिन्दू विधि में एक विवाह की ही मान्यता है और दूसरा विवाह बिना पहले विवाह विच्छेद किये मान्य नहीं है। उसे पत्नी नहीं बल्कि रखैल की उपाधि दी गई है। परन्तु उससे जन्में बच्चों को उस पिता से अपना हक प्राप्त करने का अधिकार मिला है। हिन्दू विधि अधिनियम की धारा-16 में पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी पत्नी यानि रखैल से उत्पन्न बच्चों को भी पिता की संपत्तियों में हक़ प्राप्त है    


भानुमती मिश्रा का आधार कार्ड जिसमें C/O के जगह शम्भूनाथ मिश्र पिपरी खालसा लिखा है...
सबसे मजेदार बात ये है कि शम्भूनाथ मिश्र सामाजिक रूप से एक दबंग ब्यक्तियों में से रहे और शम्भू पहलवान के नाम से विख्यात रहे फिर भी सामाजिक लोक लज्जा को दरकिनार कर भानुमती का हाथ थाम लिया और जीवन संगिनी बनाने के लिए सबकुछ दाँव पर लगा दिया। शम्भूनाथ मिश्र अपनी दबंगई के बल पर भानुमती को उसके पिता के घर पर ही रखा और समाज की परवाह किये बगैर भानुमती से मिलने उसके पिता के घर आते-जाते थे। शम्भूनाथ मिश्र का इतना जलवा था कि कोई उनका नाम नहीं लेता था, लोग उन्हें पहलवान ही कहते थे। अपने इसी जलवे से शम्भूनाथ शादीशुदा होते हुए भी एक दलित युवती से विवाह कर लिए और सामाजिक राति रिवाज को दरकिनार कर डाला। 


दलित युवती से भानुमती मिश्रा बनने की हकीकत... 

भानुमती को महज 16 वर्ष की अवस्था में शम्भूनाथ मिश्र अपना बनाकर बेल्हा देवी मन्दिर में बकायदा विवाह कर लिया। भानुमती की जिद पर शम्भूनाथ मिश्र उसे अपने घर लाये और करीब 10वर्षों तक वो शम्भूनाथ के साथ उनके पैतृक घर रही। इस दौरान लोक लज्जा के कारण शम्भूनाथ की पहली पत्नी शम्भूनाथ को त्यागकर अपने मायके जाकर रहने लगी। बाद में मायके में ही उसकी मृत्यु हो गई। हिन्दू विधि में दूसरा विवाह निषेध है फिर भी लोग उसे दरकिनार कर पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी कर लेते हैं और बाद में उससे उत्पन्न बच्चों के हक हकूक के लिए विवाद खड़ा होता है। कभी-कभी मामला सामाजिक स्तर पर मामला निपट जाता है और कभी-कभी विवाद होने पर मामला न्यायालय तक ले जाया जाता है। 

हालांकि शम्भूनाथ मिश्र को अपनी पहली पत्नी से एक लड़का हुआ, जिसका नाम विजय मिश्र है और आज वह पिपरी खालसा की प्रधान सीमा मिश्रा और सीमा मिश्रा के पति योगेश मिश्र "योगी" के साथ रहता है। भानुमती का आरोप है कि विजय मिश्र को योगेश मिश्र अपना नौकर बनाकर रखे हैं उसकी शादी भी नहीं किये ताकि उसका भी हिस्सा वो लोग हड़प ले। भानुमती ने बताया कि वह जब शम्भूनाथ के साथ उनके पैतृक आवास पर 10 बरस रही तो उस दौरान उसके दो बच्चे वहीं जन्म लिए। बाद में शम्भूनाथ मिश्र ने घर से दूर बाग़ के पास भानुमती को रहने के लिए एक छोटा सा घर बना दिया और भानुमती वहीं रहने लगी। कभी-कभी शम्भूनाथ मिश्र भी भानुमती के पास रुक जाते थे। भानुमती के अनुसार शम्भूनाथ मिश्र से उसे कुल 11 बच्चे पैदा हुए, जिनमें 5 लड़के और 6 लड़कियाँ रही। 


ग्राम प्रधान पिपरी खालसा सीमा मिश्रा के पति योगेश योगी ने भारत A TO Z समाचार को दिया,अपना पक्ष...


शम्भूनाथ मिश्र  को दलित लड़की से आँखे चार हुई, फिर दोनों एक दूसरे को दिल से चाहने लगे। स्थिति ये हुई कि शम्भूनाथ शादीशुदा होने के बाद भी भानुमती को अपनाया और समाज में अपनी मान प्रतिष्ठा को दांव पर लागते हुए उसे अपना नाम दिया और उससे उत्पन्न बच्चों को पिता का नाम दिया। आज शम्भूनाथ मिश्र स्वर्गीय हैं तो उनकी कथित पत्नी को उन्हीं के परिवार के योगेश मिश्र "योगी" रहने नहीं दे रहे हैं। जबकि योगेश योगी पिपरी खालसा की ग्राम प्रधान सीमा मिश्रा के पति हैं। परन्तु ग्राम प्रधान पति योगेश मिश्र "योगी" ग्रामसभा की योजना भानुमती मिश्रा को न मिले इसलिए ग्रामसभा पिपरी खालसा की निवासिनी मानने से इंकार कर देते हैं। यही नहीं शम्भूनाथ मिश्र के पुश्तैनी मकान में भानुमती को हिस्सा भी नहीं दे रहे हैं और न तो खेत में ही हिस्सा दे रहे हैं। जबकि भानुमती मिश्रा की के कागजों पर देखने मात्र से सहसा विश्वास हो जाता है कि वो जो कह रही है,वह सत्य है। उसकी बातों पर यकीन करें तो वह स्व.शम्भुनाथ मिश्र  की विधवा है और शम्भूनाथ से जन्में उसके कई बच्चे भी हैं...
फिलहाल 2 लड़के भानुमती के खत्म हो गए और आज वह अपने सबसे छोटे बेटे बलवंत और छोटी बेटी के साथ पिपरी खालसा में अपना गुजर बसर कर रही है। पीड़िता भानुमती की बातों पर यकीन करें तो उसके दो लड़को को योगेश मिश्र "योगी" पुलिस से इतना उत्पीड़न कराये कि वो पिपरी खालसा छोड़कर भाग गए। भानुमती बताती हैं कि उनके लड़के जब पिपरी खालसा आते हैं तो योगेश योगी उन पर फेंक मुकदमें लिखाकर उन्हें फंसा देते हैं, जिसके भय से वो दोनों लड़के पिपरी खालसा नहीं आते। ये सब योगेश योगी इसलिए करते हैं कि वो शम्भूनाथ मिश्र की सारी चल-अचल सम्पत्ति वो स्वयं हड़प लें ! भानुमती आज अपने दो बच्चों के साथ पिपरी खालसा में रह रही है और योगेश योगी उसे पिपरी खालसा की निवासी मानने से इंकार रहे हैं। जबकि भानुमती के अनुसार योगेश मिश्र "योगी" स्व. शम्भूनाथ मिश्र के सगे भतीजे हैं और भानुमती उनकी बड़ी मां हैं। ऐसे में कौन दिलाएगा योगेश योगी से भानुमती और शम्भूनाथ मिश्र से जन्में बच्चों का हक ? भानुमती की स्थिति आज धोबी के कुत्ते के समान हो गई है न घर की रही, न घाट की...

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