पर्यावरण दिवस मनाये जाने का कारण और इसका संदेश...!!!
क्या प्रकृति का कहर है कोरोना वायरस और चक्रवाती तूफ़ान जैसी राष्ट्रीय आपदाएं...???
मानवों को यह मानसिकता छोड़ देनी चाहिए की यह पूरे विश्व में वाही वास करते हैं, जितना आधिकार हमारा इस संसार में,उतना ही पशु,पक्षियों का भी तो आइये इस दिवस हम सभी एक प्राण ले- हम अपनी जननी प्रकृति की सुरक्षा करेंगे, हम अपने वन जीवों और पक्षियों की सुरक्षा करेंगे,हम अपने मतलब के लिए इन्हें कभी कष्ट नहीं देंगे, हम इनके रहने की जगह को नहीं नष्ट करेंगे और अपने पर्यावरण को और भी ज्यादा शुद्ध करने के लिए वृक्षारोपण करेंगे जिससे हमारी अगली पीढ़ी भी शुद्ध वातावरण में स्वास ले सके।
क्या प्रकृति का कहर है कोरोना वायरस और चक्रवाती तूफ़ान जैसी राष्ट्रीय आपदाएं...???
पर्यावरण की रक्षा से ही प्रकृति सुरक्षित रह सकेगी... |
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई। यहां 1972 में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें 119 देशों ने भाग लिया था। हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य कारण है व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सचेत करने का। हम मनुष्यों और पर्यावरण के बीच बहुत गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। विश्व में लगातार वातावरण दूषित हो रहा है,जिसका गहरा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ रहा है। जिसका भंयकर परिणाम है कोरोना वायरस,जिससे पूरा विश्व ग्रसित हो चूका है, जोकि लगातार मानव का हनन किये जा रहा है और वहीं दूसरी तरफ चक्रवाती तूफान जैसे अम्फान और निसर्ग का उठाना और विध्वंस फैलाना,ये प्रकृति का ही कहर है जो की हमे चेतावनी दे रहा है कि मानव अब तो सुधर जाओ, अब तो अपनी मानवता की खोखली हो चुकी उस गन्दी सोच को बदलो, अपने धर्मं का झूठा डंका बजाना छोड़ो और अपनी विचारो के गिरते स्तर को उठाओ।
अभी ज्यादा दिनो की बात नहीं है वो गर्भवती हाथी की शर्मनाक घटना का घटना वो भी इस महामारी के समय, कहा गए धर्मं का प्रचार करने वाले सभी ढोंगी जिन्होंने उस कुक्रिया पर एक भी शब्द नहीं बोला, कहा गए मानवता का दिखावा करने वाले सभी महापुरुष, कुछ लोग जागे और एक पोस्ट लिखकर खत्म कर दिए अपने अन्दर की मानवता को , जब तक हम सभी मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं, पक्षियों को सामान आधिकार नहीं देंगे तब तक प्रकृति अपना ऐसा ही कहर ढाती रहेगी। प्रकृति के लिए उसकी सभी संताने सामान है चाहे वो पशु हो,पक्षी हो या मानव हो और यदि उसके किसी भी संतान के जीवन पर संकट आएगा तो उसका प्रकोप पूरा विश्व सहेगा।
पर्यावरण से जुड़ा सुन्दर सन्देश...!!! अभी ज्यादा दिनो की बात नहीं है वो गर्भवती हाथी की शर्मनाक घटना का घटना वो भी इस महामारी के समय, कहा गए धर्मं का प्रचार करने वाले सभी ढोंगी जिन्होंने उस कुक्रिया पर एक भी शब्द नहीं बोला, कहा गए मानवता का दिखावा करने वाले सभी महापुरुष, कुछ लोग जागे और एक पोस्ट लिखकर खत्म कर दिए अपने अन्दर की मानवता को , जब तक हम सभी मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं, पक्षियों को सामान आधिकार नहीं देंगे तब तक प्रकृति अपना ऐसा ही कहर ढाती रहेगी। प्रकृति के लिए उसकी सभी संताने सामान है चाहे वो पशु हो,पक्षी हो या मानव हो और यदि उसके किसी भी संतान के जीवन पर संकट आएगा तो उसका प्रकोप पूरा विश्व सहेगा।
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं... |
मानवों को यह मानसिकता छोड़ देनी चाहिए की यह पूरे विश्व में वाही वास करते हैं, जितना आधिकार हमारा इस संसार में,उतना ही पशु,पक्षियों का भी तो आइये इस दिवस हम सभी एक प्राण ले- हम अपनी जननी प्रकृति की सुरक्षा करेंगे, हम अपने वन जीवों और पक्षियों की सुरक्षा करेंगे,हम अपने मतलब के लिए इन्हें कभी कष्ट नहीं देंगे, हम इनके रहने की जगह को नहीं नष्ट करेंगे और अपने पर्यावरण को और भी ज्यादा शुद्ध करने के लिए वृक्षारोपण करेंगे जिससे हमारी अगली पीढ़ी भी शुद्ध वातावरण में स्वास ले सके।
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