Breaking News

Post Top Ad

Your Ad Spot

मंगलवार, 19 मई 2020

बैठे पहलवान को दाँव अधिक सूझता है

विपक्ष में बैठे नेताओं को सत्तापक्ष की नीतियां नहीं आती रास...!!!
याद करो राहुल गांधी उस समय तुम्हारी कांग्रेस की सरकार ने बिल्डरों को 60,000 करोड़ के राहत पैकेज समेत उद्योग जगत को सवा लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज दिया था लेकिन बेरोजगार हुए 2 करोड़ मजदूरों को एक रुपये की राहत नहीं दी थी, आखिर क्यों...???
पैसा दो, तत्काल पैसा दो, नगद पैसा दो... का राग आजकल लगातार अलाप रहे राहुल गांधी को बताना चाहिए कि उसकी यूपीए सरकार ने तब कितने मजदूरों को कितना पैसा दिया था...???
वर्ष-2008 में आयी अर्थिक मंदी के कारण केवल तीन महीने में आईटी उद्योग में 5 लाख, चमड़ा उद्योग में 5 लाख, हाथकरघा उद्योग में 5 लाख, कपड़ा उद्योग में 5 लाख, ज्वेलरी-आटो उद्योग में 5 लाख लोग बेरोजगार हो गए थे ये आंकड़े तत्कालीन सरकार के श्रम विभाग के ही थे ध्यान रहे कि ये सब आंकड़े देश के संगठित क्षेत्र के उद्योग से सम्बंधित थे, जो वर्ष-2008 में देश में उपलब्ध 38.5 करोड़ रोजगार के अवसरों का मात्र 10 प्रतिशत थे दिसंबर 2007 में सेंसेक्स 20,000 अंकों से ऊपर था, जो अक्टूबर 2008 में 8500 तक पहुंच चुका थाआप आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि उद्योग व्यापार की क्या स्थिति हो गई थी...!!!
सच तो यह है कि संगठित और असंगठित क्षेत्र में लगभग डेढ़ से दो करोड़ लोग बेरोजगार हो गए थे उस समय राहत पैकेज के नाम पर उद्योग जगत के लिए सवा लाख करोड़ के राहत पैकेज की व्यवस्था की गयी थी लेकिन एक भी मजदूर को एक रुपये की सहायता नहीं दी गई थी, जबकि पिछले 2 महीनों में मोदी सरकार लगभग 40 करोड़ लोगों के खाते में राहत राशि जमा करा चुकी है मुफ्त अनाज अलग से बँटवा रही है अब ये अलग बात है कि जब पीडीएस से जुड़े लोग घटतौली, बेईमानी और भ्रष्टाचार करते आयें हैं तो उनकी आदत में इतनी जल्दी सुधार आने वाला नहीं हैं वो चाहे राष्ट्रीय आपदा का समय हो अथवा कोरोना महामारी का समय हो ! क्योंकि सिस्टम यानि तंत्र में जो कमिया विद्यमान हैं वो इतनी जल्दी जाने वाली नहीं हैं कोरोना संक्रमण काल में भी भ्रष्ट नौकरशाही दोनों हाथ से बजट में लूट मचाये हुए है इस पर एक बार भी विपक्ष के नेता बोलना ही नहीं चाहते क्योंकि जब वो बोलेंगे तो भ्रष्ट नौकरशाही उनका मुंह बंद करा देने में सक्षम है चूँकि जब सत्ता उनकी थी तो वही भ्रष्ट नौकरशाही उनके शासन में उनके साथ बजट को चट करने में संकोच नहीं करती थी फिर किस मुंह से वो उस ब्यवस्था का विरोध करें...!!!

2 टिप्‍पणियां:

Post Top Ad

Your Ad Spot

अधिक जानें