प्रतापगढ़ कोतवाली नगर के सिप्तैन रोड़ पर बद्री जायसवाल करता है बस्ती के बीचोंबीच गैस रिफिलिंग का प्रतिबंधित कार्य।
ऐसे जानलेवा हादसे को खुलेआम आमंत्रण देने वालों के विरुद्ध शासन-प्रशासन में बैठे हुक्मरानों को भी लेशमात्र चिंता नहीं रहती। देश में ऐसा कानून कब बनेगा और कब उसका शत प्रतिशत पालन कराया जायेगा जिससे एक ब्यक्ति अपने ब्यक्तिगत लाभ के लिए पूरे मोहल्ले के जीवन से खिलवाड़ न कर सके ? देश में कानून तो बहुत बने और बिगड़े परन्तु उसको प्रभावी करने वाले उसका मजाक बनाकर रख देते हैं। देश का यही सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। इस भीषण गर्मी में बस्ती के बीच यदि कोई हादसा होगा तो सांसद और विधायक उस बस्ती में पहुंचकर मगरमच्छ की आँसू बहाने से परहेज नहीं करेंगे। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी कुम्भकर्णी नींद से जागेगा और कार्यवाही का कोरम पूरा करके अपने दायित्वों की इतिश्री कर लेगा। यही हकीकत है। बिना हादसा हुए ब्यवस्था में बैठे हुक्मरानों की नींद खुलने वाली नहीं है...!!!
बिना रोकटोक सिप्तैनरोड़ पर गैस रिफिलिंग का कार्य करते हुए बद्री जायसवाल |
ब्यवस्था में बैठे जिम्मेदार लोग घटना और दुर्घटना से पहले शिथिल रहते हुए ऐसे विधि विरुद्ध कार्यों को होने देने में क्यों बने रहते हैं,घोर लापरवाह...?
प्रत्येक घटनाओ और दुर्घटनाओं से मानव समाज सबक लेता है,परंतु उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कोई कुछ भी सुनने को न तो तैयार है और न ही समझने को तैयार है। कोतवाली नगर प्रतापगढ़ के सिप्तैन रोड़ पर करम अली बैंड पार्टी के पास बद्री जायसवाल खुलेआम बस्ती के बीचोंबीच गैस रिफलिंग का कर रहा है। ये विधि विरुद्ध कार्य उसे करते तनिक भी भय नहीं लग रहा है। जबकि पुरानी घटनाओं को याद करें तो बाबागंज में ऐसे ही गैस रिफलिंग के कारण गैस सिलेंडर में विस्फोट हुआ था और आधा दर्जन लोग अपनी जान गंवाए थे। फिर भी बद्री जायसवाल को बाबागंज वाली घटना याद नहीं रही। तभी तो वो सबकुछ भुलाकर बिना डरे, बिना रुके बस्ती के बीचोंबीच गैस रिफिलिंग का कार्य करके बस्ती वालों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।
ऐसे जानलेवा हादसे को खुलेआम आमंत्रण देने वालों के विरुद्ध शासन-प्रशासन में बैठे हुक्मरानों को भी लेशमात्र चिंता नहीं रहती। देश में ऐसा कानून कब बनेगा और कब उसका शत प्रतिशत पालन कराया जायेगा जिससे एक ब्यक्ति अपने ब्यक्तिगत लाभ के लिए पूरे मोहल्ले के जीवन से खिलवाड़ न कर सके ? देश में कानून तो बहुत बने और बिगड़े परन्तु उसको प्रभावी करने वाले उसका मजाक बनाकर रख देते हैं। देश का यही सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। इस भीषण गर्मी में बस्ती के बीच यदि कोई हादसा होगा तो सांसद और विधायक उस बस्ती में पहुंचकर मगरमच्छ की आँसू बहाने से परहेज नहीं करेंगे। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी कुम्भकर्णी नींद से जागेगा और कार्यवाही का कोरम पूरा करके अपने दायित्वों की इतिश्री कर लेगा। यही हकीकत है। बिना हादसा हुए ब्यवस्था में बैठे हुक्मरानों की नींद खुलने वाली नहीं है...!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें