ऐसे करें बायोमेडिकल कचरे का प्रबन्धन... |
इसके विपरीत हकीकत यह है कि अस्पताल के वार्डों व ऑपरेशन थिएटरों के कचरे को खुली ट्रॉलियों के माध्यम से ले जाया जाता है। इनमें से रक्त तथा अन्य कचरा रास्ते में भी गिरता जाता है, इससे अस्पताल में मरीजों व उनके परिजनों में संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है। जब प्लास्टिक अपशिष्ट का निपटान करना हो तो प्लास्टिक अपशिष्ट को नष्ट करने से पहले कटर से काटकर एक प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर सोल्यूशन में एक घंटे तक रखा जाता है। ताकि वह रोगाणुओं से मुक्त हो जाए। इसी तरह यदि तरल अपशिष्ट हो तो उस पर समान मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर का घोल डालकर 30 मिनट तक रखा जाना चाहिए और उसके बाद नष्ट करना चाहिए। इस्तेमाल करने के बाद बची खून की थैलियों और खराब हुई खून की थैलियों को नष्ट करने से पहले उनमें छेद करके उन्हें 5 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट विलयन में एक घंटे तक रखा जाना चाहिए।
बायोमेडिकल वेस्ट के नियमों का उल्लंघन करने वालों की सूची स्थानीय राज्य सरकारों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास होती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दोषी पाए जाने वाले अस्पतालों चाहे वे सरकारी हों व निजी अस्पताल या फिर नर्सिंग होम हो, इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। राज्य सरकारों को भी इसके लिये ठोस कदम उठाना अपनी प्राथमिकता में शामिल करना चाहिए। समय रहते यदि इस पर कोई दीर्घकालिक और टिकाऊ योजना नहीं बनायी गयी, तो हर शहर और गली-कूचे की हालत नरक से भी बदतर हो जाएगी। हम नयी-नयी बीमारियों को बुलाएंगे और उनके इलाज में अपना जीवन खपाएंगे।
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