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सोमवार, 11 मई 2020

क्या माँ को सिर्फ एक दिन में बांध देना ही उसके बच्चों का माँ के लिए प्यार है ?

माँ भगवान का दूसरा रूप या स्वयं भगवान की जननी...!!!
डांट कर बच्चो को, 
खुद अकेले में रोती है,
वो माँ है साहेब, ऐसी ही होती है,
हां वो थोडा भाव ज्यादा खाती है,
गलती उसकी बस इतनी होती है,
मांगो दो रोटी वो चार देती है,
क्या करे साहेब माँ ऐसी ही होती है...???
जिसके ब्यक्तित्व में शब्दकोश के शब्द ही कम पड़ जाये, आज उन्ही के बारे में हम कुछ आंशिक रूप में विश्लेषण करने जा रहे हैंमाँ, जिसकेे व्यक्तित्व को स्वयं भगवान भी नहीं परिभाषित कर पाए हैं, माँ जितना साधारण शब्द है, उतना ही उनके व्यक्तित्व के बारे में समझना कठिन हैएक माँ ही है जो सभी की जगह लेकर अपने बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकती है, परन्तु माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता...!!!

कहानी हैं, एक माँ की या सभी माताओं की जिसने अपने सभी बच्चों को अपने कलेजे से बढ़कर चाहा और उसके लालन-पालन में अनेकानेक कठिनाईयों और तमाम झंझावातों को झेलते हुए उसे पाला, परन्तु उसके वही बच्चे बड़े होकर आपस में लड़-लड़कर उस माँ को अपमानित करते हैं, उस माँ को कहते हैं कि तुमने क्या है, मेरे लिए ! नव माह जिस माँ ने गर्भ में अपने बच्चे के लिए न जाने कितने दर्द सहे होंगे, उस माँ को हम बुढ़ापे में तुम्हारी माँ, उसकी माँ कहते हैंजिस माँ ने सभी बच्चों के लिए अपने हिस्से की रोटी देकर अपने बच्चों का पेट भरा हो, उसी को हम उसके बुढ़ापे में वृद्धाश्रम ले जाने की बात करते हैं

कभी सोचा हैं कि अगर माँ भी अपने बच्चों को पैदा होते ही अनाथ आश्रम भेज देती तो हम सभी शायद ही आज यहाँ होते
पर वो माँ हैं, जिसके हृदय में समस्त संसार समाहित हैं और माँ का समस्त संसार तो उसके बच्चे में ही होता है फिर क्यों हम उस माँ को अपना संसार नहीं बना पाते ? माँ से हमारे जीवन का उद्गम हुआ है तो फिर क्यों हम उसी माँ के लिए सिर्फ एक दिन ही अपना प्यार दिखाते हैं ? क्यों हम माँ को सिर्फ एक दिन में बांध देते है, जो हमेशा अपने बच्चों को एक समान प्यार करती रहती है ?

आज आप सभी को माँ के दूध के क़र्ज़ की कहानी से भी अवगत कराना चाहता हूँ ! जब बात माँ के व्यक्तित्व पर चल रही है। बात हैं, काशी की ! वहां एक बेटा अपने पैरो पर खड़े होकर अपने सभी करीबियों का क़र्ज़ उतारना चाहता थावो अपनी माँ से भी यही प्रश्न पूछता हैं कि माँ, तुम मुझे बताओ क्या तुम्हारा कोई कर्ज है, मेरे ऊपर...? मैं अपने सभी कर्जो को उतरना चाहता हूँ माँ कहती है कि अरे पगले तू तो मेरी संतान है और माता का अपनी संतान के ऊपर कैसा कर्ज ? फिर भी तू इतना ज्यादा बड़ा बन गया है कि तू अपनी माँ के दूध का कर्ज उतारने की बात सोचता है !अपनी माता के ममता का कर्ज उतार सकता है, अपनी परवरिश का कर्ज उतार सकता है तो मेरे लिए एक मंदिर बनवा दे ! अब तो मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ और भगवन की भक्ति में रमने के अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए। अपनी माँ के वचनों को सुनकर उसने एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जो कि काशी के घाट पर स्थित था। अपनी माँ का कर्ज उतारने के लिए वो अपनी माँ को मंदिर ले गया और जैसे ही माँ ने अपने पैर मंदिर पर रखे, मंदिर जमीन की तरफ झुक गया ! तभी आकाशवाणी हुई अरे मुर्ख पुत्र ! तू क्या बड़ा बन गया ! तू चला है, माँ के दूध का कर्ज उतारनेइस संसार में स्वयं भगवान ने भी अवतार लिया है और वो भी अपनी माता के कर्जो तले आज तक दबे हैं, अपनी माता को ही ईश्वर मानकर पूजा करने वाले स्वयं भगवन भी माँ के दूध का ऋण आज तक नहीं उतर पाए हैं तो तू एक साधारण मानव होकर माँ के दूध का कर्ज उतारने चला है ! माँ के दूध का कर्ज अनेक जन्मो के पश्चात् भी नहीं जुकाया जा सकता। काशी के सभी घाट में से एक घाट पर आज भी इसका प्रमाण मिलता है, जो कि आज भी माँ के दूध के कर्ज की एक अनोखी कहानी अपने अंदर छिपाए हुए वहीं विद्यमान है, जिसका वर्णन काशी के इतिहास में वर्णित है

वो माँ ही हैं जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, माता आदि शक्ति ही है जो इस जग की जगत जननी है, जो सभी भगवानों की स्वयं जननी है ! इसका अर्थ ये हुआ कि माँ से ही हमारे इस संसार का उद्भव हुआ है ! माता का स्थान, भगवन से भी बड़ा है ! फिर भी आज माँ के प्यार, ममता, स्नेह, परवरिश आदि को हम भूल बैठे हैंआज के युग का माँ के प्रति प्यार कुछ इस प्रकार होता हैमातृ दिवस (mothers day) पर हम सभी के अंदर अपनी माँ के लिए एक अजीब तरह का प्यार जग जाता है, भले ही हम उनको पूरे साल नज़रंदाज करते हैं ! किन्तु हम सभी मातृ दिवस (mothers day) पर अपने-अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट डालकर कुछ इस प्रकार खुश होते हैं, जैसे उन्होंने जग जीत लिया हो ! क्या हमने अपनी माँ के लिए कभी कुछ खास किया और कुछ किया भी तो सिर्फ एक दिन के लिए, जो माँ अपने गर्भ में नौ महीने तक अपनी औलाद को खून से सीचती है, क्या हम उनका उतना ही ख्याल रखते है ?

HAPPY MOTHERS DAY, SOME MEMORIES CELEBRATING WITH MY MOTHER
कुछ इस प्रकार की पोस्ट सभी अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर डालकर, सभी अपनी माँ की ममता को भूल जाते हैं। यादें इतनी ही खास होती तो माँ की दवाईयां भी याद रहती जो वो मंगाती थी। दिखावे का नहीं, अगर प्यार करना ही है तो अपने माता-पिता को इस तरह प्यार करो जिस प्रकार वो आपको आपके बचपन में प्यार किया करते थे, बिना किसी स्वार्थ के ! माता-पिता के भाव देखना हो तो श्रीगणेश जी के चरित्र में देखोगणेश जी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा करके सिद्ध कर दिया कि सभी तीर्थ स्थानों और धार्मिक स्थलों से पढ़कर रहे उनके पिता महादेव और माँ पार्वतीतभी तो उनकी परिक्रमा कर सबसे पहले हर धार्मिक कार्यों में अपनी पूजा कराने का आशीर्वाद प्राप्त किये

यही एक संतान का अपने माता-पिता के लिए सबसे बड़ा धर्म और कर्म है। अगर आप अपने माता-पिता से दूर रहते हैं तो जब भी आपके पास समय हो तो उनको फ़ोन जरूर कर लिया करें, क्योकि आप के पास तो सब होते हैं, पर उनके पास सिर्फ उनके बच्चों की यादें ही होती हैं क्या हम सभी को अपनी माँ के प्यार को सिर्फ एक दिन में बांधना चाहिए ? ये कैसा प्यार है, हमारा अपनी जननी के लिएमाँ का व्यक्तित्व अगर ईश्वर भी लिखे तो वो एक ग्रन्थ समान होगी, यह तो सिर्फ एक अंश मात्र ही है माँ के व्यक्तित्व में


माँ के महान व्यक्तित्व में कुछ खास...!!!
माँ वो एक नाम है जो धरती को स्वर्ग बनाती है,
अपने आपको भूल तुमको चलना सिखाती है,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर तुमको राह दिखाती है,
बुढ़ापे में बस वो एक आस लगाती है,
बच्चे उसको भूल न जाये,माँ बस इससे घबराती है,
माँ के महान व्यक्तित्व को कौन समझ पाया है,
उसके अपनों ने ही उसका मजाक बनाया है,
माँ अपने बच्चो में खुद को भूल जाती है,
क्या वही माँ बुढ़ापे में बच्चो के ऊपर बोझ बन जाती है,
प्यार देते-देते माँ खुद बूढ़ी हो जाती है,
लेकिन अब भी बच्चो की ख़ुशियों के लिए मंदिर हर रोज जाती है,
गीता में,वेदों में भगवान भी यही कहते हैं,
ईश्वर बस्ता धरती पर जिसको माँ कहते हैं,
माँ के इस प्यार को जो नहीं समझ पाया है,
उसने इश्वर के नाम का भी मजाक बनाया है,
ये समय भी माँ की खूब परिक्षाएं लेता है,
शायद इसी लिए भगवन भी माँ को जगत की जननी कहते हैं।

2 टिप्‍पणियां:

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